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Updated on: 8 December, 2021 4:28 PM IST
Vegetable Farming

जलवायु अनुकूलता के कारण हिमाचल प्रदेश में सालभर में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जा सकती है. वर्तमान में प्रदेश तेजी से एक प्रमुख सब्जी उद्यान राज्य के नाम से उभर रहा है. प्रदेश में सब्जियों की खेती लगभग 88367 हैक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे लगभग 1.81 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन होता है.

भारत वर्ष में विदेशी पर्यटकों की बढ़ती हुई संख्या तथा भारतीयों के खाने पीने के शौकीनों में बदलाव के कारण देश के पंचतारा व अन्य शालीन होटलों में विदेशी सब्जियों की बढ़ती हुई मांग के कारण किसानों को अधिक कमाई के अवसर मिल रहे हैं. विदेशी सब्जियां मुख्यतः चेरी टमाटर, ब्रोकली, लाल बंद गोभी, पार्सले, ब्रूसल्स स्प्राउट, एसपैरागस, लैटयूस, खाद्य फली मटर व सेलरी इत्यादि हैं. यह यूरोपियन सब्जियां हिमाचल प्रदेश के मध्य तथा उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती हैं.

यह सब्जियां स्वादिष्ट होने के साथ-साथ अधिक गुणकारी तथा लाभप्रद होती हैं. इनमें विटामिन ए, सी के साथ-साथ लोहा, मैग्नीशियम, पोटैशियम व जिंक आदि प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं. बाजार में भी इन विदेशी सब्जियों का मूल्य अधिक मिलता है. हमारे कृषि प्रधान देश में विदेशी सब्जियों का अब एक बड़ा बाजार तैयार हो चुका है. भारत के उतर पश्चिमी हिमालय के राज्य जैसे जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उतराखंड, उतर प्रदेश के कई हिस्सों में प्रचलित जलवायु परिस्थितियां विदेशी सब्जियां उगाने की अनुकूलता के कारण किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं.

विदेशी सब्जियों की खेती से लोगों को रोजगार मिलेगा तथा छोटी-छोटी जोत वाले ग्रामीण जनता की आय बढ़ेगी. हिमाचल प्रदेश के जिले जैसे कुल्लू, शिमला, सोलन, किन्नौर आदि में इन सब्जियों की काश्त की जा रही है. बदलते समय व पर्यटकों की मांग के अनुसार इनकी वर्षभर मांग व उत्पादन की संभावनाओं के आधार पर ही किसानों को इन सब्जियों की काश्त करनी चाहिए. इस समय 40 से अधिक विदेशी सब्जियों की खेती भारत में होने लगी है.

ये सब्जियां बहुत कम समय (2-3 महीने) में तैयार हो जाती है तथा किसान एक खेत में ही 4 से 5 तरह की सब्जियां उगा सकते हैं. इन विदेशी  सब्जियों को आप अगर चाहें, तो घर की छत पर गमलों में भी उगा सकते हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, विदेशी साग-सब्जियों का बाजार सालाना 15 से 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. कुछ वर्ष पहले तक विदेशी सब्जियों की खेती भारत में नहीं की जाती थी. यह पहले विदेशों से आयात की जाती थी, परंतु पिछले 5 वर्षो से देश में विदेशी सब्जियों का चलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. विदेशी सब्जियों के बीज का उत्पादन ठंडे क्षेत्रों में ही किया जाता है, हिमालय क्षेत्र में इनका बीज उत्पादन अच्छा होता है. विदेशी सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीकों में से एक है किसानों को अच्छे बीजों की आपूर्ति कराना तथा कृषि तकनीकों को विकसित करना है, जिससे विदेशी सब्जियों की खेती किसानों के बीच लोकप्रिय हो सके.

हिमाचल प्रदेश के करसोग घाटी के खड़कन गांव के तेज राम शर्मा कई तरह की विदेशी प्रजातियों की जैविक सब्जियां आदि दोगुना दामों पर सप्लाई कर सालना लाखों रुपये कमा रहे हैं. जैविक उत्पादन के कारण इनकी सब्जियों की मांग अधिक बढ़ी है. तेज राम विदेशी सब्जियों को उगाने के साथ-साथ नर्सरी, जैविक कीटनाशक से लेकर जैविक खाद तक खुद बनाते हैं. अब तो वह हिमाचल प्रदेश के किसानों के सफल प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं.

विदेशी सब्जियां निम्नलिखित हैं-

चेरी टमाटर (Cherry Tomato)

इसे मुख्यतः सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके मद्देनजर प्रदेश में चेरी टमाटर की व्यवसायिक खेती की अपार संभावनाएं है. चेरी टमाटर की अलग-अलग रंगों (लाल, सुनहरी, बैंगनी एवं गुलाबी) तथा आकारों (गोल एवं लम्बी) वाली किस्में बाजार में उपलब्ध हैं. किसान उपभोगताओं की मांग के अनुसार प्रजातियों का चयन कर सकते हैं. परंतु वर्तमान में लाल एवं गोल रंग वाली किस्में ग्राहकों में अधिक लोकप्रिय है.

