किसान खरीफ मौसम में धान की खेती को प्रमुख मानते हैं. इसकी उन्नत खेती नर्सरी से लेकर बीज की मात्रा, बीज उचपार, बुवाई, सिंचाई समेत कई महत्वपूर्ण प्रंबध पर निर्भर होती है.
कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो पिछले साल कई किसानों की फसल को कंडुआ रोग ने अपनी चपेट में ले लिया था.
ऐसे में ज़रूरी है कि किसान इस साल पहले से ही धान की फसल को इस रोग से बचाकर रखें, ताकि फसल की पैदावार प्रभावित न हो. इसके लिए किसान को धान के बीजों का शोधन करना होगा.
ऐसे करें बीज का सोधन (This is how seeds are treated)
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धान की नर्सरी तैयार से पहले बीज शोधन ज़रूर करना चाहिए.
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सबसे पहले लगभग 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन लें, इसको लगभग 40 से 45 लीटर पानी में घोल लें. इसके बाद धान के बीजों को इसमें 16 से 18 घंटे के लिए भिगोकर रख दें.अब बीजों को छानकर छाया में सुखा लें.
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इसके बाद बीजों में लगभग 60 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाएं और जूट की बोरियों को भिगोकर ढक दें. इसे लगभग 15 से 18 घंटे के लिए छोड़ दें.
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जब बीज में सफेद अंकुरण दिखाई देने लगे, तब इससे धान की नर्सरी तैयार करें. ध्यान दें कि यह प्रक्रिया शाम के समय ही करें.
अन्य ज़रूरी जानकारी (Other important information)
कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि जब धान में बाली आने लगती हैं, तब लगभग 500 मिलीलीटर प्रोपीकोनाजोल को लगभग 400 लीटर पानी में घोल लें और प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़क दें.
अगर बालियों में दाने की जगह कंडुआ दिखाई दे, तो तुरंत बालियों को सावधानी से तोड़कर थैलियों में भरकर मिट्टी में गाड़ दें. इससे बीजाणुं हवा में उड़ नहीं पाएंगे. इस तरह धान की फसल कंडुआ रोग के प्रकोप से बच सकती है.
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