देश में साक्षरता का मामला हो या साफ-सफाई का, सिक्किम हर मामले में मिसाल कायम कर रहा है. देश का यही राज्य ऐसा है जिसके नाम जैविक खेती करने का खिताब शामिल है. सिक्किम में लगातार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं को चलाया जा रहा है. दरअसल सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने अपने राज्यों के किसानों को सलाह दी है कि वह राज्य में घरेलू मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक जैविक खेती कर जैविक उत्पादन करने का काम करें. इससे राज्य के लोगों और किसानों को सीधा फायदा होने की उम्मीद है.
जैविक उत्पादन को मिल रहा बढ़ावा
सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग ने सिक्किम जैविक दिवस पर आयोजित 'सह कृषि उन्नति मेले' में कहा कि हमारी सरकार ने आने वाले पांच सालों के भीतर सिक्किम को अनाज उत्पादन में आत्म निर्भर बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है और इसे पूरा करने के लिए हमारे किसानों को कम से कम घरेलू मांग के लिए जैविक अनाज उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.
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भूखंडों पर हो पूरी खेती
चामलिंग का कहना है कि जैविक अनाज के मामले में सिक्किम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह से कोई भी भूखंड खाली ना रहें. यहां तक की खेती के उद्देश्य से घर की छतो और दीवारों पर लबंवत उद्यान का भी विकल्प तलाशा जाना चाहिए. मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने कहा कि किसान अपनी जमीन का सत्यापन कृषि एवं बागवानी विभागों से जैविक खेती योग्य जमीन के तौर पर कराए.
सिक्किम के बारे में
गौरतलब है कि सिक्किम भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसे वर्ष 2016 में पूर्ण रूप से जैविक घोषित किया गया था. यहां की राज्य सरकार ने जैविक अभियान की कामयाबी को सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल प्रदेश में बाहर से किसी भी किस्म के गैरजैविक खाद्य पदार्थों की आपूर्ति पर भी पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिये थे. इसके अलावा सिक्किम ने वर्ष 1998 में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी और सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस राज्य के लोग इस नियम का पूरी तरह से पालन करते हैं. इसके अलावा महिलाओं को भी राज्य की राजनीति में 50 फीसदी स्थान देने वाला अग्राणी राज्य सिक्किम ही बना है. बता दें कि इसी साल सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.
किशन अग्रवाल, कृषि जागरण