भारत के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोगों के द्वारा खेती-किसानी/ Farming Activities के कार्यों को किया जाता है. किसान फसल से अच्छा उत्पादन पाने के लिए कई तरह के कार्य को करते है, जिसमें मुख्य कार्य बीजों का उपचार करना होता है. बात दें कि बीज खेती की नींव का मूल आधार होता है. क्योंकि अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों से ही फसल से किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा बीज उपचार से कई तरह के अन्य कार्य से भी निजात मिलती है. इसी क्रम में आज हम किसानों के लिए बीज उपचार क्यों जरूरी है इससे जुड़ी पूरी जानकारी लेकर आए हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि बीज उपचार एक महत्वपूर्ण कृषि प्रविधि है जो पौधों के विकास और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में मदद करता है. ऐसे में आइए बीज उपचार के बारे में विस्तार से जानते हैं-
बीज उपचार क्यों जरूरी है?
हरियाणा कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई सूचना के मुताबिक, किसानों के लिए बीज उपचार बेहज जरूरी हैं, क्योंकि इसे फसल उत्पादन के साथ-साथ खेती से जुड़े अन्य कार्य भी आसान हो जाते हैं. जो कुछ इस प्रकार से हैं-
-
बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों पर नियंत्रण करना आसान हो जाता है.
-
बीज उपचार से अंकुरण में सुधार होता है.
-
इससे फसल में लगने वाले घातक कीटों से सुरक्षा होती है.
-
बीज उपचार करने से मृदा कीट नियंत्रण होता है.
-
इसके अलावा समय पर बीज उपचार करने से किसानों के ऊपर बीज उत्पादन लागत में कमी देखने को मिलती है.
-
लाभकारी सूक्षम जूवों की वृद्धि
-
फसलों की उचित गुणवत्ता होती है.
बीज उपचार ऐसे करें
फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को बीज उपचार करना चाहिए. इसके लिए आपको सबसे पहले ग्राम थाईरम या एग्रोसन जी.एन. या कैपटन या विटावेक्स प्रति किलो बीज से उपचार कर सकते हैं. फिर बीज को फंफूदनाशक के साथ अच्छी तरह मिलाना है.
इसके बाद उन्हें आपको कुछ देर के लिए छाया में रख देना है, जिससे उसमें फफूदनाशक का असर रहे. ध्यान रहे कि अगर आप पहले से ही अपने खेत में उपचारित बीज का उपयोग कर रहे हो, तो उन्हें उपचारित न करें.
ये भी पढ़ें: जैव उर्वरकों को प्रयोग एवं तैयार करने की विधि, लाभ एवं सावधानियां
इसके अलावा किसान सूर्यकिरणों के माध्यम से भी बीज उपचार कर सकते हैं. इसके लिए किसानों को बीजों को ठन्डे पानी में भिगोकर गर्मी के महीनों में सुबह के समय 8 से 12 बजे तक रखे और दोपहर बाद सुखाए. इससे फंफूदनाशक के उपयोग बिना रोग नियंत्रण हो सकता है. किसानों को बीज सुखाते समय सावधानियां बर्तनी चाहिए. ताकि बीज की अकुंरण क्षमता बनी रहे.