Onion Farming: देश के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती से हटकर गैर-पारंपरिक खेती में अपना हाथ अजमा रहे हैं और सफल भी हो रहे हैं. कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए ज्यादातर किसान सब्जियों के खेती कर रहे हैं, इनमें सबेस अधिक प्याज की खेती की जा रही है. आपको बता दें, कम लागत और समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए प्याज की खेती को सबसे उपयुक्त माना जाता है. यदि किसान इसकी खेती समय, मौसम और मिट्टी का ध्यान में रखकर करते हैं, तो बेहतरीन मुनाफा कमा सकते हैं.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, प्याज की बंपर पैदावर प्राप्त करने के लिए किसानों को किन बातों को विशेष ध्यान रखना चाहिए.
उपयुक्त तापमान
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारत में सबसे अधिक प्याज की खेती महाराष्ट्र में की जाती है. प्याज की रोपाई रबी सीजन में 15 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसकी रोपाई के लिए 650 से 750 एमएम बारिश आवश्यक होती है. कटाई के दौरान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान होना अच्छा होता है.
उपयुक्त मिट्टी
प्याज की खेती अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जाती है, इसके लिए रेतीली दोमट, चिकनी, गार और भूरी मिट्टी में की जाती है. इसकी बंपर पैदावर प्राप्त करने के लिए खेत में सही जल निकासी की सुविधा होना बेहद जरूरी है. वहीं, इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 6 से 7 के बीच होना चाहिए.
ये भी पढ़ें: प्राकृतिक खेती 2.0 क्या है, और रोग एवं कीट का प्रबंधन कैसे करें?
भूमि की तैयारी
प्याज की खेती के लिए किसानों को सही से भूमि की तैयार करनी चाहिए, इसके लिए 3 से 4 बार जुताई करनी चाहिए और जैविक खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला लेना चाहिए. इसके बाद आपको खेत में छोटे-छोटे प्लॉट बना लेने चाहिए.
रोपाई की प्रक्रिया
बुवाई करते वक्त किसानों को प्याज के पौधों को तैयार करना होता है, इसके लिए सबसे उचित समय अक्टूबर से नवबंर होता है. वहीं, इसके बाद दिसंबर से जनवरी रोपाई के लिए सही समय माना जाता है. रोपाई के लिए आपको पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखा जाता है, इसकी एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर और एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 7.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. इसके बीजों की बुवाई 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई में की जाती है. प्याज की खेती के लिए आपको प्रति एकड़ में 4 से 5 किलो तक की बीजों की आवश्यकता होती है. इसकी रोपाई किसानों को 1 से 2 महीने बाद करनी चाहिए और ठंडा मौसम होना चाहिए.
बंपर पैदावर के लिए
प्याज की खेती भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जाती है. इसकी खेती के लिए काली मिट्टी बेहतर जल निकासी और जैविक उर्वरकों की अच्छी मात्रा उपयुक्त होती है. किसानों को अच्छी पैदावर के लिए खेत की मिट्टी में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 40-50 टन देसी खाद डालनी चाहिए.