बनककड़ी रसदार सीधा लगभग 30 सेंटीमीटर ऊँचा बारहमासी पौधा है, इसकी प्रकन्द लंबी गाँठदार होती है. इसका तना पत्ती वाला, संख्या में एक या दो बिना शीर्ष का होता है.
जलवायु और मिट्टी
यह पौधा जंगल में 2000 -3500 मीटर (समुद्र तल से) की ऊंचाई में पाया जाता है और खेतों में झाड़ -झाखाड़ के रूप में अच्छी तरह सिंचाई के लिए भली-भांति नाली से जुड़ी हुई हल्की गाद वाली खार मिट्टी से समृद्ध भूमि में अच्छी तरह फुलता है.
रोपण सामग्री
बीजों एवं रूटस्टॉकस
नर्सरी तकनीक :
पौध तैयार करना :
पौध को बीजों द्वारा या रूटस्टॉकस से तैयार किया जाता है. बसंत ऋतु में आने से पहले यानी सर्दी के आरंभ में ही बीज बोये जाते है.
पौध दर और पूर्व उपचार :
एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 7.0 - 8.0 किलों बीजों की जरूरत पड़ती है. बीज को पहले कोई पूर्वभिक्रिया की जरूरत नहीं होती है और प्रथम दो वर्षों में प्रति वर्गमीटर 9 पौधों का फसल होता है.
खेतों में रोपण :
भूमि की तैयारी एवं उर्वरक प्रयोग :
भूमि को जोतकर समतल करना चाहिए। मिट्टी के साथ उर्वरक 10 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिलाया जाता है.
प्रत्यारोपण और अधिकतम दूरी
पौध को 10 -12 से.मी. की गहराई तक 30 सेमी की दूरी छोड़ता हुआ प्रत्यारोपित किया जाता है. इसकी स्थापना में 15 दिन लग जाते है.
संवर्धन विधियां और रख -रखाव पद्धतिया :
प्रत्येक 4 हफ्ते के अंतराल में नियमित रूप से निराई और गुड़ाई की जाती है. इसको जून - अगस्त के गर्मी के मौसम के दौरान हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है. मार्च - मई के दौरान नियमित रूप से निराई और गुड़ाई की जरूरत पड़ती है.
फसल प्रबंधन :
फसल पकना और कटाई :
प्रथम वर्ष में पौधा अपनी वेगिटेटीव अवस्था में रहता है और दो और तीन वर्ष पश्चात ही फूल आते है. अधिक रेंजिग कंटेंट के कारण रूटस्टॉकस को वसंत ऋतु में जमीन से खोद कर निकाला जाता है.
कटाई पश्चात प्रबंधन :
ऊपरी हिस्सों के सूखने के बाद जड़ और प्रकंद को खोद कर बाहर निकला जाता है. जड़ और प्रकंद को 15 -20 सेंटी मीटर लम्बे टुकड़ों में काट कर छाया दार स्थान पर सुखाया जाता है. सूखे हुए टुकड़ों को साफ़ कंटेनरों अथवा गनी थैलों में रखा जाता है.
पैदावार :
प्रति हेक्टेयर 3.0 से 4.0 टन सूखी जड़ें प्राप्त होती है और एक हेक्टेयर से लगभग 10 किलों बीज 5 वर्षों में प्राप्त होते है.
इस पर सब्सिडी
इसकी खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की ओर से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है.
पौधशालाओं और कृषि हेतु सहायता के मानदंड
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अनुमानित लागत |
देय सहायता |
पौधशाला |
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पौध रोपण सामग्री का उत्पादन |
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क) सार्वजनिक क्षेत्र |
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1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर ) |
25 लाख रूपए |
अधिकतम 25 लाख रूपए |
2) लघु पौधशाला (1 हेक्टेयर ) |
6.25 लाख रूपए |
अधिकतम 6.25 लाख रूपए |
ख) निजी क्षेत्र (प्रारम्भ में प्रयोगिक आधार पर ) |
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1) आदर्श पौधशाला (4 हेक्टेयर) |
25 लाख रूपए |
लागत का 50 प्रतिशत परंतु 12.50 लाख रूपए तक सीमित |
2) लघु पौधशाला (1 हेक्टेयर ) |
6.25 लाख रूपए |
लागत का 50 प्रतिशत परंतु 3.125 लाख रूपए तक सीमित |
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