भारतीय किसान आज भी पूरे मन से खेती करते हैं चाहे परंपरागत खेती हो या आधुनिक खेती दोनों के लिए जी जान लगाकर काम करते हैं. किसान पहले से ज्यादा जागरूक भी हो गए हैं. किसान भाई फसलों का चुनाव भी सावधानी से करने लगे हैं. यही कारण है कि आजकल किसानों का ध्यान उन फसलों के उत्पादन पर रहता है जो ज्यादा मुनाफा दें, जिनकी मांग बाजार में ज्यादा हो.
आज किसानों के बीच शरीफा की खेती बहुत लोकप्रिय है. देश के कई हिस्सों में किसानों ने इसकी खेती करके बढ़िया पैसे कमाए हैं और कमा रहे हैं. इसे आम लोग सीताफल के नाम से जानते हैं. यह अत्यंत मीठा फल होता है और बेहद स्वादिष्ट होता है.
क्यों आसान है शरीफा की खेती
यह एक बहु प्रचलित औषधीय पौधा है. चिकित्सक इसकी पत्तियों को खाने की सलाह देते हैं. यह पेट के लिए बेहद फायदेमंद है. इस उपयोगी पौधे का प्रयोग तेल और साबुन बनाने में भी किया जाता है. यही कारण है कि आजकल इसकी मांग बहुत बढ़ गई है. इसकी खेती भी बहुत आसान है क्योंकि इसके पौधे को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती.
जानवर और कीट रहते हैं दूर
औषधीय स्वाद होने के कारण इस पौधे को जानवरों से कोई खतरा नहीं होता. जानवर इससे दूर ही रहते हैं. हल्की सी कड़वाहट होने के कारण हानिकारक कीड़े और बीमारियां भी इस पौधे से दूर रहती हैं.
कैसी भूमि है शरीफा की खेती के लिए उपयुक्त
शरीफा के पौधों की खेती किसी भी प्रकार की भूमि में की जा सकती है. अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी इसके लिए ज्यादा बढ़िया मानी जाती है क्योंकि इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है. वैसे शरीफा एक रफ एंड टफ पौधा है कमजोर और पथरीली जमीन पर भी इसकी खेती की जा सकती है.
कौन सा है खेती का उपयुक्त समय
शरीफा की खेती के लिए मानसून यानी जुलाई और अगस्त का महीना बहुत अच्छा माना जाता है. यह बात ध्यान देने योग्य है कि शरीफा का बीज जमने में कुछ समय लगाता है इसलिए इसकी बुवाई से पहले इसे चार-पांच दिन के लिए पानी में भीगने के लिए रख दें. ऐसा करने से इसे अंकुरण में मदद मिलती है. यदि बीजारोपण के दौरान बरसात में हो रही हो तो खेती की शुरुआत से पहले तीन-चार दिन तक सिंचाई कर लेना ठीक रहता है.
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कितना होगा मुनाफा
शरीफा के पौधे की खेती के लिए थोड़ा संयम बरतना होता है क्योंकि इसके पौधे खेत में लगाने के दो-तीन साल बाद फल देना शुरू करते हैं. इसके फलों को तोड़ने का कार्य तभी करें जब ये पूरी तरह से पक जाएं. शरीफा का पौधा यदि विकसित हो जाता है तो यह 100 से ज्यादा फल देता है. बाजार में ये फल 40 रुपये से 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बिकते हैं इसलिए यदि 1 एकड़ में लगभग 500 पौधे लगाए जाएं तो 3 लाख से 4 लाख तक की कमाई सालाना हो सकती है इसलिए आजकल किसान शरीफा की खेती को प्राथमिकता देने लगे हैं.