चेरी टमाटर में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे कि विटामिन ए, सी, खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैरेटिनोआइडस तथा एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं. जो हमारे शरीर की कुछ गंभीर बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसके उत्पादन के लिए दोमट और रेतीली दोमट मिट्टी, जिसका पी एच मान 5.5-6.8 तक हो, उपयुक्त होती है. इसकी खेती खुले वातावरण एवं संरक्षित ढांचों दोनों में सफलतापूर्वक की जा सकती है.

चेरी टमाटर की खेती के लिए असीमित वृद्धि वर्ग वाली किस्मों का ही चुनाव करें, क्योंकि यह किस्में लम्बे समय तक फल देने में सक्षम हैं, जिससे किसान ज्यादा समय तक मंडियों में इसकी मांग को पूरा कर सकते हैं. लाल रंग तथा गोलाकार किस्मों में मुख्यतः सोलन रैड रांउड तथा बी एस एस-366 प्रमुख हैं. बी एस एस-366 निजी संस्थान बीजो शीतल कंपनी द्वारा विकसित किस्म है. चेरी टमाटर में तुड़ान रोपण के 45 से 50 दिनों में आरंभ हो जाता है तथा फसल 4-5 महीने की अवधि तक फल देती रहती है.

लेट्यूस (Lettuce)

यह एक शीतोष्ण जलवायु में उगाई जाने वाली फसल है. यह इसके नर्म पत्तों और शीर्ष के लिए उगाई जाती है. जो कि काटकर नमक और सिरका के साथ सलाद के रूप में खाई जाती है. इसके बहुत सारे प्रकार हैं जैसे- कड़क बंद शीर्ष, नर्म बंद शीर्ष, कोस या रोमेन, खुले पत्ते वाला लेट्यूस, टहनी वाला लेट्यूस तथा लेटिन लेट्यूस. खुले पत्ते वाला लेट्यूस नर्म तथा कड़क बंद शीर्ष वाले लेट्यूस से ज्यादा उपयोगी आहार है, क्योंकि खूले पत्ते वाले लेट्यूस में ज्यादा सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहने के कारण इसमें अधिक उपयोगी तत्व पाये जाते हैं. सिम्पसन ब्लैक सीड, अलामो 1, ग्रेट लेक्स इत्यादि इसकी मुख्य किस्में है. प्रति हैक्टेयर खेती के लिए 400-500 ग्राम बीज प्रयाप्त है.

एसपैरागस (Asparagus)

यह एक बहुवर्षीय विदेशी सब्जी है. जिसका ऊपर वाला भाग सर्दियों में सूख जाता है, लेकिन जड़ें जीवित रहती हैं. पौधों की जड़ों से मुलायम तना निकलता है जिसको स्पीयर्स कहते हैं. जिनका इस्तेमाल सूप में किया जाता है. तथा इसकी सब्जी बनाकर भी खाई जाती है.

ब्रोकली (Broccoli)

यह फूलगोभी की तरह होता है. इसमें फूलों के बंद गुच्छे आपस में जुड़े होते हुए फूलगोभी की तरह ही निकलते हैं. इसकी नर्म शाखाएं 6 से 8 सेंटीमीटर फूलों के गुच्छों के साथ ही काटी जाती हैं. पालम हरीतिका, पालम कंचन, पालम समृद्धि, व पालम विचित्रा इत्यादि इसकी किस्में हैं.

ब्रूसल्स स्प्राउट (Brussels sprout)

इसको बेल्जियम के ब्रूसल्स शहर के आस-पास सैंकड़ों वर्षों से उगाया जाता रहा है. जिससे इसका नाम ब्रूसल्स स्प्राउट पड़ गया. स्प्राउट को कच्चा सलाद के रूप में, पकाकर तथा आचार बनाकर खाया जाता है.

सेलेरी (Celery)

इसे सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसके पत्ते व डंठल कच्चे या पकाकर या फिर सूप में सुगंध के लिए प्रयोग किए जाते हैं.

लाल बंद गोभी (Red cabbage)

इसके बंद सख्त तथा बैंगनी रंग के होते हैं. इन्हें सब्जी बनाकर या सलाद में तथा सूप में प्रयोग किया जाता है. इसकी मुख्य किस्में हैं- रैड रॉक, रैड ड्रम हैड तथा किन्नर रैड है.

लेखक

डॉ. रीना कुमारी, डॉ. रमेश कुमार, डॉ. युद्ध चंद गुप्ता, डॉ. राजीव कुमार, डॉ. आंचल चौहान व डॉ. कुमारी शिवानी
औद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय थुनाग-175048, मंडी (हि.प्र.)

E-Mail id: reena.sarma92@gmail.com

English Summary: Prospects of cultivation of exotic vegetables in Himachal Pradesh
Published on: 08 December 2021, 05:01 PM IST

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