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Updated on: 17 March, 2021 5:05 PM IST
Carrot Farming

किसानों के लिए गाजर एक महत्वपूर्ण जड़वाली सब्जी की फ़सल है. इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में होती है. गाजर को कच्चा और पकाकर, दोनों तरीके से खाई जाती है. इसमें कैरोटीन व विटामिन ए होता है, जो मानव शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है.

मगर गाजर की खेती तभी सफलतापूर्वक की जा सकती है, जब किसान गाजर की उन्नत किस्म की बुवाई करें. अगर किसान गाजर की उन्नत किस्म  (Carrots Advanced Variety) की बुवाई करेंग, तो फसल से अच्छी उपज भी प्राप्त होगी. इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (Indian Agricultural Research Institute, Pusa) द्वारा एक किस्म विकसित की गई है. इसकी बुवाई से किसान गाजर की अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. आइए आपको गाजर की इस उन्नत किस्म की जानकारी देते हैं.

पूसा रूधिरा

यह गाजर की एक खुली परागित किस्म (OPV) है, जिसे कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (Indian Agricultural Research Institute, Pusa) नई दिल्ली में विकसित किया गया है. इस किस्म को साल 2008 में राज्य किस्म विमोचन सीमित द्वारा खेती के लिए जारी किया गया था.

पूसा रूधिरा किस्म के प्रमुख गुण

  • औसत उपज 30 टन/हेक्टेयर

  • मध्य भाग में स्वत रंग के साथ लंबी लाल जड़ें

  • त्रिकोणाकार आकृति, मद्य सिंतबर से अक्टूबर तक बुवाई के लिए उपयुक्त

  • इसके जड़ें मध्य दिसंबर के बाद से खुदाई व तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं.

आइए एक नजर पूसा रूधिरा के प्रदर्शन पर डालते हैं

मद/गतिविधि

साल 2016

साल 2017

साल 2018

साल 2019

बुवाई की तारीख

9.9.2016

2.9.2017

11.9.2018

15.9.2019

फसल अवधि (दिन)

90-100

90-100

90-100

90-100

कृषि रकबा (एकड़)

1.0

1.5

2.0

2.0

उपज (क्विंटल)

120.0

175.0

250.0

225.0

औसत बिक्री मूल्य (रुपए/किग्रा)

13.0

15.0

12.0

18.0

समग्र आय (प्रति एकड़ लाख रुपए)

1.56

1.75

1.50

2.00

कुल लागत (प्रति एकड़ लाख रुपए)

0.40

0.40

0.50

0.50

शुद्ध आय (प्रति एकड़ लाख रुपए)

1.16

1.35

1.00

1.50

लाभ लागत अनुपात (B:C)

2.9

3.37

2.0

3.0

उपयुक्त मिट्टी

इसके लिए गहरी, उचित जल निकास, बुलई दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है. पी.एच.मान 6 से 7 होना चाहिए.

खेत की तैयारी

मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करने के लिए लगभग 3 से 4 बार जुताई की जरूरत होती है.

बुलाई का समय

इसकी बुवाई के लिए सिंतबर का समय उपयुक्त माना गया है.

बीज दर

बुवाई के लिए 6 से 7 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त होता है. 

बुवाई का तरीका

  • इस किस्म की बुवाई में उठी हुई मेड़ 30 सेंटीमीटर (सेंमी) की दूरी पर बनाई जाती है.

  • 2 सेंमी गहराई वाली मेड़ों पर उथली लकीरें बनाई जाती हैं.

  • बीज को इन लकीरों में बोया जाता है.

  • मिट्टी और सड़ी हुई खाद के मिश्रण से अच्छी तरह ढक दिया जाता है.

  • पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेंमी रखें.

खाद व उर्वरक

  • उर्वरकों को मिट्टी की उर्वरता की स्थिति के आधार पर प्रयोग करना चाहिए.

  • अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 25 टन/हेक्टेयर पर्याप्त है.

  • सामान्य मिट्टी में नाइट्रोजन रू फास्फोरसरू पोटाश/120:60:60 किग्र/हेक्टेयर पर्याप्त है.

  • नाइट्रोजन आधी, फास्फोरस और पोटाश की पूरी खुराक का मिश्रण लकीरों के नीचे डाला जाता है.

  • आमतौर पर बुवाई से 1 या 2 दिन पहले लकीरों को सींचा जाता है.

  • बुवाई के 30 दिन बाद शेष बची हुई नाइट्रोजन की आधी खुराक खेत में डाल दें.

सिंचाई

  • जड़ों के बेहतर अंकुरण, वृद्धि और विकास के लिए खेत में नमी का इष्टतम स्तर ज़रूरी है.

  • बारिश या मौसम की स्थिति के आधार पर 5 से 7 दिनों के अंतराल पर फसल कू सिंचाई की जानी चाहिए.

  • क्षेत्र में अजैविक तनाव और पानी ठहराव, दोनों परिस्थितियां खराब गुणवत्ता वाली व अवांछनीय स्वाद की जड़ों का विकास करती है.

अंतरकृषण क्रियाएं और खरपतवार नियंत्रण

  • समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए.

  • आमतौर पर 15 से 20 और 30 से 35 दिनों बाद खरपतवार निकलवा दें.

फसल अवधि

इसकी फसल अवधि 90 से 100 दिन की होती है.

औसत उपज

इस किस्म की बुवाई से प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल उपज प्राप्त हो सकती है.

किसान की सुनें

किसान निर्भय सिंह का कहना है कि पूसा रूधिरा गाजर की एक उत्कृष्ट किस्म है. इस किस्म से पिछले 4 साल से प्रति एकड़ औसत 1 लाख रुपए से भी अधिक मुनाफ़ा कमाया है. इस किस्म का बाजार में अधिक मूल्य मिलता है.

बीज के लिए संपर्क सूत्र

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली – 011.25841670, 1800118989

सब्जी विज्ञान संभाग, भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली – 011.25846628

English Summary: Pusa Rudhira variety of carrots will give 300 quintals of yield to farmers
Published on: 17 March 2021, 05:48 PM IST

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