महंगाई के इस दौर में अब खेती-किसानी को नए तरीके से करना बहुत जरूरी हो गया है. समान्य फसलों को उगाने से अच्छ है कि विशेष फसलें खास तरीके से उगाई जाएं. ऐसे में किसान उन फसलों की खेती कर सकते हैं जिनकी उन्नत खेती कर वह खूब सारा मुनाफा हासिल कर सकें. ऐसा कहना गलत होगा कि कृषि के क्षेत्र में अच्छी कमाई नहीं की जा सकती क्योंकि आज कई ऐसे किसान हैं जो अच्छी तकनीक, बेहतर खाद और उर्वरक व मशीनों आदि के सही प्रयोग से उन्नत खेती कर बाजार में अच्छा मोल हासिल कर रहे हैं. पिछले लेख में हमने आपको भारत की कुछ ऐसी नकदी फसलों के बारे में बताया था जो लाभदायक और उच्च मुनाफा देने में सक्षम हैं. आज हम जानेंगे कुछ और ऐसी नकदी फसलों के बारे में जिनको अहमियत देन बेहद जरूरी है.
औषधीय पौधों की खेती (Medicinal Plants)
कृषि के क्षेत्र में औषधीय पौधों का व्यापार करना आज के समय में सबसे लाभदायक बिजनेस के रूप में साबित हो रहा है. आप जिन जड़ी बूटियों की खेती करना चाहते हैं उनकी अच्छी तरह से जानकारी हासिल करना ज़रूरी है. औषधीय पौधों की फसल उगाने के लिए पर्याप्त जानकारी लें ताकि किसी तरह का नुकसान न हो. आप थोड़ी पूंजी लगाकर (minimum investment) औषधीय या जड़ी-बूटी वाले पौधों को लगा सकते हैं जिनकी आज सभी जगह मांग है.
बागवानी के पौधों की खेती (Horticulture Plants)
फल और सब्जियों जैसे बागवानी वाली फसलें व्यावसायिक रूप से लाभदायक होने के साथ-साथ नकदी फसल भी हैं. अच्छी फसल लेने के लिए ये जानना ज्यादा जरूरी है कि विशेष क्षेत्र में खेती के लिए कौनसी किस्में सर्वश्रेष्ठ हैं. बागवानी को भारत में सबसे लाभदायक माना जाता है क्योंकि इसमें ज्यादातर वो पौधें या पेड़ होते हैं जिनको एक बार लगाने के बाद कई फसलें ली जा सकती है. इनके अलावा सब्ज्यों की खेती भी बहुत लाभदायक है क्योंकि ये उच्च मुनाफे वाली होने के साथ-साथ नगदी फसलें हैं.
गन्ने की खेती (Sugarcane Farming)
गन्ने की फसल सबसे अधिक उपज देने वाली फसलों में से एक है और ये नकदी फसल है. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि गन्ना एक रोपने के बाद इससे 3 फसलों बड़ी अराम से ली जा सकती है. यह एक लंबी अवधि की फसल है और यह अपने जीवन चक्र के दौरान वर्षा, सर्दी और गर्मी जैसे सभी मौसमों का सामना करती है.
मसालों की खेती (Spices Farming)
भारती मसाले दुनियाभर में फेमस है. भारत के मसाले कई देशों निर्यात भी किए जाते हैं. कई मसाले तो बहुत महंगे आते है जिनकी भारती बाजार में भारी मांग और खपत है. केसर, इलायची, शुद्ध वनीला फलियां (pure vanilla beans) आदि काफी महंगे मसाले हैं अगर इनकी खेती की जाए तो बहुत लाभ उठाया जा सकता है, इनमें से कई की खेती के लिए सरकार भी मदद करती है. ऐसे मसालों की खेती व्यावसायिक तौर पर बहुत फायदेमंद है.
लैवेंडर की खेती (Lavender Farming)
लैवेंडर को दुनियाभर में उत्पादन करने के लिए लाभदायक नकदी फसल (commercial cash crop plants) के रूप में माना जाता है. जलवायु और मिट्टी की स्थिति लैवेंडर की खेती में मुख्य भूमिका निभाती है. लैवेंडर को अधिकतम आर्द्रता (humidity) के साथ तेज़ धूप और ठंडे मौसम की आवश्यकता रहती है.
कॉटन या कपास की खेती (Cotton Farming)
कॉटन सबसे महत्वपूर्ण फाइबर्स में से एक है और कॉटन की खेती लाभदायक नकदी फसल है. यह औद्योगिक और अर्थव्यवस्था (industrial and economy) में एक मुख्य भूमिका निभाता है. कपास एक मालवेसी कुल का सदस्य है. इसकी दो किस्में पाई जाती है जिनमें से पहले देशी कपास और दूसरी अमेरिकन कपास है. इससे तैयार रुई से कपड़े तैयार किए जाते हैं. कॉटन के बीज का उपयोग वेजीटेबल ऑयल के रूप में किया जाता है और बेहतर दूध उत्पादन के लिए दुधारू पशुओं (Milch Cattle) के चारे में भी. कपास एक खरीफ फसल है जोकि उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ज्यादा होती है. अगर किसान इसकी खेती करें तो भारी मुनाफे के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
जड़ी बूटी की खेती (Herbs Farming)
कई विभिन्न प्रकार की विशेष जड़ी-बूटियां अपने औषधीय गुणों के लिए लोकप्रिय हैं. सही जड़ी-बूटी का चयन करना और सही बाज़ार का निर्माण करना इनकी खेती करने के लिए बहुत जरूरी है. जड़ी-बूटियों की खेती में मुख्य रूप से महत्वपूर्ण रणनीति बनाई जाती है. कुछ मुख्य लाभदायक जड़ी बूटियों में चाइव्स, सीलांट्रो, ओरेगनो, कैमोमाइल आदि शामिल हैं.
चाय की खेती (Tea Farming)
दुनिया में भारत चाय (काली चाय) का सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत के लगभग 16 राज्यों में चाय की खेती होती है. असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में कुल चाय की खेती का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा है. चाय के कारोबार में मुनाफे की भारी संभावनाएं हैं और चाय के उत्पाद की मांग विश्व स्तर पर बहुत ज्यादा है. आमतौर पर, चाय के पौधे अक्सर उन्न इलाकों में उगाए जाते हैं जहां अम्लीय मिट्टी (acidic soil) हो . ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्र भी इसके लिए उचित हैं. जिन इलाकों में जहां प्रति वर्ष 40 इंच के आसपास भारी वर्षा होती है वहां चाय की खेती अच्छी होती है.