हरियाणा में अभी तक केला केवल बाहरी राज्यों से ही आता था, लेकिन अब हरियाणा के किसान भी अपने लोगों को राज्य में पैदा किए केले का स्वाद चखा सकते है. दरअसल हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने पहली बार हिसार में ड्राई जमीन होने के बावजूद एक एकड़ में आर्गेनिक तरीके को अपनाकर केले की फसल उगाई है. इस कार्य में उनको काफी सफलता भी मिली है. इसी साल मार्च महीने में लगाए गए पौधे महज 7 माह से भी कम समय में फलदार बन चुके है. अक्सर हरियाणा के अधिकांश इलाकों में केले लगाने से वह पनप नहीं पाते थे. यहां पर जैविक तरीके और तापमान को मेटेंन करने के बाद ग्रैंड नेने वैरायटी के केले को 1280 पौधों में से अधिकांश 40 किलो वजनी केले उत्पन्न हो रहे है.
बिना केमिकल के पैदा हो रहा केला
जल्द ही एचएयू प्रशासन विश्वविद्यालय में ही बने मार्ट के जरिए लोगों में बिक्री भी करेगा. इस केले का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस केले को उगाने और पकाने तक में किसी भी तरीके के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है.इस हिसाब से देखा जाए तो यह लोगों के स्वास्थय के लिए निश्चित रूप से लाभकारी रहेगा.
ड्रिप सिंचाई से मिल रहा पानी
सबसे खास बात यह है कि केले को अक्सर अधिक पानी की जरूरत होती है, लेकिन हरियाणा के कई इलाकों में पानी की काफी कमी है, ऐसे में केले को उगाने के लिए एचएयू ने ड्रिप सिंचाई प्रणाली का प्रयोग किया गया है. पाइपो के सहारे जितने पानी की जरूरत है उतनी ही मात्रा में पानी दिया जा रहा है.
प्रदेश में इसीलिए नहीं पैदा होता केला
केले की पैदावर एक ऐसे मौसम में होती है जब वह पूरी तरह से एक जैसा ही रहता है. आज महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के कई इलाकों में केले को उगाने के लिए मौसम पूरे साल एक समान ही रहता है इसीलिए वहां पर पैदावार बेहतर होती है, हरियाणा ड्राई स्टेट में आता है. जब भी यहां सर्दी होती थी तो केले नष्ट हो जाते थे ऐसे में एचएयू ने आगे केले को बचाने के लिए आर्टिफिशयल तापमान की पूरी तैयारी की है.
चख सकेंगे आर्गेनिग केला
हरियाणा विश्वविद्यालय के कुलपति बताते है कि दीनदयाल उपाध्याय सेंटर आफ एक्सेलेंस फॉर आर्गेनिक्स फार्मिग के सहारे हमने सबसे पहले केले पर सफल प्रयोग शुरू किए है जो काफी सफल हुए है. अब हम आंवला, अमरूद, किन्नू आदि फसलों को भी बिना किसी केमिकल और कम पानी के उगाया जा रहा है. लोगों की यह धारणा थी कि हिसार में केले नहीं उग सकते है, अब लोगों को इन केले और अन्य आर्गेनिक फलों का स्वाद चखने का मौका मिल सकेगा.