किसान अपने खेतों में फसलों की बुवाई काफी अरमानों के साथ करता है. वह चाहता है कि खेत में बोई फसल अधिक से अधिक उत्पादन दे, ताकि बाजार में उसका सही मूल्य प्राप्त हो पाए लेकिन कभी—कभी किसानों के खेतों में बोई फसलों का उत्पादन कम हो जाता है और यह सिलसिला धीरे-धीरे बढ़ता रहता है. अगर कोई भी किसान इस प्रकार की समस्या का सामना कर रहा है, तो वह सब्जियों और फलों की खेती में एक बेहतर तकनीक अपनाकर फसल का उत्पादन बढ़ा सकता है. इस तकनीक को प्लास्टिक मल्चिंग नाम से जाना जाता है. यह काफी हद तक फसल उत्पादन को बढ़ा सकती है.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि क्या है?
जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक फिल्म द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है. इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है औऱ फसल उत्पादन भी बढ़ता है. बता दें कि यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है.
कई प्लास्टिक मल्चिंग फिल्म का कर सकते हैं चुनाव
प्लास्टिक मल्च फिल्म का चुनाव
इसका रंग काला, पारदर्शी, दूधिया, प्रतिबिम्बित, नीला औऱ लाल हो सकता है.
काली फिल्म
इस रंग की फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार से बचाव और भूमि के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है. बागवान इस रंग की प्लास्टिक मल्च फिल्म का उपयोग ज्यादा करते हैं.
दूधिया या सिल्वर युक्त प्रतिबिम्बित फिल्म
इस रंग की फिल्म भूमि में नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण और भूमि का तापमान कम करने में काफी सहायक होती है.
पारदर्शी फिल्म
इस रंग की फिल्म को सोलेराइजेशन और ठंडे मौसम में खेती करने में उपयोग किया जाता है.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि में फिल्म की चौड़ाई
अगर किसान प्लास्टिक मल्चिंग विधि को अपना रहे हैं, तो इसमें फिल्म का चुनाव करते समय उसकी चौड़ाई पर विशेष ध्यान दें. इससे कृषि कार्यों में मदद मिल पाएगी. इसकी सामान्य तौर पर लगभग 90 से.मी. से लेकर 180 सें.मी तक की चौड़ाई होनी चाहिए.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि में फिल्म की मोटाई
प्लास्टिक मल्चिंग में उपयोग होने वाली फिल्म की मोटाई फसल के प्रकार और आयु पर निर्भर होती है.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि में लागत
इसमें लागत कम और ज्यादा हो सकती है, क्योंकि यह खेत में क्यारियां बनाने पर निर्भर होता है. बता दें कि फसल के हिसाब से क्यारियां बनी जाती हैं, जिनकी प्लास्टिक फिल्म का मूल्य बाज़ार में कम ज्यादा हो सकता है.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि को सब्जियों की खेती में अपनाना
अगर खेत में सब्जी की फसल लगानी है, तो सबसे पहले खेत की जुताई कर लें. इसके साथ ही गोबर की खाद् उचित मात्रा में डाल दें. अब खेत में उठी हुई क्यारियां बना लें. इनके उपर ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा दें. बता दें कि लगभग 25 से 30 माइक्रोन प्लास्टिक मल्च फिल्म सब्जियों की फसल के लिए सही रहती है. इन्हें अच्छी तरह बिछा दें. अब फिल्म के दोनों किनारों को मिटटी की परत से अच्छी तरह दबा दें. ध्यान दें कि आप ट्रैक्टर चालित यंत्र से भी परत को दबा सकते हैं. इसके बाद फिल्म पर गोलाई में पाइप से पौधों से पौधों की दूरी तय कर दें, साथ ही इनमें छेद्र भी कर दें. इन छेदों में बीज या नर्सरी में तैयार पौधों का रोपण कर सकते हैं.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि को फलों की खेती में अपनाना
इसमें फिल्म मल्च की लंबाई और चौड़ाई को बराबर काट लेते हैं. इसके बाद पौधों के नीचे उगी घास और खरपतवार को उखाड़ दें और यहां अच्छी तरह सफाई कर दें. अब सिंचाई के लिए नालियों को अच्छी तरह सेट करें. ध्यान दें कि फलों की खेती में लगभग 100 माइक्रोन की प्लास्टिक की फिल्म मल्च उचित रहते हैं. इन्हें हाथों द्वारा पौधे के तने के आस-पास लगाना है. इसके बाद चारों कोनों को लगभग 6 से 8 इंच तक मिटटी की परत से ढक देना है.
प्लास्टिक मल्चिंग विधि से लाभ
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खेत में पानी की नमी को बनाए रखती है, साथ ही वाष्पीकरण रोकती है.
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खेत में मिट्टी के कटाव को भी रोकती है.
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खरपतवार से बचाव करती है.
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बाग़वानी में खरपतवार नियंत्रण और पोधों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखती है.
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यह भूमि को कठोर होने से बचाती है.
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पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है.
खेत में प्लास्टिक मल्चिंग करते समय सावधानियां
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इस विधि को सुबह या शाम में अपनाना चाहिए.
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फिल्म में ज्याद तनाव नहीं होना चाहिए.
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सावधानी से फिल्म में एक जैसे छेद करना चाहिए, ताकि सिंचाई में समस्या न हो.
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फिल्म को फटने से बचाएं, ताकि आगे भी उसक उपयोग किया जा सके.
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