Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 2 August, 2019 3:18 PM IST

झारखंड के लातेहार जिले के सदर प्रखंड का नक्सल प्रभावित हेसलवार गांव आज सामूहिकता और स्वावलंबन की नई मिसाल को पेश कर रहा है. गांव के लोग सामूहिक तौर पर केले की खेती को करके अपनी किस्मत को बदलने का कार्य कर रहे है. एक समय पहले ऐसा समय था जब इसी गांव के लोग पेट पालने हेतु पलायन के लिए मजबूर थे.

सामूहिक खेती की मिसाल

इस गांव में 50 आदिवासियों का घर है. इस पर गांव वालों का कहना है कि धान और मक्के की खेती से काफी सीमित ही कमाई होती थी. लोग पहले ही यहां से धीरे-धीरे पयालन के लिए मजबूर हो जाते थे. उपायुक्त और बीडीओ ने गांव का दौरा किया है. हम लोगों को अलग तरीके से खेती को करने की सलाह दी जाती है.जिसके बाद गांववालों ने सामूहिक तौर पर केले की खेती को करने का फैसला ले लिया है. गांव वालों के अनुसार लगभग 6 एकड़ में केले की खेती को किया गया है. यहां पर 2600 पौधे लगाए गए है और खेती में जितने भी खर्च हुए है उसे पूरे गांव वालों ने मिलकर वहन किया है. इसकी खेती को जो भी फायदा होगा तो गांव वाले इसको बराबर वांट लेंगे. गांव वालों का कहना है कि 7 से 8 महीने में इसकी खेती से 8 से 9 लाख का अनुमान है. खेती में जिले प्रशासन की भरपूर मदद मिल रही है.

केले के बाद पपीता और फूल खेती की योजना

हेसलबार गांव के लोग काफी मेहनती है. गांववालों ने सामूहिक खेती की मिसाल कायम कर ली है आने वाले दिनों में अन्य प्रखंड और जिले के लोग इनसे प्रेरित होंगे. फिलहाल इन्होंने केले की खेती को करने का कार्य किया है और बाद में पपीता और फूलों की खेती को करने की योजना भी है. यहां के डीसी का हना है कि सरकार की योजनाओं से ही गांव और ग्रामीणों का विकास संभव है. यदि कोई समूह इसको ठान लें तो हेसबार के ग्रामीण सामूहिक खेती करके बेहतर उदाहरण पेश कर रहे है. बता दें कि यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. यह एक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. गांव तक पहुंचने में दो नदियों को पार करना पड़ता है. इन पर अभी तक पुल भी नहीं बने है.

English Summary: New examples presenting women from the village by collective cultivation
Published on: 02 August 2019, 03:20 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now