देश में धान की खेती बहुत बड़े स्तर पर की जाती है. यहां के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह की किस्मों को उगाया जाता है, इसलिए भारत समेत कई एशियाई देश धान को मुख्य खाद्य फसल मानते हैं. दुनियाभर में बोई जाने वाली मक्का के बाद धान की खेती सबसे ज्यादा होती है. देश के करोड़ों किसान खरीफ सीजन में धान की खेती करते हैं. ऐसे में किसानों को धान खेती में कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. बता दें कि इसकी खेती की शुरुआत नर्सरी से की जाती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना बहुत जरुरी है. कई बार किसान महंगा बीज-खाद लगा देते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें फसल की अच्छी उपज नहीं मिलती है. ऐसे में धान की बुवाई से पहले बीजों को अच्छी तरह उपचारित कर लेना चाहिए. किसान ध्यान दें कि धान की खेती में बीज का महंगा होना जरुरी नहीं है, बल्कि उनके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी का उपयुक्त होना अनिवार्य है. आइए किसान भाईयों को धान की नर्सरी तैयार करने की जानकारी देते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक धान की नर्सरी तैयार करना (According to agricultural scientists to prepare paddy nursery)
किसानों के लिए धान की खेती में नर्सरी तैयार करने का समय आ चुका है. ऐसे में किसान सबसे पहले अपने खेत के खाली होते ही नर्सरी डालने के लिए क्यारियां तैयार बना लें. किसान ध्यान दें कि उन्हें धान की नर्सरी वैज्ञानिक विधि से तैयार करना है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि यह मौसम यानी मई धान की खेती के लिए बहुत उपयुक्त होता है. ऐसे में किसानों को जिस खेत में धान की खेती करना है, वहां नर्सरी तैयार करने के लिए गोबर की खाद डाल दें. इसके बाद खेत की 2 से 3 बार जुताई कर दें. किसान खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाना है. ध्यान दें कि खेती की आखिरी जुताई से पहले लगभग 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाना है. किसान नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश भी डालें. बता दें कि 1 हेक्टेयर खेत में धान की खेती के लिए 800 से 1000 वर्गमीटर स्थान की नर्सरी पर्याप्त रहती है.
नर्सरी के लिए क्यारियां बनाना (Nursery beds)
धान की नर्सरी के लिए लगभग एक से डेढ़ मीटर चौड़ी क्यारियां बनानी चाहिए. इनकी लंबाई 4 से 5 मीटर उपयुक्त रहती है. इनके चारों ओर नालियां बना ले चाहिए, ताकि खेत से पानी आसानी से निकल जा
धान की बुवाई (Paddy sowing)
अगर किसान धान की मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों का चयन कर रहा है, तो उनकी बुवाई मई के आखिरी सप्ताह या जून के दूसरे सप्ताह तक करें. ध्यान दें कि कि बीजों की बुवाई से पहले खोखले बीजों को निकाल लें. इसके लिए बीजों को 2 प्रतिशत नमक के घोल में डाल दें और अच्छी तरह से हिला लें. इस तरह खोखले बीज ऊपर तैरने लगते हैं.
बीजों को उपचारित करना (Treating seeds)
धान की बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करना ज़रूरी होता है. ऐसे में किसान को बीज को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए. इसके लिए केप्टान, थाइरम, मेंकोजेब, कार्बंडाजिम और टाइनोक्लोजोल में से किसी एक दवा का उपयोग किया जा सकता है.