मिनी दाल मिल और पावर वीडर समेत 5 कृषि यंत्रों पर मिल रही है भारी सब्सिडी, जानें पूरी आवेदन प्रक्रिया उत्तर से दक्षिण तक मौसम का कहर! 12 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, जानें कहां कैसा रहेगा मौसम देसी गायों की डेयरी पर मिलेगी ₹11.80 लाख तक की सब्सिडी, जानिए आवेदन की पूरी प्रक्रिया किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 5 October, 2023 5:31 AM IST
PUSA-44

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार ने पानी की अधिक खपत करने धान की किस्म पूसा-44 पर अगले खरीफ सत्र से प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है. साथ ही साथ सीएम भगवंत मान ने पंजाब के किसानों से पराली ना जलाने के लिए भी आग्रह किया. बता दें कि पूसा-44 धान ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म है लेकिन राज्य की बेहतर आबोहवा के लिए पंजाब सरकार ने अगले साल से इस धान की खरीद करेगी ही नहीं. साथ ही साथ अगले सत्र से धान की किस्म पूसा-44 पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है. साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा कि पूसा-44 से पानी की खपत ज्यादा होती है. इससे पराली भी अधिक निकलती है.

पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों से आग्रह किया कि पराली ना जलाये

भगवंत मान ने किसानों से आग्रह के स्वर में कहा कि कृपया आप लोग पराली जलाने की प्रथा को बंद करें. साथ ही किसानों से कहा कि पराली के इन-सीट और एक्स सीट प्रबंधन के लिए किसानों को फसल अवशेष मशीनरी दी जाएगी.

किसानों को समझाते हुए कहा कि पराली जलाने की जो प्रथा काफी समय से चलती आ रही है अब उसे रोकने का वक्त आ गया है क्योंकि पराली जलाने की वजह से राज्य के साथ अन्य राज्यों की आबोहवा पर काफी असर पड़ता है.

इसे भी पढ़ें : 'लाल चावल' की खेती कर किसान कमा सकते हैं भारी मुनाफा, कीमत 250 रुपये किलो, जानें औषधीय गुण

पराली जलाने के नुकसान

पराली जलाने से वातावरण की हवा तो दूषित होती ही है साथ ही साथ हमारे स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. ऐसा कहा जाता है कि पराली इतना हानिकारक है कि इसके धुंए से आंखें पूरी तरह जलने लगती है. साथ ही साथ दमा, अस्थामा या दिल के मरीजों को काफी समस्या होती है. इतना ही नहीं पराली जिस जगह पर जलाई जाती है उसके अधिक ताप से जमीन की ऊर्वरा शक्ति कम हो जाती है. साथ ही साथ वो जमीन बंजर भी कभी-कभी हो जाती है. ऐसे में किसानों को पराली जलाने से बचना चाहिए. जिससे की राज्य की आबोहवा दूषित ना हो. लोगों के स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का बुरा असर ना पडे.

दो महीने खेत मिलेंगे खाली

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पूसा-44 धान को पकने में 152 दिन लगते हैं. इस किस्म से पराली भी अन्य किस्मों के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक पैदा होती है. इसके विपरीत पीआर-126 किस्म के धान को पकने में सिर्फ 92 दिन लगते हैं. दोनों किस्मों में दो माह का अंतर है. 

दो महीने का यह अंतर खेतों में पराली जलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि अक्तूबर के बाद चलने वाली हवाएं और ठंडा मौसम ही प्रदूषण को बढ़ाता है. उनका तर्क है कि किसानों को दो माह के लिए खेत भी खाली मिलेंगे, वहां पर सब्जी या कुछ अन्य बिजाई कर पैसा कमा सकते हैं.

English Summary: PUSA-44 paddy variety why Punjab wants to ban cultivation of PUSA-44 paddy variety
Published on: 05 October 2023, 06:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now