Dairy Farming: डेयरी फार्मिंग के लिए 42 लाख रुपये तक के लोन पर 33% तक की सब्सिडी, जानें पात्रता और आवेदन प्रक्रिया PM Kisan Yojana Alert: जिन किसानों का नाम लिस्ट से हटा, आप भी उनमें तो नहीं? अभी करें स्टेटस चेक Success Story: सॉफ्टवेयर इंजीनियर से सफल गौपालक बने असीम रावत, सालाना टर्नओवर पहुंचा 10 करोड़ रुपये से अधिक! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 8 January, 2019 11:46 AM IST

उत्तराखंड में अब सगंध खेती से ना केवल किसानों की किस्मत चमकेगी बल्कि बंजर खेतों में फिर से हरियाली भी लहराएगी. राज्य में सगंध खेती के उत्साहजनक नतीजों और इसकी अपार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए सगंध पौधा फूल केंद्र देहरादून ने अगले पांच साल का खाका तैयार किया है. इसके अंतर्गत हर साल संगध की खेती का दायरा पांच लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर प्रतिवर्ष 10 हजार किसानों को इससे जोड़ने का लक्ष्य है. इस मुहिम से पांच वर्षों में 50 हजार किसानों को जोड़ने का काम किया जाएगा, ताकि वे भी आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें.

पलायन से खेती हो रही प्रभावित

वर्तमान में उत्तराखंड में साढ़े आठ हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 18 हजार 120 किसान सगंध की खेती कर रहे हैं और उनका सालाना 70 करोड़ का टर्नओवर है. विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के गांवों से हो रहे पलायन ने खेती-किसानी को काफी प्रभावित किया है. अविभाजित उत्तर प्रदेश में यहां आठ लाख हेक्टेयर में खेती होती थी जबकि 2.66 लाख हेक्टेयर जमीन बंजर थी लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद खेती का रकबा घटकर सात लाख हेक्टेयर पर आ गया. ऐसे में उत्तारखंड के प्रतिष्ठान संगध पौधा केंद्र देहरादून ने उम्मीद जगाई है.

संगध खेती को मिलेगा बढ़ावा

सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान बताते हैं कि अगले पांच वर्षों में राज्य में 50 हजार लोगों को सगंध खेती से जोड़ा जाएगा. इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मनरेगा, हॉर्टिकल्चर मिशन के साथ ही राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत सगंध खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा एरोमा पार्क भी विभिन्न स्थानों पर तैयार होंगे, जहां किसान संगध खेती से मिलने वाले सगंध तेल जैसे उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे. यही नहीं, एरोमा पार्क में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के दरवाजे भी खुलेंगे.

कैमोमाइल की पहुंच यूरोप तक सगंध की खेती के तहत उत्तराखंड में उत्पादित कैमोमाइल के फूल यूरोप तक जा रहे हैं. इन फूलों का इस्तेमाल चाय बनाने में किया जाता है.

लैमनग्रास ने बदली तकदीर

सगंध खेती के तहत लैमनग्रास की खेती के जरिये भी तमाम क्षेत्रों में किसानों की तकदीर बदली है. ब्लॉक के किमगडीगाड-गवाणी के कमल सिंह ने लैमनग्रास की खेती कर नजीर पेश की है. वह कहते हैं कि बंजर भूमि को फिर से आबाद करने और किसानों की झोलियां भरने में सगंध खेती बेहद महत्वपूर्ण है. किसानों को काफी फायदा हो रहा है और वह ज्यादा से ज्यादा लैमनग्रास की खेती करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

English Summary: sagandha ki kheti badlegi 50 hazar kisano ki kismat
Published on: 08 January 2019, 11:48 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now