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Updated on: 21 October, 2019 4:50 PM IST

मशरूम फफूंद का एक दृश्यमान फल ही है. इसकी वनसाप्तिक बाढ़ धागेनुमा रचनाओं के सहारे होती है जिसको कवक जाल कहते है इसीलिए इसे फफूंद की श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है. सर्वप्रथम मशरूम का संवर्धन आज से हजार वर्ष पूर्व चीन में प्रारंभ हुआ. भारत में भी इसका उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है. वास्तव में मशरूम के स्वाद से भी अधिक इसके गुणों का महत्व है. यह एक प्रोटीन युक्त भोजन है, इसमें प्रोटीन की मात्रा किसी भी सब्जी, फल, अनाज, आदि से अधिक है. यही नहीं इसका प्रोटीन उच्च श्रेणी में ही गिना जाता है क्योंकि इसमें ट्रिप्टोफेन तथा लायसीन जैसे अमिनोअम्ल होते है. यह बच्चों व बड़ों में प्रोटीन की कमी को दूर कर सकते है. प्रोटीन के अतिरिक्त इसमें विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. समें विटामिन सी तथा बी काम्पेल्क्स ग्रुप में थायमीन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक अम्ल और बीए -12 पाए जाते है. इसमें लवण जैसे की पोटेशियम, सोडियम, पोटेशियम और फास्फेरस होता है.

मशरूम की है ज्यादा प्रजातियां

मशरूम की लगभग 2000 से ज्यादा अधिक प्रजातियां झात है. साथ ही भारत में सुलभ 200 मशरूम प्रजातियों में से 8 प्रजातियों का कृत्रिम उत्पादन किया जाता है इनमें से चार बेहद ही प्रमुख है. उनमें है श्वेत बटन मशरूम, ढींगरी, श्वेत दूधिया मशरूमऔर पैरा मशरूम.

ऑयस्टर मशरूम के बारे में

ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन अपेक्षाकृत सरल व सुस्ता होता है.इसके उत्पादन में न तो कृषि भूमि की आवश्यकता होती है न ही मिट्टी की. ऑयस्टर मशरूम की खेती किसान, शौकिया उत्पादक, गृहणी अपने घरों, फर्म, गेरिज कमरों में आसानी से कर सकते है. यद्पि आयस्टर मशरूम को कई प्रकार के फसल अवशेषों पर उगाया जा सकता है. ऑयस्टर मशरूम सीप या हथेली के आकार का ही होता है एवं इसकी निचली सतह पर महीन पर परतें पाई जाती है जिन्हें गिल्स कहते है. इन परतों में असंख्य बीजाणु बनते है. ताजा ऑयस्टर मशरूम में लगभग 90 प्रतिशत मे नमी, 2.8 प्रतिशत प्रोटीन और वसा संबंधी आदि पौष्टिक तत्व पाए जाते है.

ऑयस्टर मशरूम के विपणन की विधियां

ताजे मशरूम का विपणन

ताजे मशरूम को विपणन हेतु 250 ग्राम वजन के पॉलिथीन की थैली में भरकर बाजार में उपलब्ध करवाना चाहिए. ताजे मशरूम को बेचने के लिए होटल एवं सब्जी और फल विक्रेता से भी संपर्क करना चाहिए. साथ ही ताजे मशरूम की बिक्री मशरूम प्रेमियों के घर पहुंचा कर भी आसानी से की जा सकती है.

सूखे मशरूम का विपणन

मशरूम का अधिक समय तक भडारण करने के लिए पूर्व में बतलाई गई विधि के अनुसार  उसे सूखा लिया जाता है. सूखे हुए मशरूम को सुदूर नगरों, महानगरों, विदेशों तक बिक्री हेतु पहुंचाया जाता है. सूखे मशरूम के विपणन के लिए 50 ग्राम और 100 ग्राम के पैकेट बनाने चाहिए जिनके साथ एक प्रपत्र संलग्न किया जाना चाहिए.

मशरूम बड़ी और पापड़

मशरूम का भडारण मशरूम की बड़ी, पापड़, आचार एवं मशरूम की चटनी बनाकर भी किया जा सकता है. मशरूम की बड़ी, पापड़, आचार, चटनी के विपणन हेतु डिपार्टमेंटल स्टोर्स, किरानों की दुकान तथा आचार एवं मुरब्बों की दुकान आदि पर रखा जा सकता है. मशरूम को आचार एवं चटनी के रूप में एक वर्ष तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

मशरूम पाउडर एवं मशरूम सूप पाउडर

सूखे मशरूम को पीस कर इसका विपणन मशरूम पाउडर एवं अन्य आवश्यक सामग्री मिलाकर मशरूम सूप पाउडर के रूप में विपणन करना चाहिए.

मशरूम का भंडारण

अन्य फलों की भांति मशरूम भी शीघ्र ही नष्ट होने वाला फल है. क्योंकि इसकी प्रकृति काफी मुलायम होती है तथा इसमें जल ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. अतएवं उपभोक्ताओं को इस पौष्टिक आहार को ताजा एवं प्रोसेस्ड रूप में उपलब्ध कराना एक महत्वपूर्ण कार्य है.

English Summary: Oyster mushroom is a better source of income.
Published on: 21 October 2019, 05:00 PM IST

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