देशभर में मौसम ने ली करवट! यूपी-बिहार में अब भी बारिश का अलर्ट, 18 सितंबर तक झमाझम का अनुमान, पढ़ें पूरा अपडेट सम्राट और सोनपरी नस्लें: बकरी पालक किसानों के लिए समृद्धि की नई राह गेंदा फूल की खेती से किसानों की बढ़ेगी आमदनी, मिलेगा प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये तक का अनुदान! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 22 August, 2023 6:05 PM IST
Sow this variety of Arhar

Pusa 16 Arhar: दलहनी फसलों के अंर्तगत अरहर, मूंग, उड़द की खेती खरीफ मौसम में की जाती है. तो वहीं चना, मसूर, राजमा एवं मटर की खेती रबी मौसम में की जाती है. दलहन फसलों में अरहर का प्रमुख स्थान है और किसान अभी खरीफ़ में अरहर की बुवाई कर रहे हैं. तो किसान अरहर की किस्म पूसा अरहर-16 की बुवाई कर सकते हैं. यह किस्म 120 दिनों में तैयार हो जाती है.

दूसरी फ़सलों की भी कर सकेंगे बुवाई

किसानों को अरहर की खेती करने में हमेशा समस्या का सामना करना पड़ता है. कारण बस इतना है कि ये फ़सल लंबे समय की होती है. इससे किसान दूसरी फसलों की बुवाई नहीं कर पाते हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने अरहर की कुछ किस्में विकसित की हैं, जो कि कम समय में तैयार हो जाती है साथ ही उत्पादन भी अच्छा मिलता है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा अरहर की किस्म पूसा-16 विकसित की है, जो सिर्फ 120 दिनों में तैयार हो जाती है. लेकिन अरहर की दूसरी किस्मों को तैयार होने में 280 दिन तक लग जाते हैं. वहीं इस नई किस्म की बुवाई से किसान दूसरी फ़सलों की बुवाई कर सकते हैं.

इन राज्यों में अनुकूल बुवाई

 यह किस्म पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बुवाई के लिए अनुकूल है. इसकी औसतन उपज लगभग 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और 100 दानों का वजन लगभग 7.4 ग्राम होता है.

इस मिट्टी में करें बुवाई

पूसा अरहर की इस किस्म की बुवाई के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है. बुवाई के लिए उचित जल निकासी और ढालू खेत का चयन करना चाहिए. इस किस्म का बीज़ 10-12 किलो प्रति एकड़ में बुवाई के लिए पर्याप्त होता है. बीज़ को बीज़ोपचार के बाद ही बोएं, जिससे कई बीमारियों से फ़सल को बचा सके. पूसा अरहर-16 की बुवाई के लिए लाइनों के बीच 30 सेमी. की दूरी होनी चाहिए. पौधों के बीच में 10 सेमी. की दूरी रखकर बुवाई करनी चाहिए. मेड़ पर अरहर की बुवाई करने से जल भराव और फफूंदी रोगों से बचने में मदद मिलती है. बुवाई से पहले 2.5 ग्राम थीरम और ग्राम कार्बेन्डाजिम से प्रति किलो अरहर के बीजों का उपचार कर लेना चाहिए.

इस फसल का मिलेगा फायदा

राइजोबियम कल्चर से बीजोपचार के बाद फफूंदी रोगों की संभावना नहीं रहती है. किसान चाहें तो बेहतर उत्पादन के लिये एक हेक्टेयर खेत में 10-15 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फास्फोरस और 20 किलो सल्फर का मिश्रण डाल सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- एक बार बुवाई कर 5 साल तक लें देशी अरहर की खेती, जबरदस्त होगी कमाई

 ध्यान रहें कि खाद-उर्वरकों का इस्तेमाल विशेषज्ञों से परामर्श लेकर ही करें. पूसा अरहर-16 की ख़ेती के बाद मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है, जिसका फ़ायदा अगली फ़सल को मिलता है.

English Summary: Sow this variety of Arhar
Published on: 22 August 2023, 06:14 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now