Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 9 September, 2019 4:33 PM IST

अंडमान -निकोबार केंद्र शासित प्रदेश को कभी आजादी के दीवानों के लिए कभी काला पानी के नाम से जाना जाता था. अब वहां पर मोती को उगाने की तैयारी की जा रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का अंडमान निकोबार प्रकोष्ठ समूह वहां के क्षेत्र के समुद्री जल में मोती की खेती पर अनुसंधान कर रहे निजी क्षेत्र के उद्मम मरीन एग्रीकल्चर इंडस्ट्रीज के साथ सहयोग की संभावना तलाश रहा है. बता दें कि इतिहास में काला पानी के नाम से चर्चित अंडमान के कुछ तटीय क्षेत्र अपनी विशेष जलवायु के कारण पर्ल फार्मिग के लिए उपयुक्त समझे जाते है.

वैज्ञानिक डॉ अजय सोनकर का कहना है कि उद्म मरीन एग्रीकल्चर इंडस्ट्रीज पोर्ट ब्लेयर के पास तटीय क्षेत्र में काले मोती की फार्मिग के अनुसंधान और काफी विकास में लगी हुई है. सोनकर कहा है कि  आईसीएआर के पोर्ट ब्लेयर स्थिति सेंट्रल आइसलैंड एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीटयूट ने हमारे साथ सहयोग के प्रस्ताव पर रूचि दिखाई है. यह पूरा सहयोग छात्रों, शोधकर्ताओं, और मोती के खेती के इच्छुक उद्यामियों व किसानों के लिए नयी संभावनाएं पैदा करने में मदद करेगा.

तालाशी जा रही मोती की संभावनाएं

यहां के कार्यकारी निदेशक डॉ ए कुंडू ने कहा कि हम पर्ल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में काम करने वाले  जानकारों का अहम प्रतिनिधिमंडल काफी संभावनों को तलाश रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान की पूरी कोशिश है कि अंडमान के विशाल समुद्री संसाधनों का देश के हित में उपयोग किया जाए. पर्ल एग्रीकल्चर यहां की जलवायु के अनूकूल है.

अंडमान बनेगा मोती का केंद्र

अंडमान को काला पानी के मोती के केंद्र के रूप में विकसित करने का उत्पादक प्रेरक बनेगा. डॉ कूंडू ने कहा कि यहां पर विकसित किया गया काला मोती दुनिया में अनोखा है. उन्होंने कहा है कि हम इस संबंध में संस्थान के अंशधारक के साथ अंशधारकों की बैठक करने जा रहा है. हमारी बातचीत काफी आगे निकल चुकी है. मूलतः इलाहाबाद के निवासी अजय सोनकर ने वर्ष 1994 में मीठे पानी में मोती का उत्पादन करके दुनियाभर में भारत को ख्याति दिलाई थी.

देश हित में कुछ करने की कोशिश

समुद्री पानी में पिंक टाडा मारगरेटीफेरा प्रजाति के सीप की प्रजाति में दुनिया के सबसे बड़े आकार का काला मोती बनाकर पर्ल एग्रीकल्चर के क्षेत्र में जापानियों के एकाधिकार को चुनौती दी गई थी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की प्रशंसा पाई. डॉ सोनकर ने यह कहा कि मेरी कोशिश होगी कि साझा प्रयास के सहारे देश हित में कुछ किया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकें. उनकी इच्छा है कि जो जगह कभी आजादी के दीवानों के लिए कालापानी के नाम से मशहूर थी आज वह काला मोती के केंद्र के रूप में विकसित होगा.

English Summary: Now black pearl farming will develop in Andaman
Published on: 09 September 2019, 04:40 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now