सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 3 May, 2021 5:28 PM IST
Drip irrigation system

यह एक बेहद नई सिंचाई प्रणाली है जिसमें सेन्सर की मदद से मिट्टी में उपलब्ध नमी की मात्रा के आधार का पता कर स्वतः ही पौधों की जड़ों के पास पानी को ड्रिप सिंचाई के मदद से दे दिया जाता है.

मृदा नमी सेंसर आधारित स्वचालित ड्रिप सिंचाई प्रणाली में प्रयोग होने वाले उपकरण (Equipment used in soil moisture sensor based automatic drip irrigation system)

सेंसर आधारित ऑटोमेंटिक ड्रिप इरिगेशन सिस्टम में मुख्यतः पारंपरिक ड्रिप सिंचाई में उपयोग होने वाले उपकरणों के साथ-साथ एक सिंचाई कंट्रोलर, मोटर रिले, सोलेनोइड वाल्व व मृदा नमी सेंसर को भी उपयोग में लिया जाता है. फसल उत्पादन में मृदा नमी सेंसर को खेत में पोधे की जड़ के पास मृदा में दबा दिया जाता है. खेत में जाने वाले पाइप के बीच में सोलेनोइड वाल्व को लगाते हैं, जो कंट्रोलर के द्वारा दिये संकेत के आधार पर खुलता व बंद होता है. ये फसल मिर्च, कपास, कदुवर्गीय, भिंडी या बागवानी फसल हो सकती है, जिनमें ड्रिप इरीगेशन सिस्टम उपयोग किया जाता है.

मृदा नमी सेंसर प्रणाली की कार्य पद्धति (Working Method of Soil Moisture Sensor System:)

मृदा नमी सेंसर आधारित ड्रिप सिस्टम में, सेंसर 1 घंटे के समय अंतराल के बाद संकेत के माध्यम से सर्वर को मिट्टी में उपलब्ध नमी की मात्रा का डेटा संचारित करते हैं. फसल के लिए कंट्रोलर के डेटाबेस में नमी की मात्रा फिक्स कर देते हैं. इस नमी की मात्रा से कम नमी होने पर सिस्टम औटोमेंटिक शुरू हो जाता है. सेंसर से प्राप्त नमी संकेतों की तुलना तब तक की जाएगी जब तक कि सेंसर से प्राप्त नमी की मात्रा डेटाबेस में पहले से निर्धारित नमी की मात्रा के बराबर नहीं हो जाती, यदि सेंसर से प्राप्त नमी की मात्रा डेटाबेस मेंल खाती हैं या थ्रेसहोल्ड मान से ऊपर हैं, तो माइक्रोकंट्रोलर पौधों को पानी देना बंद करने के लिए पंप को बंद कर देगा. इस पर्याप्त मृदा नमी से पौधों की जड़ों में हमेंशा एक समान नमी बनी रहती है जिससे पौधों की पत्तिया चैड़ी होती हैं और ज्यादा भोजन बना पाती है.

मृदा नमी सेंसर सिस्टम से पौधे को फायदे (Soil moisture sensor system benefits plants)

इस तकनीक का उपयोग करके ऊबड़-खाबड़, समुद्रीय तटीय एवं बंजर जमीन को भी उपयोगी बनाया जा सकता है. इस पद्धति को अपनाने से जल को 30 से 60 प्रतिशत तक बचा सकते हैं. इसके प्रयोग से फसल में दिये जाने वाले रसायनिक उर्वरक की मात्रा 30 से 45 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इस सिंचाई पद्धति में पानी जड़ के समीप ही दिया जाता है.

जिससे आस पास की सूखी भूमि में अनावश्यक खरपतवार पैदा नही होते है. जिससे भूमि में उपलब्ध पोषक तत्व सिर्फ पौधे ही उपयोग करते हैं. इस तकनीक के प्रयोग से अधिक उत्पादन के साथ उच्च गुणवत्ता वाली उपज मिलती है, जिसका बिक्री मूल्य ज्यादा होता है.

English Summary: Sensor Based Automatic Drip Irrigation System
Published on: 03 May 2021, 05:31 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now