Groundnut Farming Tips: खेती-बाड़ी से जुड़े किसान यदि पारंपरिक फसलों से हटकर कुछ नया और लाभकारी करना चाहते हैं, तो मूंगफली की खेती उनके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है. खासतौर पर मूंगफली की एक विशेष किस्म कादरी-2 (Kadari-2) इन दिनों किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. यह किस्म न केवल अधिक उपज देती है बल्कि इसमें तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है, जिससे बाजार में इसकी जबरदस्त मांग बनी रहती है.
क्यों खास है मूंगफली की कादरी-2 किस्म?
कादरी-2 किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता है. यह किस्म पत्ती पर लगने वाले धब्बे जैसे रोगों के प्रति काफी हद तक सुरक्षित रहती है. इसके अलावा यह सूखा जैसी विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है, जो कि किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रहा है. इस किस्म में तेल की मात्रा करीब 51% तक पाई जाती है, जो इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से और भी लाभकारी बनाता है. यही कारण है कि किसान पारंपरिक खेती छोड़कर कादरी-2 मूंगफली की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.
कैसी होनी चाहिए खेत की तैयारी?
किसान यदि इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से तैयारी करना बेहद जरूरी है. इसके लिए हल्की पीली दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है. खेत को 3 से 4 बार गहराई से जुताई करनी चाहिए और इसके साथ ही खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद मिलानी चाहिए. इससे मिट्टी में पोषक तत्व बने रहते हैं और नमी भी बनी रहती है, जो मूंगफली की फसल के लिए अनुकूल होती है.
कितनी होती है उपज?
कादरी-2 किस्म की मूंगफली की फसल 110 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है. यदि किसान उचित देखरेख, समय पर सिंचाई और पोषण प्रबंधन करें तो प्रति एकड़ 20 से 25 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है. यह उत्पादन मात्रा पारंपरिक मूंगफली किस्मों की तुलना में अधिक है, जिससे किसानों की आय में सीधा लाभ मिलता है.
ट्रेनिंग से मिल रही है मदद
किसानों की बढ़ती मांग को देखते हुए कृषि प्रशिक्षण केंद्रों पर भी अब कादरी-2 किस्म की मूंगफली की खेती पर प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) दी जा रही है. इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीक, समय पर खाद, सिंचाई और फसल सुरक्षा उपायों की जानकारी देना है, ताकि वे इस फसल से अधिक से अधिक लाभ कमा सकें.