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Updated on: 6 March, 2023 9:00 PM IST
कसावा की खेती

देश में खेती-किसानी के जरिये अच्छी आमदनी कमाने के लिए किसान और वैज्ञानिक कई सफल कोशिश कर रहे हैं. अब बेहतर उत्पादन के लिए किसान उन्नत तकनीकों और उन्नत किस्मों पर काम कर रहे हैं. वैसे पारंपरिक फसलों का काफी महत्व हैलेकिन बागवानी फसलें भी किसानों को काफी अच्छा मुनाफा दे रही हैं. ऐसे में हम आपको कसावा की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं. बहुत ही कम लोग जानते हैं कि कसावा का इस्तेमाल साबूदाना बनाने में होता है दक्षिण भारत के किसान इसकी खेती करके अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. आईए जानते हैं कसावा की खेती के बारे में...

कसावा की जानकारी 

कसावा देखने में तो बिल्कुल शकरकंद जैसा होता है लेकिन इसकी लंबाई शकरकंद से ज्यादा होती है. अचानक देखने पर शकरकंद और कसावा के बीच अंतर नहीं ढूंढ पाएंगे. वहीं कसावा में स्टार्च भरपूर मात्रा में होता है. 

साबूदाना बनाने में होता इस्तेमाल

कसावा को बागवानी की फसलों की श्रेणी में गिना जाता है. शायद कम लोग ही जानते होंगे कि कसावा का इस्तेमाल साबूदाना बनाने में होता है. साबूदाना के अलावा कसावा को सबसे बेहतर पशु चारे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है इसके सेवन से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर बनता है और दूध की मात्रा भी बढ़ती है. फिलहाल दक्षिण भारत में कसावा की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. 

जलवायु

खेती के लिए गर्म मौसम की जरूरत होती है. कसावा ठंड को बर्दाश्त नहीं कर सकताइसलिए यह ग्रीनहाउस या कूलर क्षेत्रों में ठंडे फ्रेम संरक्षण के साथ सबसे अच्छा से बढ़ता है.

उपयुक्त मिट्टी

खेती के लिए उचित जल निकासी वाली मिट्टी की जरूरत होती है. 5.5 -7.0 पीएच रेंज वाली लाल लैटेरिटिक दोमटअच्छी बनावट की हल्कीगहरी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती हैकसावा उगाने के लिए रेतीली और चिकनी मिट्टी कम उपयुक्त होती है. 

खेत की तैयारी

अच्छी खेती के लिए खेत की 4-5 बार जुताई करनी चाहिएमिट्टी की गहराई कम से कम 30 सेमी होसाथ ही मेड़ और खांचे बनाना चाहिएहाथ से खेती करने के लिएजमीन को साफ करें और मिट्टी खोदेंभारी मिट्टी के लिए कोई भी टीला या लकीरें खींची जाती हैं. भारी मिट्टी के लिए यंत्रीकृत खेतीजाइरो-मल्चिंगजुताई- रिजिंग की जाती है.

कटिंग्स का चयन

एक हेक्टेयर रोपण के लिए 17,000 सेटों की जरूरत होगी. कटिंग को जल्द से जल्द लगाया जाता हैरोपण सामग्री लेने के लिए स्वस्थ मोजेक मुक्त पौधों का चयन करें. तने के बीच भाग से 8-10 गांठों के साथ 15 सेंटीमीटर लंबे सेट तैयार करेंसेट तैयार करने और संभालने के दौरान यांत्रिक क्षति से बचेंकट एक समान होना चाहिए. 

रोपण

कटिंग के निचले आधे हिस्से को हर फीट की पंक्तियों में लगाना चाहिए जो फीट अलग होते हैंयदि मिट्टी सूखी हैतो कटिंग को 45 डिग्री के कोण पर लगाएंयदि मिट्टी गीली हैतो लंबवत रूप से लगाएं.

सिंचाई

पहली सिंचाई रोपाई के वक्त करेंफिर अगली सिंचाई तीसरे दिन और उसके बाद तीसरे महीने तक 7-10 दिनों में एक बार और 8वें महीने तक 20-30 दिनों में एक बार करना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः टैपिओका या कसावा की खेती करने का तरीका और लाभ

खेती से लाभ

भारत में व्रत-उपवास और कई इलाकों में साबूदाने का सेवन बड़े पैमाने पर होता हैइसलिए कसावा की खेती कभी फेल नहीं होतीबल्कि ये आलू की तुलना में अधिक उत्पादन देती है. दक्षिण भारत में इसकी गिनती गेहूं और धान जैसी नकदी फसलों में होती है. वहीं कई कंपनियां कसावा की कांट्रेक्ट फार्मिंग करवाती हैंजिनसे जुड़कर भी मुनाफा कमा सकते हैं.

English Summary: Sabudana is made from cassava, farmers will get amazing profit from farming!
Published on: 06 March 2023, 11:29 AM IST

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