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Updated on: 19 May, 2022 10:37 PM IST
धान की नर्सरी तैयार करने का वैज्ञानिक तरीका

भारत में, धान खरीफ मौसम का एक महत्वपूर्ण फसल है. धान का राष्ट्रीय आच्छादन, उत्पादन एवं उत्पादकता क्रमशः 44.16 मिलीयन हेक्टेयर, 116.48 मिलीयन टन एवं 2638 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है (स्रोतः कृषि सांख्यिकी एक नजर में, 2020), यदि इन ऑकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो देश में धान के फसल की उत्पादकता  एवं उत्पादन  बढ़ाने की आपार संभावनाएं एवं संसाधन उपलब्ध हैं.

देश में धान उत्पादकता अन्य प्रमुख धान उत्पादक देशों के अपेक्षा कम होने के मुख्य कारण है- उचित प्रभेद के चुनाव का अभाव, अवैज्ञानिक विधि से नर्सरी प्रबंधन, विलम्ब से रोपाई, अनुशंसित पौधों/कल्लों की संख्या प्रति वर्गमीटर में नहीं होना, असंतुलित एवं अपर्याप्त खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग, समय से एवं उचित विधि से खरपतवार प्रबंधन का अभाव, रोगों एवं कीटों के प्रकोप, गत् कई वर्षों से सामान्य से कम वर्षा एवं पटवन की लागत मूल्य बढ़  जाना इत्यादि है. अगर किसान धान की खेती उन्नत एवं वैज्ञानिक पद्धति से करे तो इस फसल की उत्पादकता में आशातीत् वृद्धि हो सकती है. मूलतः, संकर धान की नर्सरी 21 दिनों एवं अन्य प्रजातियों की नर्सरी 25 दिनों में तैयार हो जाती है एवं तैयार नर्सरी की रोपाई यदि एक सप्ताह के अन्दर हो जाये तो धान के पौधों में कल्लों की संख्या अधिक प्रस्फुटित होती है, जो पैदावार बढाने में सहायक होती है.

मिट्टी का चयन

धान की खेती के लिए अधिक जल धारण क्षमता वाली मिट्टी जैसे- चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिट्टी प्रायः उपयुक्त होती है. भूमि का पी.एच. मान 5.5 से 6.5 उपयुक्त होता है. यद्यपि धान की खेती 4 से 8 या इससे भी अधिक पी.एच. मान वाली भूमि में भी की जा सकती है, परंतु सबसे अधिक उपयुक्त मिटटी पी.एच. 6.5 वाली मानी गई है. क्षारीय एवं लवणीय भूमि में मिट्टी सुधारकों का समुचित उपयोग करके धान को सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.

उपयुक्त जलवायु

धान मुख्यतः उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु की फसल है. धान को उन सभी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है, जहां 4 से 6 महीनों तक औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक रहता है . फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा पकने के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है . रात्रि का तापमान जितना कम रहे, फसल की पैदावार के लिए उतना ही अच्छा है. लेकिन 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरना चाहिए.

भूमि की तैयारी

धान के नर्सरी तैयार करनें के लिए सुनिश्चित सिचाईं की व्यवस्था अतिआवश्यक है. नर्सरी के मिट्टी की तैयारी के लिए, जलमग्न अवस्था में 2-3 बार कदवा या 3-4 बार देशी हल से जुताई करनी चाहिए. कदवा करने से खरपतववार नष्ट हो जाते हैं तथा मिट्टी के सतह पर जल का ठहराव लम्बे समय तक होता है जिससे कुछ आवश्यक सुक्ष्म पोषक तत्वों कि उपलब्धता बढ जाती है. इसके उपरांत नर्सरी के लेआउट (खाका) का कार्य संम्पादित करना चाहिए तथा रोपाई के 2 सप्ताह पहले मुख्य खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

प्रभेद का चयन

धान का उन्नत एवं क्षेत्रिय अनुशंसित प्रभेद का चयन, प्राकृतिक एवं कृत्रिम संसाधनों के उपलब्धता के आधार पर करना चाहिए. नोटः संकर जाती के सभी प्रभेदों में अनुशंसित सस्य क्रियाएँ-बीज दरः 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर, नर्सरी में बीज गिराने का दर 10-20 ग्राम/वर्गमीटर, रोपाई: 1 बीचड़ा 15ग15 से. मी. (कम अवधि के प्रभेद के लिए) या 20ग15 से. मी. (लम्बी अवधि के प्रभेद के लिए) की दूरी पर रोपें.

