रबी मौसम के दौरान उगाई जाने वाली फसलों में से एक जई है. यह एक बहुमूल्य अनाज की फसल होने के साथ-साथ चारे की फसल के लिए भी बहुत उपयुक्त माना जाता है. बता दें जई में कई तरह के पोषक तत्त्व पाए जाते हैं.
जिनमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो वजन घटाने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता में मदद करता है. इसके अलावा यह पशुओं के लिए बहुत अच्छा आहार माना जाता है. जाई के इन गुणों के चलते इसकी खेती काफी फायदेमंद मानी जाती है. तो आइये जानते हैं इसकी खेती की सही विधि.
जई की खेती करने का सही तरीका (The Right Way To Cultivate Oats):
उपयुक्त जलवायु और तापमान (Suitable Climate And Temperature)
जई की खेती (Oat Cultivation) के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु को आदर्श माना जाता है. इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा बता दें जाई की फसल की बुवाई का तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए और कटाई का तापमान 25-30°C के बीच होना चाहिए.
जई की खेती के लिए मिटटी की आवश्यकता (Soil Requirement For The Cultivation Of Oats)
जई की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है. वहीँ बात करें पीएच की तो इसकी खेती के लिए पीएच 5 - 6.6 के बीच होना चाहिए.
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जई की फसल का अच्छा अंकुरण सुनिश्चित करने के लिए, खेत को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए. ऐसा करने के लिए खेत में देशी हल से दो या तीन हल खेत में या एक बार ट्रैक्टर से चलने वाले उपकरण में कल्टीवेटर चलाकर चलाएं. फिर पाटा चलाकर खेत को समतल करना चाहिए. खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें.
जई की खेती में बुवाई का समय (Sowing Time In Oat Cultivation)
हालांकि अधिकतम उपज के लिए जई की बुवाई के लिए दिसम्बर सबसे अच्छा महीना है. यह मौसम और चारे की उपलब्धता के आधार पर दिसंबर के पहले सप्ताह तक किया जा सकता है. इसके अलावा पंक्तियों के बीच 25-30 सेमी की दूरी रखनी चाहिए.
बुवाई की विधि (Sowing Time In Oat Cultivation)
जाई की खेती के लिए बुवाई प्रक्रिया ड्रिलिंग विधि, जीरो टिलेज ड्रिल के माध्यम से किया जाता है. इससे फसल की अच्छी उपज प्राप्त होती है.