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Updated on: 15 October, 2024 12:51 PM IST
गेहूं की उन्नत किस्में (Image Source: Shutterstock)

Top 10 Wheat Varieties: भारत में चावल के बाद गेहूं की खपत सबसे अधिक है, जिसके चलते देश के ज्यादातर किसान अधिक आय के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं. बाजार में गेहूं की कई तरह की किस्में मौजूद हैं, लेकिन आज हम किसानों के लिए गेहूं की ऐसी 10 अगेती-पछेती किस्में की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम समय में अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है.

बता दें कि गेहूं की जिन उन्नत किस्मों का हम बात कर रहे हैं, वह अधिकतम प्रति हेक्टेयर 70-75 क्विंटल तक उपज देती है. ऐसे में आइए गेहूं की इन उन्नत किस्मों के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...

गेहूं की टॉप 10 अगेती-पछेती किस्में/Top 10 Early and late Varieties of Wheat

पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650): गेहूं की यह वर्ष 2022 में विकसित की गई थी. गेहूं की पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650) किस्म की ऊंचाई 90-95 (से.मी.) और 115-120 की अवधि (दिन) में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म के 1000 दानों का वजन 45-50 ग्राम होती है. इसके अलावा किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 55-60 क्विंटल औसत उपज और अधिकतम उपज 70-75 प्राप्त कर सकते हैं.

वही, किसान इस किस्म को अपने खेत में 10-15 नवंबर, 2024 के दौरान बुवाई कर सकते हैं. साथ ही पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650) किस्म की सिंचाई 4-5 बार करनी चाहिए. गेहूं की यह फसल चंदौली/शरबती चपाती, ब्रेड, बिस्किट के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

120

स्फुर

60

पोटाश

30

पूसा हर्षा (एच.आई.1655):  गेहूं की यह अगेती-पछेती किस्में वर्ष 2022 में विकसित की गई. इस किस्म की ऊंचाई 90-95 से.मी और पकने की अवधि 115-120 दिन है. गेहूं की इस किस्म के 1000 दानों का वजन  42-47 ग्राम है. इसके अलावा किसान इससे औसत उपज 40-42 (क्वि./है.) और अधिकतम उपज 55-60 प्राप्त कर सकते हैं. किसान खेत में गेहूं की पूसा हर्षा (एच.आई.1655) किस्म की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर है. साथ ही इस किस्म में 1-2 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

80

स्फुर

40

पोटाश

20

पूसा अहिल्या (एच.आई.1634):  गेहूं की यह अगेती-पछेती किस्में अनुशंसा वर्ष 2021 है. इसकी ऊंचाई  85-90 (से.मी) है. गेहूं की यह किस्म 115-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म के गेहूं के 1000 दानों का वजन 40 ग्राम तक होता है. किसान इससे औसतन उपज 45-50 (क्विं.है.) और अधिकतम 70-75 उपज प्राप्त हो सकती है. किसान इसकी बुवाई 01 दिसंबर से 5 जनवरी तक खेत में कर सकते हैं. इसके लिए 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

100

स्फुर

50

पोटाश

25

पूसा वकुला (एच.आई.1636):  वैज्ञानिकों के द्वारा गेहूं की इस किस्म को वर्ष 2021 अनुशंसा किया गया. इस किस्म की ऊंचाई 90-95 (से.मी) और पकने की अवधि 115-120 दिन है. इसके अलावा पूसा वकुला (एच.आई.1636) किस्म के 1000 दानों का वजन 50-52 ग्राम होता है. किसान इससे औसतन 55-60 (क्वि./है.) उपज और अधिकतम 75-80 उपज प्राप्त कर सकते हैं. किसान इसकी बुवाई 10-25 नवंबर के दौरान कर सकते हैं. इसके लिए 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है.  

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

120

स्फुर

60

पोटाश

30

पूसा तेजस (एच.आई.8759):  वर्ष 2017 में गेहूं की पूसा तेजस (एच.आई.8759) में अनुशंसा की गई है.  इसकी फसल की ऊंचाई 80-85 से.मी. और पकने की अवधि 115-120 दिन होती है. इसके अलावा गेहूं की इस उन्नत किस्म के 1000 दानों का वजन 50-55 ग्राम होता है. गेहूं की इस किस्म के बीज दर 125 कि.ग्रा./है. और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से.मी. तक होनी चाहिए. किसान इसकी बुवाई 10 नवंबर से 25 नवंबर तक होती है. वही, अगर सिंचाई की बात करें, तो इसके लिए 4-5 बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है. किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 50-55 क्विंटल उपज पा सकते हैं.

