Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 22 February, 2019 2:17 PM IST

इंसानों के साथ-साथ अगर पशु-पक्षियों को भी नशे की लत पड़ जाए तो यह बड़ी विचित्र बात होगी. लेकिन ये सच है कि मध्यप्रदेश के मालवांचल क्षेत्र के अफीम उत्पादक क्षेत्र में यह अजूबा देखने को मिल रहा है. दरअसल यहां के पक्षी भी अब अफीम के आदी होते जा रहे है. इस कारण यहां के किसान काफी ज्यादा परेशान है. ये सभी पक्षी अफीम की खेती को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनसे बचाव को लेकर किसान नई योजना पर कार्य करने में लगे हुए है.

खत्म हो रही है अफीम की फसल

दरअसल अफीम उत्पादक मालवांचल में इस समय डोडे निकालने का काम काफी तेजी से चल रहा है. किसानों को अपनी अफीम को बचाने के लिए जहां पहले चोर और लुटेरों से बचना पड़ता था लेकिन अब तो तोते भी किसानों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे है. दरअसल अफीम उत्पादक क्षेत्र में तोते अफीम की बुरी लत का शिकार हो रहे है और वह खेत में रहकर अफीम की खेती को नुकसान पहुंचा रहे है.

मालवा के नीमच में अफीम की फसल अपनी चरम यौवन पर है जिसके कारण अफीम के डोडो पर लुनी-चीरनी का कार्य चल रहा है. दरअसल अफीम के डोडे में मादक द्रव्य होता है और अफीम के दूध के रूप में चीरा लगने पर व वह बाहर निकलने लगता है जिसे सुबह लुनाई तक एकत्र कर लिया जाता है. लेकिन इस मादक पदार्थ से बनने वाली अफीम की फसल का स्वाद तोतों के मुंह पर चढ़ता ही जा रहा है. जिस कारण वह अफीम की फसल के बाहर बार-बार मंडराते है.

ये काम कर रहे तोते

खेतों में तोते ताक लगाकर बैठे रहते हैं और जैसे ही तोतों को मौका मिलता है तो वह अफीम के डोडे को काटते है और साथ ही चोंच से कुरेदना शुरू कर देते हैं जिससे किसान को अफीम की फसल में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. एक तरफ किसान रात में चोर-लुटेरों से खेत को बचा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर किसान दिन में तोंतो के कहर से बचने के लिए इंतजाम करने में व्यस्त है. किसानों ने तोतों के हमलों से अपने खेत में लगी अफीम की फसल को बचाने के लिए हजारों रूपये खर्च किए है और पूरे खेत को जालियों से कवर करके रखा हुआ है. तोते इतने ज्यादा तेज है कि वह अफीम के खेत में आकर उसे चट कर ही देतें है. कई बार किसानों ने इन तोतों को रोकने के लिए पत्थरबाजी भी की है लेकिन उसका भी कोई खासा असर नहीं दिखाई दिया है.

तोतों ने दिन किए काले

किसान भरत पाटीदार का कहना है कि पहले तो हमारी केवल रात ही काली होती थी लेकिन अब तो दिन भी काले हो रहे हैं. दिन में भी एक मिनट के लिए अफीम के खेत को खाली नहीं छोड़ सकते. कोई न कोई किसान या अन्य व्यक्ति खेतों की निगरानी के लिए खेत पर बना रहता है. वही कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों का कहना है कि जानवरों व पशु-पक्षियों की आहार नली मानवों से अलग होती है इसीलिए वह किसी भी तरह के नशे को आसानी से पचा जाते हैं इसीलिए उनपर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

English Summary: Oppy farmers were upset with addicts parrots
Published on: 22 February 2019, 02:32 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now