Fodder crops for dairy cattle: पशुपालकों के लिए हरा चारा एक महत्वपूर्ण आहार होता है, जिससे दूध उत्पादन बढ़ता है और पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर रहता है. लेकिन हर मौसम में चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक चुनौती होती है. ऐसे में, मल्टीकट फसल प्रणाली अपनाकर किसान एक ही खेत में पांच प्रकार के हरे चारे की खेती कर सकते हैं. यह विधि लागत कम करने के साथ-साथ अधिक उत्पादन में मदद करती है.
एक ही खेत में 5 तरह के चारे उगाने के फायदे
- लगातार हरा चारा उपलब्ध – सालभर पशुओं के लिए ताजा चारा मिलता रहेगा.
- संतुलित पोषण – विभिन्न फसलों से प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं.
- कम लागत, ज्यादा मुनाफा – उर्वरक और पानी की कम खपत से लागत में कमी आती है.
- मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है – अलग-अलग फसलें मिट्टी को नुकसान नहीं पहुंचातीं.
- जलवायु के अनुसार अनुकूलन – विभिन्न चारे एक साथ उगाने से सूखा या अधिक बारिश की स्थिति में भी उत्पादन प्रभावित नहीं होता.
इन 5 फसलों को उगाएं एक साथ
नेपियर घास (Napier Grass)
- जल्दी बढ़ने वाली घास जो बार-बार कटाई के बाद भी तेजी से बढ़ती है.
- इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जिससे दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
- इसे वर्षभर उगाया जा सकता है.
ज्वार का हरा चारा (Sorghum Fodder)
- सूखा सहनशील फसल, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है.
- इसमें फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा होती है.
- गर्मियों और मानसून में उगाने के लिए उपयुक्त.
बरसीम (Berseem)
- यह सर्दियों का सबसे अच्छा चारा है, जिसमें प्रोटीन भरपूर होता है.
- एक बार बोने पर कई बार कटाई की जा सकती है.
- पशुओं को पसंद आने वाला नरम और सुपाच्य चारा.
मक्का का हरा चारा (Maize Fodder)
- अत्यधिक ऊर्जा और स्टार्च वाला चारा, जिससे दूध में वसा की मात्रा बढ़ती है.
- यह तेज़ी से बढ़ता है और जल्दी कटाई के लिए तैयार हो जाता है.
- गर्मी और बरसात के मौसम के लिए उपयुक्त.
गिनी घास (Guinea Grass)
- बार-बार कटाई के बाद भी तेजी से बढ़ती है.
- इसमें अधिक प्रोटीन होता है और यह पशुओं के लिए सुपाच्य होती है.
- सूखा सहने की क्षमता अधिक होती है.
खेती की प्रक्रिया
भूमि की तैयारी:
- खेत की गहरी जुताई करें और उचित मात्रा में जैविक खाद डालें.
- सिंचाई की सही व्यवस्था सुनिश्चित करें.
बीजों का चयन एवं बुवाई:
- अलग-अलग फसलों के लिए सही बीज का चयन करें.
- एक ही खेत में अलग-अलग हिस्सों में या मिश्रित रूप से बीज बो सकते हैं.
सिंचाई एवं देखभाल:
- जरूरत के अनुसार ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाएं.
- खरपतवार नियंत्रण करें और समय-समय पर खाद डालें.
कटाई एवं भंडारण:
- उचित समय पर चारे की कटाई करें ताकि अधिकतम पोषक तत्व मिल सकें.
- अतिरिक्त चारे को साइलेज (Silage) या सूखा चारा बनाकर संग्रहित करें.