शहतूत भारत में प्राचीन समय से उगाई जा रही हैं पेड़ का उपयोग सिर्फ फल देने में नहीं, बल्कि रेशम को बनाने वाले कीड़ों को खिलाने में भी काम आता है। शहतूत को इसी कारण रेशम कीट शहतूत भी कहा जाता है इस फल की मूल उत्पत्ति चीन में हुई हैl
इस पेड़ की लंबाई 14-20 मीटर तक जा सकती हैl पेड़ आकार भिन्न पेड़ के किस्म पर आधारित होते हैंl पेड़ की चौड़ाई 13-18 मीटर तक हो सकती हैl इसी कारण इस फसल का प्रयोग बाड़ बनाने के लिए भी किया जा सकता हैl शहतूत फसल के आकार काफी परिवर्तनशील होते हैंl कुछ में शिथिल या टेढ़ी आकृतियां हो सकती हैं, अन्य में कठोर पिरामिड या शंकु जैसी आकृतियां हो सकती हैंl यह पेड़ लगभग 75 वर्ष तक जीवित रह सकते हैंl
शहतूत के पेड़ की पत्तियां आमतौर पर पेड़ की उम्र के आधार पर बारी-बारी से लंबाई और आकार के साथ चमकदार और पतली होती हैl युवा अंकुर गहरे और विस्तृत लोगों के साथ 12 इंच (लगभग 30 सेंटीमीटर तक लंबे पत्ते उगाते हैंl
पेड़ एकता लिंग वाले फूलों का उत्पादन करता है जिसमें कोई पंखुड़ी नहीं होती है जो कैटकिन नामक समूहों में भीड़ होती है और मुख्य रूप से हवा के फैलाव के माध्यम से प्रगति होती हैl शहतूत की प्रत्येक कोशिका में कुल 308 गुणसूत्र होते हैं (जोकि किसी भी पेड़ में सबसे ज्यादा है)l फल कई छोटे द्रुपो का एक मिश्रित समूह होता हैl फल पहले तो गहरे बैंगनी रंग के होते हैं, पकने पर लगभग काले होते हैंl
इतिहास
शहतूत के पेड़ों की खेती अतीत से सेरीकल्चर (रेशम के कीड़े पालने) के उद्देश्य से की जाती थीl रेशम के कीड़े शहतूत की पत्तियों को खाते हैं और रेशम का उत्पादन करते हैंl रेशम उत्पादन की प्रथा चीन में प्रारंभ हुईl तब से यह माना जाता है शहतूत की उत्पत्ति चीन में हुई थीl यह भारत में 140 ईसा पूर्व के दौरान तिब्बती लोगों द्वारा भारत में लाया गयाl भारत में इस फसल को कई राज्यों में उगाया जाता रहा हैl कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि में इस फसल को उगाया जाता हैl
पोषण तत्व
फल में आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैंl शहतूत में उच्च मात्रा में आहार फाइबर और फ्लेवोनॉयड्स होते हैंl शहतूत पाचन शक्ति को बढ़ाता है और हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता हैl
मिट्टी एवं भूमि की तैयारी
चिकनी दोमट से दोमट मिट्टी अधिक फसल देती हैl मिट्टी का पीएच 6.5 से 7 होना चाहिएl ऊंची, समतल, अच्छी जल निकासी वाली जमीन का प्रयोग करेंl 300 ₓ 120 सेंटीमीटर के बिस्तर का आकार तैयार करेंl 20-25 किलोग्राम एफ०वाई०एम० जरूर डालेंl
जलवायु
भारत की जलवायु उत्तम है इस फसल को उगाने के लिए तापमान का क्षेत्र 36० से 40० सेल्सियस तक होना चाहिएl
उपयुक्त शहतूत की किस्में
कनवा 2, एस -13, एस-34, देहरा-दून, विक्टोरिया आदिl
निषेचन
शहतूत की फसल को लगभग 50 किलोग्राम/हेक्टेयर नाइट्रोजन, 25 किलोग्राम/हेक्टेयर पोटेशियम और 25 किलोग्राम/हेक्टेयर फास्फोरस की आवश्यकता होती हैl
प्रूनिंग
रोपण के 6 महीने बाद, शहतूत 1.5 से 1.75 मीटर की ऊंचाई प्राप्त कर लेता है और कटाई के लिए तैयार हो जाता हैl पहली कटाई नीचे की छटाई से होती हैl दूसरी पत्री की कटाई पहली पत्री की कटाई से 12 सप्ताह और तीसरी फसल की दूसरी कटाई से 12 सप्ताह की शूटिंग से होती हैl दूसरे वर्ष से 70 दिनों के अंतराल पर प्ररोह कटाई विधि से कटाई की जाती हैl
औसत उपज और फसल कटाई
पेड़ 2-3 साल बाद फल देने लगता हैl फल जून से लेकर अगस्त तक तोड़े जा सकते हैंl एक पेड़ औसत 60 से 100 किलो फल दे सकता हैl
अनुशी1, सत्यार्थ सोनकर1
1शोध छात्र, फल विज्ञान विभाग, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर (उ. प्र.) (208002)
संवादी लेखक: अनुशी