बीज शोधन

नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन अवश्य कर लें 25 किलोग्राम बीज के लिए 19 ग्राम एम.ई.एम.सी. 6 प्रतिशत अथवा 38 ग्राम एम.ई.एम.सी. 3 प्रतिशत तथा 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन को 45 लीटर पानी में घोल कर रात भर भिंगो दे. दूसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी डालें. यदि जीवाणु झुलसा की समस्या क्षेत्र में नहीं है तो बीज को 3 ग्राम थीरम अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करके बुआई करें.

नर्सरी की तैयारी एवं व्यवस्था

एक हेक्टेयर नर्सरी से लगभग 15 हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई होती है. अगर दूसरे शब्दों में कहे तो 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल के नर्सरी से 1 हेक्टेयर खेत की रोपाई हो सकती है, ऐसे क्षेत्र जहाँ पर देर से नर्सरी की बुआई की जाती है वहाँ पर नर्सरी के क्षेत्रफल को बढ़ाकर 750-1000 वर्गमीटर कर देना चाहिए. नर्सरी की तैयारी के लिए, एक से दो दिन कदवा करने के उपरांत नर्सरी को 1.25 मीटर चौड़ा एवं अपनी आवश्यकता एवं सुविधा के अनुसार लम्बा बेड तैयार कर लेना चाहिए. इससे बुआई, निकौंनी, दवा का छिड़काव एवं सिंचाई जैसे कार्य के संचालन एवं संपादन में मदद मिलती है. दो बेड के बीच में 30 से. मी. चौड़ा नाली का निर्माण जरूर करें. 225 ग्राम यूरिया या 500 ग्राम अमोनियम सल्फेट और 500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग प्रति 10 वर्गमीटर के दर से प्रयोग करें.

एक समान रूप से 2-3 मुठ्ठीभर प्रमाणित बीज प्रति वर्गमीटर की दर से इस्तेमाल करें. नर्सरी को बुआई के पाँच दिन तक पानी से संतृप्त करके रखें, उसके बाद  धीरे -धीरे पानी के स्तर को बीचड़ा के वृधि के साथ 5 सेन्टीमीटर तक बढायें. बुआई के प्रथम सप्ताह में अगर अधिक बारिश होती है तो पानी के निकासी का तुरंत व्यवस्था करें. लक्षण के अनुसार रोग एवं कीटों के नियंत्रण के लिए उपयुक्त उपाय जरूर करें. नत्रजन के कमी के लक्षण दिखने पर 50 ग्राम युरिया प्रति वर्गमीटर की दर से प्रयोग करें. जिंक (जस्ता) के अभाव वाले मिट्टी में, 5 किलोग्राम जिंक सल्फेंट $ 2‐5 किलोग्राम कैल्शियम हाइड्राक्साइड का घोल 1000 लीटर पानी में एक हेक्टेयर के लिए तैयार करके, धान के नर्सरी में दो बार छिङकाव बुवाई के 10 तथा 20 दिनों के उपरांत करना चाहिए. अतः इन 6 बातों पर ध्यान दें तो धान के नर्सरी की तैयारी अच्छी हो सकती है और पैदावार भी बंपर हो सकता है. नोटः कृषि रसायनों के प्रयोग के पूर्व वैज्ञानिक या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले.

लेखक:

डाॅ0 राजीव कुमार श्रीवास्तव1ं एवं डाॅ0 सुधानंद प्रसाद लाल2
1सहायक प्राध्यापक (सस्य विज्ञान), निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र, ढोली - 843 121, मुजफ्फरपुर
(डा0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार)
2सहायक प्राध्यापक (एक्सटेंशन एजुकेशन), डा0 राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार

English Summary: Paddy nursery: Scientific way to prepare paddy nursery, do farming in this way
Published on: 19 May 2022, 10:48 PM IST

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