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Updated on: 23 March, 2019 4:26 PM IST
शहतूत की खेती मुनाफे का सौदा

शहतूत को मोरस अल्वा के नाम से भी जाना जाता है. मुख्य तौर पर इसकी खेती रेशम के कीटों के लिए की जाती है. शहतूत से बहुत सारी औषधि भी बनाई जाती है उदाहरण के लिए- रक्त टॉनिक, चक्कर आना, कब्ज, टिनिटस के उपचार आदि के उपचार में प्रयोग होती है. इसका जूस सबसे ज़्यादा कोरिया,जापान और चीन में सबसे अधिक प्रयोग होता है. यह एक सदाबहार वृक्ष होता है जिसकी औसतन ऊंचाई 40-60 फीट होती है.  भारत में इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटका, आंध्रप्रदेश और तामिलनाडू में की जाती है.

शहतूत की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

दोमट मिट्टी और चिकनी बलुई मिट्टी सबसे ज़्यादा उपयुक्त.

मिट्टी का ph6.5 से 7.0 बीच होना चाहिए.

मिट्टी अम्लीय हो (पीएच 7.0 से नीचे) तो मिट्टी में चुना मिला दें .

मिट्टी क्षारीय हो (पीएच 7.0 से ऊपर) मिट्टी जिप्सम मिला दें .

तापमान

20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान शहतूत के पौधों की वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है.

वर्षा

इसके लिए 1000 – 1500 मिमी. की बारिश उपयुक्त मानी जाती है.

पौधशाला

इस फसल की जून से जुलाई और नवंबर-दिसंबर के बीच कर देनी चाहिए

जमीन तैयार करना

शहतूत की खेती करने के लिए ऊँचा, समतल, अच्छी तरह से सूखी हल्की बनावट, गहरी दोमट मिट्टी या बलुई मिट्टी वाला खेत ही चयन करें.

दोनों दिशाओं में दो बार गहरी खुदाई/जुताई करें.

खुदाई/जुताई के 10-15 दिनों के बाद एक सही झुकाव दें.

300 × 120 सेमी (लंबाई और चौड़ाई) आकार की क्यारी तैयार करें.

25-30 सेमी चौड़ाई और 15-20 सेमी गहरी चैनल नाली बनवाएं.

20 किग्रा एफवाईएम / प्रति क्यारी का प्रयोग करें.

कटाई की तैयारी

रोपण सामग्री के रूप में आठ महीने से पुरानी टहनियों का प्रयोग करें..

15-20 सेमी लंबाई और 3-4 सक्रिय कलियों सहित 1-1.5 सेमी व्यास की कलमें तैयार करें.

कलमों को जूट के गीले कपड़े में लपेट कर छाया में रखें.

अगर प्रत्यारोपण आगे बढ़ाया/स्थगित कर दिया गया है तो पानी छिड़कें.

रोपण तकनीक

पंक्तियों के बीच 20 सेमी और कलमों के बीच 8 सेमी का फासला रखें.

कलमों को डालने के लिए मिट्टी में एक कुंदे (स्टॉक) से छेद बनाएं.

कलमों को तिरछी स्थिति में लगाएं.

कलमों के आसपास की मिट्टी को मजबूती से दबाएं.

घास-फूस, सूखे शहतूत की टहनियों आदि से सड़ी खाद (मल्चिंग) प्रदान करें.

सूखे की अवधि के दौरान सप्ताह में एक बार पौधशाला (नर्सरी) की सिंचाई करें.

शहतूत पौधशाला (नर्सरी) का रखरखाव

सूखे की अवधि के दौरान सप्ताह में एक बार पौधशाला (नर्सरी) की सिंचाई करें.

पौधशाला (नर्सरी) की क्यारी को खरपतवार से मुक्त रखें.

पौधशाला में उर्वरक का प्रयोग

विकास के 55-60 दिनों के बाद, 500 ग्राम अमोनियम सल्फेट या प्रत्येक क्यारी के लिए 250 ग्राम यूरिया का सिंचाई के पानी में घोल कर प्रयोग करें

जमीन तैयार करना

बिजली के हल या ट्रैक्टर से 30 से.मी की गहराई तक जुताई और फिर से जुताई के द्वारा मानसून की बारिश के पहले जमीन तैयार करें.

English Summary: Mulberry cultivation is profitable.
Published on: 23 March 2019, 04:38 PM IST

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