गेहूं की पूजा तेज (एच.आई.8459) किस्म मालवी/कठिया उच्च गुणवत्ता- सूजी, दलिया, पास्ता एवं रोटी के लिए उत्तम है.

उर्वरक

किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

नाइट्रोजन

140

फॉस्फोरस

70

पोटाश

35

पूसा प्रभात (एच.आई. 8823):  गेहूं की यह किस्म वर्ष 2021 में अनुशंसा की गई थी. इसके फसल की ऊंचाई 80-85 (से.मी) और पकने की अवधि 120-125 दिन है. पूसा प्रभात (एच.आई. 8823) किस्म के 1000 दानों का वजन 44-48 ग्राम होता है. किसान की बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर और 2-3 सिंचाई में औसतन उपज 40-45 (क्वि./है.) एवं अधिकतम 65-70 उपज प्राप्त कर सकते हैं.

गेहूं की पूसा प्रभात (एच.आई. 8823) किस्म कठिया/मालवी/ड्यूरम पास्ता तथा सूजी के लिए उपयुक्त मानी जाती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

80

स्फुर

40

पोटाश

20

पूसा कीर्ति (एच.आई.8830):  गेहूं की पूसा कीर्ति किस्म वर्ष 2022 में अनुशंसा की गई और इसके फसल की ऊंचाई 84-86 (से.मी) है. इस उन्नत किस्म के पकने की अवधि 115-120 दिन है. इसके 1000 दानों का वजन 47-49 ग्राम होती है. किसान पूसा कीर्ति (एच.आई.8830) से औसतन 40-45 (क्वि./है.) उपज और अधिकतम 65-70 उपज पा सकते हैं. खेत में इसकी बुवाई 20 अक्तूबर से 10 नवंबर और 1-2 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

80

स्फुर

40

पोटाश

20

पूसा हर्षा (एच.आई. 1655):  गेहूं की यह अगेती-पछेती किस्मे अनुशंसा वर्ष 2022 है. इस किस्म की फसलों की ऊंचाई 90-95 (से.मी.) और पकने की अवधि 115-120 दिन है. इसके अलावा इसके 1000 दानों का वजन 42-47 ग्राम होता है. किसान इससे औसतन 40-42 (क्वि./है.) उपज और अधिकतम 55-60 उपज पा सकते हैं. खेत में बुवाई 20 अक्टूबर से 10 नवंबर उपयुक्त होती है. साथ ही गेहूं की इस किस्म के लिए 1-2 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

80

स्फुर

40

पोटाश

20

पूसा ओजस्वी (एच.आई.1650): गेहूं की यह उन्नत किस्म वर्ष 2022 में अनुशंसा की गई. इसके फसलों की ऊंचाई 90-95 (से.मी.) और पकने की अवधि 115-120 दिन होती है. इस किस्म के 1000 दानों का वजन 45-50 ग्राम होता है. किसान गेहूं की इस अगेती-पछेती किस्मे से औसतन 55-60  (क्वि./है.) उपज और अधिकतम 70-75 उपज पा सकते हैं. इसके अलावा इस किस्म से अच्छी पैदावार पाने के लिए 10-25 नवंबर बुवाई कर सकते हैं और 4-5 बार सिंचाई करना जरूरी होता है.

पोषक तत्व (कि,ग्रा./है.)

नत्रजन

120

स्फुर

60

पोटाश

30

गेहूं की GW 322 किस्म:  गेहूं की यह किस्म वैसे तो गेहूं की किस्म यह किस्म देश के सभी राज्यों में उगाई जाती है, लेकिन मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उगाई जाती है, जो करीब-करीब 115 से 120 दिन में अच्छे से पककर तैयार हो जाती है. अगर हम इसके पैदावार की बात करें, तो यह 60 -62 क्विंटल तक पैदावार देती है.

English Summary: name ten improved varieties of wheat in india giving high yield
Published on: 15 October 2024, 01:00 PM IST

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