पयाल का स्वाद खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है. इसका उपयोग मिठाइयां, खीर और मीठे व्यंजन बनाने में किया जाता है. इसे चिरौंजी के नाम से भी जाना जाता है. इसके पौधों की ऊंचाई 12 से 15 फीट तक की होती है. इसकी खेती भारत के मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में की जाती है. इसकी बुआई खरीफ सीजन के दौरान होती है. आइए आज हम आपको इसकी खेती के तरीके के बारे में समझाने की कोशिश करते हैं.
पयाल के बीजों को रोपण
इसके बीजों को लगाने के लिए सबसे पहले मिट्टी की अच्छी तरह से जुताई कर दें. इसके बीज शेल के अंदर होते हैं. इसके बेहतर अंकुरण के लिए फलों के अंदर के बीज को सावधानी पूर्वक निकालना चाहिए ताकि इनका बेहतर अंकुरण हो सके.
पयाल के पौधे के लिए उर्वरक
पयाल के पौधे लगाने से सबसे पहले खोदे गए गड्ढे में 20 किलोग्राम गोबर की खाद और पोटाश मिला दें. इसमें पौधे लगाने के दो महीने बाद फिर से यूरिया या फिर जैविक खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पयाल के पौधे की कटाई
पयाल के पौधों में फल 5 से 6 महीनों में लगने शुरू हो जाते हैं. इन पौधों में फूल आने का समय फ़रवरी का महीना होता है और इसकी कटाई अप्रैल या मई महीने के अंत तक की जाती है. कटाई के बाद पयाल को किसी ठंडे स्थान पर रखना चाहिए.
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पयाल के अद्भुत फायदे
पयाल में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन पाया जाता है. अगर आप गर्भवती हैं. तो आपको इसका सेवन जरुर करना चाहिए. यह आपके स्वास्थ के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के सेहत के लिए भी फायदेमंद रहेगा.
अगर किसी को शारीरिक तौर पर कमजोरी हो तो उसे पयाल जरुर खाना चाहिए. यह शारीरिक कमजोरी के साथ-साथ हमारे शरीर का मानसिक विकास भी करता है.
आज के उभरते सौदंर्य उद्योग में भी इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. यह बहुत ही कारगर सौंदर्य उत्पाद है. इसके इस्तेमाल से चेहरे पर चमक और कील-मुंहासे खत्म हो जाते हैं.