मिट्टी का पी.एच. मान
यह ऐसा मानक है जिसके द्वारा मृदा की अभिक्रिया का पता चलता है, कि मिट्टी सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति की है. मृदा पी.एच. मिट्टी में होने वाली कई रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है. इसके घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर असर पड़ता है. मिट्टी का पीएच मिट्टी की अम्लता या क्षारीयता का एक पैमाना है.समस्याग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त किस्मों की संस्तुति की जाती है. जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो. मृदा पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है. पी.एच. मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय कहलाती है.
मिट्टी परीक्षण में मिट्टी पी.एच. पता चल जाने के बाद समस्या ग्रस्त क्षेत्रों में फसल की उपयुक्त उन किस्मों की सिफारिश की जा सकती है जो अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो तथा मृदा पी.एच. मान 6.5 से 7.5 की बीच पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है तथा अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की संतुति की जाती है.निश्चित पी.एच. मान पर ही पोषक तत्वों की उपलब्धता पौधों को मिल पाती है जैसे- नाइट्रोजन की उपलब्धता 6.0 से 8.0 पी.एच. मान पर ही होती है वैसे ही फास्फोरस 6.5-7.5, पोटेशियम 6.0-10.0, सल्फर 6.0-10.0, केल्सियम 6.5-8.5, मैग्निशियम 6.5-8.5, आयरन (लोहा) 4.0-6.5 मैगनीज 5.0-6.5 और बोरॉन 5.0-7.0 पी.एच. मान पर ही पोषक तत्वों की उपलब्धता पौधों को मिल पाती है.
जैविक कार्बन
गोबर की खाद, केंचुए की खाद, हरी खाद, फसलों के अवशेष, पशुओं से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थ आदि से मृदा को कार्बनिक पदार्थ मिलते है और इन्ही कार्बनिक पदार्थ में जैविक पदार्थ उपलब्ध पाये जाते हैं. मृदा कार्बनिक पदार्थ विच्छेदन व संश्लेषण प्रतिक्रियाओं द्वारा ह्यूमस बनता है, जो मृदा स्वास्थ्य में सुधार के साथ मृदा की उर्वरता बनाये रखता है. भूमि में जैविक कार्बन की अधिकता से मिट्टी की भौतिक और रासायनिक गुणवत्ता बढ़ती है. मृदा में कई पोषक तत्व पहले से मौजूद होते हैं जो जैविक कार्बन के संपर्क में आने से पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध अवस्था में पौधों को मिल पाते हैं. भूमि की भौतिक गुणवत्ता जैसे मृदा संरचना, जल ग्रहण शक्ति आदि जैविक कार्बन से बढ़ते हैं. इसके अतिरिक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता स्थानांतरण एवं रूपांतरण और सूक्ष्मजीवी पदार्थों व जीवों की वृद्धि के लिए भी जैविक कार्बन बहुत उपयोगी होता है. यह पोषक तत्वों की लीचिंग (भूमि में नीचे जाना) को भी रोकता है.
विद्युत चालकता (लवणों की सांद्रता)
मृदा विद्युत चालकता (ईसी) एक अप्रत्यक्ष माप है जो मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ बहुत गहरा संबंध रखता है. मृदा विद्युत चालकता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता का एक संकेत है. मिट्टी में लवणों की अधिक सान्द्रता पोषक तत्वों के अवशोषण की क्रिया पर हानिकारक प्रभाव छोड़ती है. मृदा विद्युत चालकता स्तर का बहुत कम होना कम उपलब्ध पोषक तत्वों को इंगित करते हैं, और बहुत अधिक ईसी स्तर पोषक तत्वों की अधिकता का संकेत देते हैं. कम ईसी वाले अक्सर रेतीली मिट्टी में कम कार्बनिक पदार्थ के स्तर के साथ पाए जाते हैं, जबकि उच्च ईसी स्तर आमतौर पर मिट्टी में उच्च मिट्टी सामग्री (अधिक क्ले) के साथ पाए जाते हैं. मृदा कण बनावट, लवणता और नमी मिट्टी के गुण हैं जो ईसी स्तर को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं.