गाजर उन सब्जियों में शामिल है जिसका भारतीयों द्वारा बड़े पैमाने पर सेवन किया जाता है. यह सर्दियों में सबसे अधिक खाई जाने वाली सब्जियों में से एक है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल करी पुलाव, हलवा या फिर मिश्रित सब्जी बनाने के लिए किया जाता है. वही, यह अपने प्राकृतिक और प्रसंस्कृत (ऐसी कोई भी चीज जो प्राकृतिक रूप से पाया जाता है उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन कर दिया गया हो) दोनों रूपों में पूरे साल बाजार में उपलब्ध रहती है. आमतौर पर उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान स्वाद और मिठास के कारण इसकी लाल रंग की मांग सबसे ज्यादा होती है. वही, गर्मियों के दौरान पीली गाजर मंडियों में उपलब्ध होती है जो दक्षिण भारतीय राज्यों से आती है.
ऐसा माना जाता है कि गाजर की उत्पत्ति ईरान से हुई है और इसकी पहली बार खेती 10वीं शताब्दी में एशिया में खाने के उद्देश्य से की गई थी. प्राकृतिक रूप से पीले या बैंगनी रंग की यह कंद यानी जड़ वाली सब्जी धीरे-धीरे एशियाई क्षेत्रों में एक आम खाद्य पदार्थ बन गई. वही, अपियासी परिवार से संबंध रखने वाली यह जड़ वाली सब्जी लगभग 500 से अधिक किस्मों में उपलब्ध है. यूरोप में पहली बार गाजर का सेवन 12वीं शताब्दी में किया गया था. आज हम जिस नारंगी गाजर को अच्छी तरह से जानते हैं उसकी उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में हुई थी जिसे डचों द्वारा उत्पादित किया गया था.
भारत में गाजर की प्रमुख किस्में
भारत में कुछ लोकप्रिय किस्में आईएआरआई पूसा द्वारा विकसित की गई हैं, उनमें से एक है पूसा केसर इसकी जड़ें लाल रंग की होती हैं और यह अधिक तापमान सहन कर सकती है. इसके अलावा, IARI PUSA द्वारा पूसा मेघाली, इंपीरेटर ज़ेनो नीलगिरि (पहाड़ियों में लोकप्रिय, अधिक उपज देने वाली, अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध) पूसा यमदागिनी, आरआरएस, कटरैन आदि किस्में विकसित की गई हैं. पीएयू लुधियाना द्वारा सलेक्शन 223 और नंबर 29 किस्में विकसित की गई हैं.
ऑफ सीजन में भी मिलेगा लाल गाजर
गौरतलब है कि लाल रंग की गाजर की मांग उपभोक्ताओं और व्यापारिक समुदाय द्वारा सर्दियों के अलावा, गर्मियों में भी मांग की जाती है. लेकिन, गर्मियों के मौसम में मंडियों लाल रंग के गाजर की उपलब्धता नहीं होती है. इसी को ध्यान में रखते हुए देश की अग्रणी बीज निर्माता कंपनी सोमानी सीड्स ने नैनटेस सेगमेंट के तहत एक नई किस्म को बाजार में लाने का फैसला किया है, जो ऑफ सीजन के दौरान बाजार पर राज कर सकती हो, जब कोई लाल गाजर मंडियों में उपलब्ध नहीं होती है.
लाल गाजर की नई किस्म
सोमानी सीड्स कंपनी के मुताबिक, लाल रंग के गाजर की नई किस्म पर रिसर्च की शुरुआत 2013 के दौरान तब हुई जब कंपनी के प्रबंध निदेशक, के.वी. सोमानी ने डॉ. अर्जुन सिंह और अन्य अनुसंधान एवं विकास वैज्ञानिकों के साथ दुनियाभर से जहां भी गाजर उगाई जाती है वहां से जर्मप्लाज्म का संग्रह शुरू किया. इस प्रक्रिया के दौरान कई नए संकर किस्म विकसित किए गए और लगभग 8 सालों के बाद एक ऐसे हाइब्रिड गाजर का सफलतापूर्वक आविष्कार किया गया है जो न केवल लाल रंग का है, बल्कि ढेर सारी खूबियों से भरपूर है.
लाल गाजर की उन्नत किस्म अजूबा-117
कंपनी की नैनटेस खंड के अंतर्गत आने वाले लाल गाजर की इस उन्नत किस्म का नाम अजूबा-117 रखा गया है, क्योंकि यह अपने नाम के अनुरूप वाकई एक अजूबा है. इसे दक्षिण भारत में, विशेष रूप से कर्नाटक (ऊटी), तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और जहां भी हाइब्रिड या ओपी गाजर नैनटेस और कुरोदा की खेती होती है, वहां पर आसानी से इसकी खेती की जा सकती है.
कंपनी के अनुसार, 2022 के बाद से लाल गाजर की इस नई किस्म पर बहुत सारे सफल फील्ड परीक्षण किए गए हैं. इस साल हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगना, आंध्र प्रदेश और बिहार के कुछ प्रगतिशील किसानों बीज भी दिया गया है. अब तक के नतीजे उत्साहवर्धक रहे हैं और उम्मीद है कि अगले फसल वर्ष तक इसे व्यावसायिक रूप से लॉन्च कर दिया जाएगा.
लाल गाजर की उन्नत किस्म अजूबा-117 की विशेषताएं
लाल गाजर की उन्नत किस्म अजूबा-117 को किसान गर्मियों में भी भंडारण कर सकते हैं और जब बाजार में लाल गाजर की फसल उपलब्ध नहीं होती है, तो उस समय बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. नैनटेस या पीली गाजर की तुलना में किसानों को न्यूनतम ₹10 प्रति किलोग्राम अतिरिक्त लाभ मिल सकता है. कंपनी के अनुसार, अब तक मिले परिणाम के आधार पर हम कह सकते हैं कि इसकी भंडारण क्षमता चार महीने से अधिक हो सकती है. उपभोक्ता और व्यापारी इसे मई, जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर जैसे ऑफ सीजन में भी प्राप्त कर सकते हैं. इसकी लंबाई नैनटेस के समान है. लेकिन, देशी रेड या पूसा केसर के समान नहीं है.
यह एफपीओ और किसानों के लिए बहुत अच्छा साबित होगा जो भंडारण और बिक्री करना चाहते हैं. इसके अलावा, कंपनी लाल गाजर की जीवंत प्रदर्शनी कर किसानों और डीलर्स को आमंत्रित करने की योजना बना रही है. ताकि सभी इसकी उत्पादकता और गुणों से भलीभांति परिचित हो सकें.