Aaj Ka Mausam: देश के इन 3 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें अगले 4 दिन कैसा रहेगा मौसम? PM Kusum Yojana से मिलेगी सस्ती बिजली, राज्य सरकार करेंगे प्रति मेगावाट 45 लाख रुपए तक की मदद! जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया Farmers News: किसानों की फसल आगलगी से नष्ट होने पर मिलेगी प्रति हेक्टेयर 17,000 रुपये की आर्थिक सहायता! Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक Wheat Farming: किसानों के लिए वरदान हैं गेहूं की ये दो किस्में, कम लागत में मिलेगी अधिक पैदावार
Updated on: 30 May, 2020 5:47 PM IST
Paddy Disease

किसान खरीफ मौसम में धान की खेती को प्रमुख मानते हैं. इसकी उन्नत खेती नर्सरी से लेकर बीज की मात्रा, बीज उचपार, बुवाई, सिंचाई समेत कई महत्वपूर्ण प्रंबध पर निर्भर होती है. 

कृषि वैज्ञानिक की मानें, तो पिछले साल कई किसानों की फसल को कंडुआ रोग ने अपनी चपेट में ले लिया था.

ऐसे में ज़रूरी है कि किसान इस साल पहले से ही धान की फसल को इस रोग से बचाकर रखें, ताकि फसल की पैदावार प्रभावित न हो. इसके लिए किसान को धान के बीजों का शोधन करना होगा.

ऐसे करें बीज का सोधन (This is how seeds are treated)

  • धान की नर्सरी तैयार से पहले बीज शोधन ज़रूर करना चाहिए.

  • सबसे पहले लगभग 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन लें, इसको लगभग 40 से 45 लीटर पानी में घोल लें. इसके बाद धान के बीजों को इसमें 16 से 18 घंटे के लिए भिगोकर रख दें.अब बीजों को छानकर छाया में सुखा लें.

  • इसके बाद बीजों में लगभग 60 ग्राम कार्बेंडाजिम मिलाएं और जूट की बोरियों को भिगोकर ढक दें. इसे लगभग 15 से 18 घंटे के लिए छोड़ दें.

  • जब बीज में सफेद अंकुरण दिखाई देने लगे, तब इससे धान की नर्सरी तैयार करें. ध्यान दें कि यह प्रक्रिया शाम के समय ही करें.

अन्य ज़रूरी जानकारी (Other important information)

कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि जब धान में बाली आने लगती हैं, तब लगभग 500 मिलीलीटर प्रोपीकोनाजोल को लगभग 400 लीटर पानी में घोल लें और प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़क दें. 

अगर बालियों में दाने की जगह कंडुआ दिखाई दे, तो तुरंत बालियों को सावधानी से तोड़कर थैलियों में भरकर मिट्टी में गाड़ दें. इससे बीजाणुं हवा में उड़ नहीं पाएंगे. इस तरह धान की फसल कंडुआ रोग के प्रकोप से बच सकती है.

ऐसी ही कृषि सम्बंधित जानकारियां पाने के लिए जुड़े रहें हमारी कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट के साथ...

English Summary: Seed treatment to avoid paddy Kanduwa disease
Published on: 30 May 2020, 05:52 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now