Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 20 November, 2022 1:47 PM IST
ऐसे करें गुलाब की खेती, मिलेगा कई गुणा फायदा

गुलाब प्रकृति प्रदत्त एक अनमोल फूल है जिसकी आकर्षक बनावट, सुन्दर आकार, लुभावना रंग एवं अधिक समय तक फूल का सही दिशा में बने रहने के कारण इसे बेहद पसंद किया जाता है. यदि गुलाब की खेती वैज्ञानिक विधि से की जाए तो इसके बगीचे से लगभग पूरे वर्ष फूल प्राप्त किये जा सकते हैं. जाड़े के मौसम में गुलाब के फूल की छटा तो देखते ही बनती है. इसके एक फूल में 5 पंखुड़ी से लेकर कई पंखुड़ियों तक की किस्में विभिन्न रंगों में उपलब्ध हैं.

पौधे छोटे से लेकर बड़े आकार के झाड़ीनुमा होते हैं इसके फूलों का उपयोग पुष्प के रूप में, फूलदान सजाने, कमरे की भीतरी सज्जा, गुलदस्ता, गजरा, बटन होल बनाने के साथ-साथ गुलाब जल, इत्र एवं गुलकन्द आदि बनाने के लिए किये जाते हैं.

जलवायु -

ठंड एवं शुष्क जलवायु गुलाब के लिए उपयुक्त होती है. जाड़े में इसके फूल अति उत्तम कोटि के प्राप्त किए जाते हैं, क्योंकि जाड़े में वर्षा बहुत कम यानी की ना मात्र में होती है तथा रात्रि का तापक्रम भी कम हो जाता है. लेकिन अत्यधिक कम तापक्रम पर फूल को नुकसान पहुंचता है तथा कभी-कभी फूल खिलने से भी वंचित रह जाते हैं.

भूमि -

गुलाब की खेती लगभग सभी प्रकार के मिट्टियों में की जा सकती है परन्तु दोमट, बलुआर दोमट या मटियार दोमट मिट्टी जिसमें ह्यूमस प्रचुर मात्रा में हो, तो वह बहुत ही उत्तम होती है. साथ ही पौधों के उचित विकास हेतु छायादार या जल जमाव वाली भूमि नहीं हो, बल्कि इसकी जगह ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ पर पूरे दिन धूप हो, यह इस फूल के लिए अति आवश्यक है. छायादार जगह में उगाने से पौधों का एक तो विकास ठीक नहीं होगा, दूसरे पाउड्री मिल्ड्यु रस्ट आदि बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है.

गुलाब की प्रमुख किस्में -

गुलाब के किस्मों में मुख्यतः सोनिया, स्वीट हर्ट, सुपर स्टार, सान्द्रा, हैप्पीनेस, गोल्डमेडल, मनीपौल, बेन्जामिन पौल, अमेरिकन होम, गलैडिएटर किस ऑफ फायर, क्रिमसन ग्लोरी आदि है.

भारत में विकसित प्रमुख किस्में -

पूसा सोनिया प्रियदर्शनी, प्रेमा, मोहनी, बंजारन, डेल्ही प्रिसेंज आदि. सुगंधित तेल हेतु किस्में - नूरजहाँ, डमस्क रोज.

गुलाब के नये पौधें

प्रवर्धन -

नयी किस्में बीज द्वारा विकसित की जाती है, जबकि पुरानी किस्मों का प्रसारण कटिंग, बडिंग, गुटी एवं ग्राफ्टिंग विधि द्वारा किया जाता है परन्तु व्यावसायिक विधि “टी” बडिंग ही है. टी-बडिंग द्वारा प्रसारण करने के लिए बीज पौधे (रूट स्टॉक) को पहले तैयार करना पड़ता है. इसके लिए जुलाई-अगस्त माह में कटिंग लगानी चाहिए, जो कि दिसम्बर-जनवरी तक बडिंग करने योग्य तैयार हो जाती है .

कटिंग (रूट स्टॉक) तैयार करना -

रूट स्टॉक तैयार करने के लिए एडवर्ड (रोजा बोर्बोनिअना) किस्म सबसे अधिक प्रचलित एवं हमारे क्षेत्र के लिए उत्तम है. इसके अलावा रोजा मल्टीफ्लोरा (रोजा मल्टीफ्लोरा) या रोजा इण्डिका पाउड्री मिल्ड्यु रोधी किस्म का भी चुनाव किया जा सकता है. पौधों में से स्वस्थ टहनी जो लगभग पेंसिल की मोटाई की हो 15-20 सेमी. लम्बाई में सिकेटियर से काटकर निचले भाग की तरफ रूटिंग हार्मोन जैसे केराडिक्स, रूटा डिक्स, रूटेक्स या सूरूटेक्स से उपचारित कर जड़ निकालने हेतु तैयार क्यारियों या बालू अथवा वर्मीकुलाइट भरे बर्तन में कटिंग को लगा दें तथा नमी बनाये रखें. जड़ निकलने पर बडिंग करने हेतु तैयार की गई क्यारियों में कटिंग को लगा दें.

