फसल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसान खेतों में रसायनिक खाद का प्रयोग करते हैं. जिससे उत्पादन तो बंपर होता ही है, लेकिन यह खेतों के उर्वरता को कमजोर करता है. साथ ही भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो जाती है.
केमिकल खाद द्वारा उत्पादित अनाज, सब्जी, फल आदि में पौषक तत्व भी कम होते हैं. किसान भी अपना अच्छा उत्पादन चाहते हैं जिसके लिए उन्हें मजबूरन कैमिकल खाद का इस्तेमाल करना पड़ता है, उनका मानना है कि जैविक खाद से खेती करने से उत्पादन कम होता है. लेकिन आपको बता दें कि भारत में कई किसान हैं, जो जैविक खेती द्वारा भी बंपर कमाई कर रहे हैं. आने वाले रबी सीजन में किसान इन जैविक खाद द्वारा खेती कर अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं.
गोबर की जैविक खाद
गोबर की खाद खेती के साथ–साथ आपके पशु मल की समस्या का भी निवारण करती है. यह पूरी तरह से जैविक है और इसमें कोई हानिकारक रसायन नहीं होता है. इसमें सूक्ष्म और स्थूल पोषक तत्व होते हैं, सूक्ष्म जीव भी होते हैं जो मिट्टी के गुणों को बढ़ाते हैं. यह प्याज, गाजर, मूली, शलजम और पार्सनिप जैसी जड़ वाली फसलों के लिए फायदेमंद है.
केंचुए की खाद
केंचुए को किसानों का मित्र माना जाता है. मित्र इसलिए क्योंकि केंचुआ फसल सारे हानिकारक कीटों को हटा देता है और खेत की उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है. इसे वर्मी कम्पोस्ट भी कहा जाता है.
कम्पोस्ट खाद
कम्पोस्ट खाद आने वाले रबी सीजन के लिए बहुत लाभकारी खाद साबित हो सकती है. यह फसलों के अवशेष, गन्ने की सूखी पत्तियों व हल्दी के अवशेषों को एकत्रित कर तैयार की जाती है. खेतों में इसके इस्तेमाल से बंपर उत्पादन मिलने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है.
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हरी खाद
हरी खाद के लिए पहले खेत में कुछ फसल उगाई जाती है, जिसके बाद 10-15 दिन की अवधि में इसे गिरा दिया जाता है. कुछ दिनों में घास सड़ने व गलने के बाद आपकी हरी खाद तैयार हो जाएगी. अब आप अपनी फसल की खेती शुरू कर सकते हैं. हरी खाद में भरपूर मात्रा में नाइट्रोजन होता है. जो कि फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है.