Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 9 September, 2019 4:33 PM IST

अंडमान -निकोबार केंद्र शासित प्रदेश को कभी आजादी के दीवानों के लिए कभी काला पानी के नाम से जाना जाता था. अब वहां पर मोती को उगाने की तैयारी की जा रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का अंडमान निकोबार प्रकोष्ठ समूह वहां के क्षेत्र के समुद्री जल में मोती की खेती पर अनुसंधान कर रहे निजी क्षेत्र के उद्मम मरीन एग्रीकल्चर इंडस्ट्रीज के साथ सहयोग की संभावना तलाश रहा है. बता दें कि इतिहास में काला पानी के नाम से चर्चित अंडमान के कुछ तटीय क्षेत्र अपनी विशेष जलवायु के कारण पर्ल फार्मिग के लिए उपयुक्त समझे जाते है.

वैज्ञानिक डॉ अजय सोनकर का कहना है कि उद्म मरीन एग्रीकल्चर इंडस्ट्रीज पोर्ट ब्लेयर के पास तटीय क्षेत्र में काले मोती की फार्मिग के अनुसंधान और काफी विकास में लगी हुई है. सोनकर कहा है कि  आईसीएआर के पोर्ट ब्लेयर स्थिति सेंट्रल आइसलैंड एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटयूट ने हमारे साथ सहयोग के प्रस्ताव पर रूचि दिखाई है. यह पूरा सहयोग छात्रों, शोधकर्ताओं, और मोती के खेती के इच्छुक उद्यामियों व किसानों के लिए नयी संभावनाएं पैदा करने में मदद करेगा.

तालाशी जा रही मोती की संभावनाएं

यहां के कार्यकारी निदेशक डॉ ए कुंडू ने कहा कि हम पर्ल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम करने वाले  जानकारों का अहम प्रतिनिधिमंडल काफी संभावनों को तलाश रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान की पूरी कोशिश है कि अंडमान के विशाल समुद्री संसाधनों का देश के हित में उपयोग किया जाए. पर्ल एग्रीकल्चर यहां की जलवायु के अनूकूल है.

अंडमान बनेगा मोती का केंद्र

अंडमान को काला पानी के मोती के केंद्र के रूप में विकसित करने का उत्पादक प्रेरक बनेगा. डॉ कूंडू ने कहा कि यहां पर विकसित किया गया काला मोती दुनिया में अनोखा है. उन्होंने कहा है कि हम इस संबंध में संस्थान के अंशधारक के साथ अंशधारकों की बैठक करने जा रहा है. हमारी बातचीत काफी आगे निकल चुकी है. मूलतः इलाहाबाद के निवासी अजय सोनकर ने वर्ष 1994 में मीठे पानी में मोती का उत्पादन करके दुनियाभर में भारत को ख्याति दिलाई थी.

देश हित में कुछ करने की कोशिश

समुद्री पानी में पिंक टाडा मारगरेटीफेरा प्रजाति के सीप की प्रजाति में दुनिया के सबसे बड़े आकार का काला मोती बनाकर पर्ल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में जापानियों के एकाधिकार को चुनौती दी गई थी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की प्रशंसा पाई. डॉ सोनकर ने यह कहा कि मेरी कोशिश होगी कि साझा प्रयास के सहारे देश हित में कुछ किया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकें. उनकी इच्छा है कि जो जगह कभी आजादी के दीवानों के लिए कालापानी के नाम से मशहूर थी आज वह काला मोती के केंद्र के रूप में विकसित होगा.

English Summary: Now black pearl farming will develop in Andaman
Published on: 09 September 2019, 04:40 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now