कालिकाटान (बडिंग) -

तैयार रूटस्टॉक के पौधे में से नयी शाखा जो लगभग पेंसिल की मोटाई जितनी हो, का चुनाव करना चाहिए. अब इन चुनी हुई शाखाओं में जमीन से लगभग 15-20 सेमी. ऊपर अंग्रेजी के 'T' आकार का चीरा लगभग 2.5 सेमी. लम्बवत् तथा 125 सेमी. ऊपर (क्षितिज के समानांतर) बडिंग करने वाले ही रोपाई करनी चाहिए.

खाद एवं उर्वरक -

गुलाब के नये पौधों को रोपने के पहले प्रत्येक गड्ढे में आधा भाग मिट्टी में आधा भाग सड़ा हुआ कम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे को भरना चाहिए तथा पुराने पौधे की कटाई-छंटाई एवं चाकू से लगायें, अब मातृ पौधे से लगभग 2.5 सेमी. लम्बी ढाल आकार में छिलके सहित स्वस्थ कली को टी आकार वाले चीरे में सावधानी पूर्वक घुसाकर पॉलीथिन पट्टी (200 गेज मोटी, 1 सेमी. चौड़ी एवं 45 सेमी. लम्बी) से या केले के तने के रेशे से बांध देते हैं. चूँकि कली को मातृ पौधे से निकालते हैं. इसलिए मातृ पौधे का चुनाव करते समय यह ध्यान दें कि पौधे स्वस्थ एवं बीमारी रहित हो तथा ऐसी टहनी जिसमें शाकीय कलियाँ गुलाबी रंग की हो का चुनाव करें. चश्मा लगाने के बाद क्यारी में नमी बनाए रखने की आवश्यकता होती है. 15-20 दिन बाद कली से शाखा निकलने लगती है. चूँकि यह शाखा नई एवं कोमल होती है. अतः इसे मजबूती प्रदान करने के लिए नई कली निकलते ही उसे तोड़ दें, शाखा भी छोटी रखें. ये पौधे सितम्बर-अक्टूबर तक रोपने योग्य हो जाते हैं. यदि संभव हो तो जुलाई-अगस्त में एक बार इन पौधों को किसी ऊँचे स्थान पर स्थानांतरित करें, इससे पौधा स्वस्थ तैयार होता है.

गुलाब के नये फूल

खेत को तैयारी -

पौधा रोपने हेतु जगह का चुनाव करने के बाद उसे समतल कर लें तथा कंकड़-पत्थर आदि को चुनकर बाहर निकाल दें. खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. खेत का विन्यास (ले-आउट) करने के बाद क्यारी बना लें तथा किस्म के अनुसार उचित दूरी पर 20-45 सेमी. आकार के गड्ढे खोद कर उसमें सड़ा हुआ कम्पोस्ट मिला कर गड्ढे को भर दें.

विंटरिंग जो कि अक्टूबर-नवम्बर में करते हैं, इसके बाद खाद एवं उर्वरक का व्यवहार करें. विंटरिंग के बाद गड्ढे में आधा भाग मिट्टी व आधा भाग सड़ा हुआ कम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलाकर भर दें तथा क्यारियाँ बनाकर सिंचाई करें. इस क्रिया के लगभग 15-20 दिन बाद 90 ग्राम उर्वरक मिश्रण प्रति वर्ग मीटर की दर से जिसमें 2 भाग अमोनियम सल्फेट, 8 भाग सिंगल सुपर फास्फेट एवं 3 भाग म्युरेट ऑफ पोटाश की मात्रा को मिलाकर देना चाहिए. अमोनियम सल्फेट एवं पोटेशियम सल्फेट को पुनः पहला पुष्प समाप्त होने के बाद व्यवहार करना उपयुक्त रहता है. चमकदार फूल प्राप्त करने को लिए सात भाग मैग्नीशियम सल्फेट + सात भाग फेरस सल्फेट + तीन भाग बोरेक्स का मिश्रण तैयार कर 15 ग्राम, 10 लीटर पानी में घोलकर एक-एक माह के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

व्यावसायिक स्तर पर खेती करने के लिए 5-6 किग्रा. सड़ा हुआ कम्पोस्ट, 10 ग्राम नाइट्रोजन, 10 ग्राम फास्फोरस एवं 15 ग्राम पोटाश/वर्ग मीटर देना चाहिए. आधी मात्रा छंटाई के बाद तथा शेष 45 दिन बाद दें. भूमि की उर्वरा शक्ति एवं पौधे के विकास को ध्यान में रखते हुए 50-100 ग्राम गुलाब मिश्रण (रोज मिक्सर) जो कि बाजार में उपलब्ध है, छंटाई के एक सप्ताह बाद दिया जा सकता है.

