वर्तमान समय में भारतीय बासमती चावल की विदेश में मांग तेजी से बढ़ रही है. नतीजतन भारतीय किसानों का भी रुझान बासमती धान की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. इसी के मद्देनज़र पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) लुधियाना के वैज्ञानिकों ने किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से बासमती की नई किस्म 'पंजाब बासमती-7' विकसित किया है.
गौरतलब है कि बासमती की नई किस्म 'पंजाब बासमती-7' उपज, खुशबू और फसली रोगों से लडऩे में बासमती की दूसरी किस्मों के अपेक्षा बेहतर है.
'पंजाब बासमती-7' निर्यात में अदा करेगी अहम भूमिका ('Punjab Basmati-7' will play an important role in exports)
पीएयू के वैज्ञानिकों का दावा है कि बासमती की यह किस्म देश में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली पूसा बासमती-1121 का विकल्प बनकर निर्यात में बड़ी भूमिका अदा कर सकती है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल राइस ब्रीडर डॉ. आरएस गिल ने के मुताबिक उपज के मामले में 'पंजाब बासमती-7' बासमती की दूसरी किस्मों से आगे है.
'पंजाब बासमती-7' की उपज है ज्यादा (The yield of 'Punjab Basmati-7' is high)
पीएयू के प्रिंसिपल राइस ब्रीडर डॉ. आरएस गिल के मुताबिक, 'हमने शोध में पाया कि पंजाब बासमती-7 की प्रति एकड़ औसत उपज 19 क्विंटल है, जबकि पूसा बासमती-1121 और 1718 की उपज प्रति एकड़ 17 क्विंटल है. यानी 'पंजाब बासमती-7' की प्रति एकड़ उपज दो क्विंटल ज्यादा है.
‘पंजाब बासमती-7’ जल्दी पककर हो जाती है तैयार ('Punjab Basmati-7' gets cooked quickly and is ready
डॉ. आरएस गिल के मुताबिक ‘पंजाब बासमती-7 की फसल 101 दिन में पककर तैयार हो जाती है, जबकि पूसा बासमती-1121 को 106 दिन और पूसा बासमती-1718 की फसल को 107 दिन लगते हैं.
'पंजाब बासमती-7' की खेती से समय की होगी बचत (Cultivation of 'Punjab Basmati-7' will save time)
‘पंजाब बासमती-7 की खेती से किसानों के समय की बचत होगी. इस किस्म का कद छोटा है, जिससे पराली कम होती है. इस लिहाज से यह पर्यावरण के लिए बेहतर है. बासमती का सबसे बड़ा गुण उसकी खुशबू है. 'पंजाब बासमती-7' इस मामले में सभी अन्य किस्मों से काफी बेहतर है. यूरोपीय देशों में खुशबू वाली पारंपरिक बासमती की काफी डिमांड है.
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'पंजाब बासमती-7' है रोग प्रतिरोधक (Cultivation of 'Punjab Basmati-7' will save time)
डॉ.गिल के मुताबिक पूसा बासमती-1121 में झुलसा रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) के जीवाणुओं से मुकाबला करने की क्षमता नहीं है, जबकि ‘पंजाब बासमती-7’ फसल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह झुलसा रोग के जीवणुओं की 10 प्रजातियों का मुकाबला करने की क्षमता रखती है. झुलसा रोग से फसल को 60 से 70% तक नुकसान हो जाता है.