झारखंड के लातेहार जिले के सदर प्रखंड का नक्सल प्रभावित हेसलवार गांव आज सामूहिकता और स्वावलंबन की नई मिसाल को पेश कर रहा है. गांव के लोग सामूहिक तौर पर केले की खेती को करके अपनी किस्मत को बदलने का कार्य कर रहे है. एक समय पहले ऐसा समय था जब इसी गांव के लोग पेट पालने हेतु पलायन के लिए मजबूर थे.
सामूहिक खेती की मिसाल
इस गांव में 50 आदिवासियों का घर है. इस पर गांव वालों का कहना है कि धान और मक्के की खेती से काफी सीमित ही कमाई होती थी. लोग पहले ही यहां से धीरे-धीरे पयालन के लिए मजबूर हो जाते थे. उपायुक्त और बीडीओ ने गांव का दौरा किया है. हम लोगों को अलग तरीके से खेती को करने की सलाह दी जाती है.जिसके बाद गांववालों ने सामूहिक तौर पर केले की खेती को करने का फैसला ले लिया है. गांव वालों के अनुसार लगभग 6 एकड़ में केले की खेती को किया गया है. यहां पर 2600 पौधे लगाए गए है और खेती में जितने भी खर्च हुए है उसे पूरे गांव वालों ने मिलकर वहन किया है. इसकी खेती को जो भी फायदा होगा तो गांव वाले इसको बराबर वांट लेंगे. गांव वालों का कहना है कि 7 से 8 महीने में इसकी खेती से 8 से 9 लाख का अनुमान है. खेती में जिले प्रशासन की भरपूर मदद मिल रही है.
केले के बाद पपीता और फूल खेती की योजना
हेसलबार गांव के लोग काफी मेहनती है. गांववालों ने सामूहिक खेती की मिसाल कायम कर ली है आने वाले दिनों में अन्य प्रखंड और जिले के लोग इनसे प्रेरित होंगे. फिलहाल इन्होंने केले की खेती को करने का कार्य किया है और बाद में पपीता और फूलों की खेती को करने की योजना भी है. यहां के डीसी का हना है कि सरकार की योजनाओं से ही गांव और ग्रामीणों का विकास संभव है. यदि कोई समूह इसको ठान लें तो हेसबार के ग्रामीण सामूहिक खेती करके बेहतर उदाहरण पेश कर रहे है. बता दें कि यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. यह एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. गांव तक पहुंचने में दो नदियों को पार करना पड़ता है. इन पर अभी तक पुल भी नहीं बने है.