गुलाब के फूल

कटाई-छंटाई (प्रूनिंग) -

यह क्रिया गुलाब के पौधे से अच्छे आकार के फूल प्राप्त करने के लिए अति आवश्यक होती है. अक्टूबर-नवम्बर का महीना इसके लिए उपयुक्त है. छंटाई करते समय यह ध्यान रखने की आवश्यकता होती है कि हाइब्रिड टी पौधे की गहरी छंटाई तथा अन्य किस्मों में हल्की स्वस्थ शाखाओं को छोड़कर अन्य सभी कमजोर एवं बीमारी युक्त शाखाओं को काटकर हटा दें तथा बची हुई शाखाओं को भी 3-6 ऑख के ऊपर से तेज चाकू या सिकेटियर द्वारा काट देना चाहिए. अन्य किस्मों में केवल पतली, अस्वस्थ एवं बीमारी युक्त शाखाओं को ही काटकर हटायें तथा बची हुई शाखाओं की केवल ऊपर से हल्की छंटाई करें.

विंटरिंग -

पौधों को छाँटने के तुरन्त बाद विंटरिंग की क्रिया करते हैं. इस क्रिया में 30–45 सेमी. व्यास एवं 15-20 सेमी. गहराई की मिट्टी को निकालकर 7-10 दिन तक जड़ों को खुला छोड़ देते हैं उसके बाद खाद एवं मिट्टी मिलाकर गड्ढे को भर कर तथा क्यारियाँ बनाकर सिंचाई करनी चाहिए.

रोपाई -

पौधे की रोपाई के लिए उपयुक्त समय अन्तिम सितंबर से अक्टूबर तक का महीना होता है. बड़े आकार वाले पौधे को 60–90 सेमी. तथा छोटे आकार वाले पौधे को 30–45 सेमी. की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए. रोपाई के पहले पौधे की सभी पतली टहनियों को काटकर हटा दें, केवल 4-5 स्वस्थ टहनियों को ही रखें तथा इन टहनियों को भी करीब 4-5’ ऊपर से काटने के बाद ही रोपाई करनी चाहिए.

अन्य देखरेख -

निराई-गुड़ाई एवं सिंचाई आवश्यकतानुसार समय-समय पर करनी चाहिए. मौसम के अनुसार खेत में नमी बनाये रखने के लिए गर्मी में 4-6 दिन पर तथा जाड़े में 15-20 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें. खेत को हमेशा खरपतवार से मुक्त रखने की भी कोशिश करें.

लाला रंग के फूल

कीड़े एवं बीमारियाँ-

गुलाब के पौधों में लगने वाले कीड़ों में दीमक, रेड स्केल, जैसिड, लाही (माहो) थिप्स आदि मुख्य हैं. इसकी रोकथाम समय पर करनी आवश्यक होती है. दीमक के लिए थीमेट (10%) दानेदार दवा 10 ग्राम या क्लोरपाइरीफास (20%) 25-5 मिली. प्रति 10 वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाएं. रेड स्केल एवं जैसिड कीड़े की रोकथाम के लिए सेविन 0.3 प्रतिशत या मालाथियान 0.1 प्रतिशत का छिड़काव करें. गुलाब की मुख्य बीमारी ‘डाइबैक” है. यह प्राय: छंटाई के बाद कटे भाग पर लगती है जिससे पौधों धीरे-धीरे ऊपर से नीचे की तरफ सुखते हुए जड़ तक सुख जाता है. तीव्र संक्रमण होने पर पूरा पौधा ही सुख जाता है. इसकी रोकथाम के लिए छंटाई के तुरन्त बाद कटे भाग पर चौबटिया पेस्ट (4 भाग कॉपर कार्बोनेट + 4 भाग रेड लेड + 5 भाग तीसी का तेल) लगाएं एवं 0.1 प्रतिशत मेलाथियान का छिड़काव करें. इसके साथ ही खेत की सफाई अर्थात निराई-गुड़ाई तथा खाद-उर्वरक उचित मात्रा में व्यवहार करें एवं पौधा को जल जमाव से बचायें, इससे बीमारी की रोकथाम में मदद मिलती है. इस बीमारी के अलावा ‘ब्लैक स्पाट” एवं पाउड्री मिल्डयू ’ जैसी बीमारियों का प्रकोप भी गुलाब के पौधे पर होता है. इसकी रोकथाम हेतु केराथेन 0.15 प्रतिशत या सल्फेक्स 0.25 प्रतिशत का छिड़काव करना उपयुक्त होता है.

डठल की कटाई एवं पैकिंग-

जब पुष्प कली का रंग दिखाई दे ताकि कली कसी हुई हो तो सुबह या सायंकाल पुष्प डंठल को सिकेटियर या तेज चाकू से काटकर पानी युक्त प्लास्टिक बकेट में रखें. इसके बाद 20-20 डंठल बनाकर एवं अखबार में लपेटकर रबर बैंड से बांध दें. कोरोगेटेड कार्डबोर्ड के 100 × 30 सेमी. या 50 × 6-15 सेमी. के बक्से में पैक कर बाजार भेजना चाहिए.

ऊपज-

2.5 से 50 लाख पुष्प डंठल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होता है.

भूपेंद्र सिंह,पथैना

परियोजना अधिकारी (उद्यान)

+918696309997

English Summary: Scientific cultivation of rose, will get double benefits, read the complete method
Published on: 20 November 2022, 01:59 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now