मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के खापा गांव का किसान रामभरोसे पंचरेश्वर काले गन्ने की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. उन्हें सामान्य गन्ने की तुलना में दो से गुना अधिक दाम मिल रहे हैं. यही वजह है कि राम भरोसे आर्थिक रूप से भी मजबूत हो रहे हैं. वे अपने गन्ने को नजदीकी मंडी में अच्छे दामों पर बेच रहे हैं. उनका गन्ना मंडी में हाथोंहाथ बिक जाता है. तो आइए जानते हैं काले गन्ने की खेती से कैसे अच्छी आमदानी करें -
30-40 रुपये प्रति नग
रामभरोसे का कहना है कि सामान्य गन्ने की किस्मों की तुलना में काला गन्ना अधिक मुलायम और मीठा होता है. इसका उपयोग गुड़ शकर बनाने के अलावा जूस बनाने में किया जाता है. इसका जूस स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत उपयोगी होता है. जो पीने वाले के शरीर में तरावट ला देता है. दरअसल, इस गन्ने में ग्लूकोस की मात्रा सामान्य गन्ने की तुलना में अधिक होती है. यही वजह है कि यह पीलिया रोगियों के लिए फायदेमंद होता है. उनका कहना है कि वह नागपुर और भोपाल मंडी में काला गन्ना बेचते हैं. जहाँ सामान्य गन्ने के प्रति नाग 10 से 20 रूपये मिलते हैं वहीं उन्हें काले गन्ने के 30 से 40 रुपये नग मिलते हैं. यही वजह है कि काला गन्ना उनकी आर्थिक सेहत भी सुधार रहा है.
ग्रेडिंग करने से ज्यादा फायदा
किसी भी फसल को अच्छे दाम में बेचने के लिए ग्रेडिंग बहुत जरूर है. गुणवत्तापूर्ण माल को मंडी या बाजार में बेचना काफी आसान होता है. यही वजह है कि रामभरोसे भी अपनी फसल की ग्रेडिंग करके बेचते हैं. उनका कहना है कि वे अपने गन्ने की तीन क़्वालिटी ए, बी और सी बनाते हैं. वह मोटे और पतले के आधार पर यह ग्रेडिंग करते हैं. उनका ए ग्रेड गन्ना पिछले वर्ष 42 रुपये प्रति नग के हिसाब से बिका था. इस साल उन्होंने अपना कामठी मंडी में बेचा था जहां उन्हें 18 से 32 रुपये के दाम मिले थे. रामभरोसे का कहना है कि उनकी सी ग्रेड का गन्ना भी 10 से 15 रुपये प्रति नग में आसानी से बिक जाता है. इसकी वजह गन्ने का मुलायम होना और रस की मात्रा अधिक होना है.
प्रति एकड़ 80 हजार का मुनाफा
पिछले साल रामभरोसे ने एक एकड़ में काला गन्ना लगाया था. इसमें उन्होंने करीब 40 हजार रुपये खर्च किए थे. वहीं उन्हें अपनी फसल से 1.20 लाख रुपये की आमदनी हुई थी. इसमें शुद्ध मुनाफा देखा जाए तो करीब 80 रुपये होता है. रामभरोसे ने बताया कि काले गन्ने की फसल 10 महीने में तैयार हो जाती है. वहीं खेत की तैयारी की बात करें तो वे बताते हैं कि वे जैविक तरीके से ही गन्ने की खेती करते हैं. इसलिए खेत में करीब 8 ट्राली गोबर खाद डालते हैं. इधर, रामभरोसे से प्रेरित होकर दूसरे किसानों का भी काले गन्ने की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है. इसके लिए वे रामभरोसे से प्रशिक्षण लेने के लिए गाँव पहुँच रहे हैं.