Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 4 December, 2022 5:11 PM IST
मूंग की फायदेमंद खेती
कृषि क्षेत्र में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसान ऐसी फसलों की बुवाई कर रहे हैं, जो कम समय और सभी मौसम में होती है. ऐसे में किसान मूंग की खेती भी कर सकते हैं, जो खरीफ, रबी और जायद तीनों ही मौसम में होती है.

बता दें कि दलहनी फसलों में मूंग का अहम स्थान है. यह खेत की मिट्टी के लिए भी फायदेमंद है. मूंग की खेती से मृदा में उर्वराशक्ति बढ़ती है. सही तरीके से खेती करने से अच्छा मुनाफा होता है, आईये जानते हैं उन्नत खेती का तरीका... 

मूंग में पोषक तत्व

मूंग में प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है. मैग्नीज, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉलेट, कॉपर, जिंक और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं मूंग के सेवन से शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है. इस दाल का पानी पीकर आप कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. यह दाल डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचाव करती है.

अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में

उत्पादन देने वाली किस्मों में के-851, पूसा 105, PDM-44, ML -131, जवाहर मूंग 721, PS -16, HUM-1, किस्म टार्म 1, TJM -3 आती हैं. इसके अलावा निजी कंपनियों की किस्मों में शक्तिवर्धक: विराट गोल्ड, अभय, एसव्हीएम 98, एसव्हीएम 88, एसव्हीएम 66 आदि शामिल हैं.

भूमि की तैयारी

दो या तीन बार हल या बखर से जुताई कर खेत अच्छी तरह तैयार करना चाहिए, पाटा चलाकर खेत को समतल करना चाहिए. दीमक से बचाव के लिए क्लोरोपायरीफॉस चूर्ण 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए.

बीज की मात्रा

उन्नत किस्म का बीज बोने से ज्यादा पैदावार होती है. प्रति हेक्टेयर 25 से 30 किलो बीज की बुवाई के लिए पर्याप्त होगा ताकि पौधों की संख्या 4 से 4.5 लाख तक हो सके.

बीजोपचार

बुवाई से पहले बीज फफूंद नाशक दवा और कल्चर से उपचारित करना चाहिए. जिसके लिए प्रति किलोग्राम बीज कार्बेन्डाजिम की 2.5 ग्राम मात्रा है. इसके बाद राइजोबियम और पीएसबी कल्चर 10 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करनी चाहिए.

बुवाई का समय और तरीका

मूंग की बुवाई 15 जुलाई तक करनी चाहिए. देर से बारिश होने पर जल्दी पकने वाली किस्म की बुवाई 30 जुलाई तक हो सकती है. सीडड्रिल की सहायता से कतारों में बुवाई करें. कतारों के बीच की दूरी 30-45 सेमी रखते हुए 3- 5 सेमी गहराई पर बीज बोना चाहिए. पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी हो. ध्यान रहे मूंग के बीज उत्पादन का प्रक्षेत्र किसी दूसरी प्रजाति के मूंग के प्रक्षेत्र से 3 मीटर दूर होना चाहिए.

खाद और उरर्वक

प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नत्रजन और 50 किलो ग्राम स्फुर बीज को बोते समय उपयोग में लाएं. इसके लिए प्रति हेक्टेयर एक क्विंटल डायअमोनियम फास्फेट डीएपी खाद दिया जा सकता है. पोटाश और गंधक की कमी वाले क्षेत्र में 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर पोटाश और गंधक देना लाभकारी है.

निराई-गुड़ाई और सिंचाई

जब पौधा 6 इंच का हो तो एक बार डोरा चलाकर निंदाई करें. इसकी एक-दो निंदाई करना उचित है. खरीफ में मूंग की फसल को सिंचाई की जरुरत नहीं लेकिन जायद/ग्रीष्मकालीन फसल में 10-15 दिन के अंतर में 4-5 सिंचाइयां की जानी चाहिये. सिंचाई के लिए उन्नत तकनीकों जैसे- फव्वारा या रेनगन का प्रयोग करें.

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के एक या दो दिन बाद तक पेन्डीमेथलिन (स्टोम्प) की बाजार में उपलब्ध 3.30 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें. फसल जब 25 -30 दिन की हो तो एक गुड़ाई कस्सी से करें या इमेंजीथाइपर(परसूट) की 750 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें.

फसल चक्र

अच्छी पैदावार के लिए फसल चक्र अपनाना जरूरी है. वर्षा आधारित खेती के लिए मूंग-बाजारा और सिंचित क्षेत्रों में मूंग-गेहूं/जीरा/सरसों फसल चक्र अपनाना चाहिए. सिंचित खेतों में मूंग की जायद में फसल लेने के लिए धान-गेहूं फसल चक्र उपयुक्त है. जिससे मृदा में हरी खाद के रूप में उर्वराशक्ति बढ़ाने में सहायता मिलती है.

कब करें फसल कटाई

जब फलियों का रंग हरे से भूरा होने लगे तब फलियों की तुड़ाई और एक साथ पकने वाली प्रजातियों में कटाई करें. शेष फसल की मिट्टी में जुताई करने से हरी खाद की पूर्ति होती है. फलियों के अधिक पकने पर तुड़ाई करने पर फलियों के चटकने का डर रहता है जिससे कम उत्पादन होता है. ऐसे में सही तरीका अपनाएं ताकि अच्छा मुनाफा मिले.

English Summary: Profitable cultivation of moong: which will give profit in every season, this is how to get more yield
Published on: 04 December 2022, 05:19 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now