गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसल है. इसकी बुवाई अधिकतर गन्ना और धान के कटाई के बाद की जाती है. हालांकि, गेहूं की बुवाई के दौरान किसानों के मन में सबसे बड़ा और पहला सवाल यहीं होता है कि वो गेहूं के किस किस्म का चुनाव करें जिसकी पैदावार अच्छी हो. इसके अलावा कम समय में अधिक उपज दें. क्योंकि आमतौर पर किसान गेहूं की बुवाई के दौरान अच्छी क़िस्मों का चुनाव नहीं कर पाते है. नतीजतन उत्पादकता में कम रह जाती है. ऐसी परिस्थितियों में किसानों को निराश होने की जरूरत नहीं है.
क्योंकि साइंस मौजूदा वक्त में बहुत आगे बढ़ चुका है. इसी क्रम में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के पवारखेड़ा स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई किस्में ईजाद की है. गेहूं की इन किस्मों को लेकर उनका दावा है कि नई किस्म की फसल की पैदावार डेढ़ गुना यानी एक हेक्टेयर में 55 से 60 क्विंटल होगी, जो कि अभी 35 से 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गेहूं की नई किस्मों का परीक्षण करने के बाद केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र दिल्ली ने मान्यता भी दे दी है. मान्यता मिलने के बाद अनुसंधान केंद्र पवारखेड़ा प्रबंधन ने नई किस्म के बीजों का वितरण पिछले साल किसानों व सहकारी समितियों को किया था, जिसके परिणाम अब गेहूं की तैयार हो रही फसल को देखने पर नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि कृषि अनुसंधान केंद्र पवारखेड़ा ने इसी वर्ष गेहूं की जेडब्ल्यू 1201, जेडब्ल्यू 1202 और जेडब्ल्यू 1203 किस्में ईजाद की हैं.
इन किस्मों पर काम विगत कई वर्षों से चल रहा था. गेहूं की इन नई किस्मों का परीक्षण पिछले साल केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र ने किया था. परीक्षण के बाद इन किस्मों को मान्यता मिल गई. इससे पहले भी पवारखेड़ा अनुसंधान केंद्र ने गेहूं की कई किस्में ईजाद की हैं.
55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार
इसी वर्ष कृषि अनुसंधान केंद्र पवारखेड़ा ने गेहूं की नई किस्म जेडब्ल्यू 1201, जेडब्ल्यू 1202, जेडब्ल्यू 1203 किस्म के बीज बुवाई के लिए सहकारी समितियों को दिया था. गेहूं के इन नए किस्म के बीजों से प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल पैदावार होती है. यह फसल 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. 100 किलो बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई करते हैं. गेहूं की इस किस्म का बीज 2-3 सेंटीमीटर पर बोया जाता है.