लाहौल घाटी में तैयार आइसबर्ग लेट्यूस सब्जी की फसल अब देश के महानगरों में भी धूम मचाने लगी है. यहां पर पिज्जा, बर्गर, सलाद सहित चाइनीज डिश में इस्तेमाल होने वाले यहां की नकदी फसल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही है. यहां के व्यापारी इस फसल को 60 से 70 रूपये तक प्रति किलो यही पर खरीद रहे है। यहां शुरूआती दौर में पिछले कुछ वर्ष में घाटी में 30 फीसदी किसान आइसबर्ग की खेती को तरहीज दे रहे है। यहां पर मुनाफा हो जाने के बाद किसानों में काफी उत्साह का माहौल है।
करीब 70 हेक्टेयर भूमि पर हो रही खेती
कृषि विभाग लाहौल के मुताबिक घाटी में इस समय तक तकरीबन 70 हेक्टेयर भूमि पर आइसबर्ग का उत्पादन हो रहा है। आने वाले दिनों के भीतर लाहौल घाटी के किसान इसकी खेती को और बड़े पैमाने पर कर सकते है। विगत कुछ सालों से शंशा, किरतिंग, ठोलंग, गौशाल सहित कुछ अन्य गांव के किसान आइसबर्ग की खेती कर रहे है।
कई चीजों की डिमांड
लाहौल घाटी के किसानों का रूझान आलू और मटर की खेती को छोड़ कर सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। यहां घाटी में फूल गोभी और ब्रोकली के बाद आइसबर्ग सहित अन्य साग सब्जी को तरजीह मिल रहा है।घाटी में एक महीने पूर्व से ही आइसबर्ग का सीजन शुरू हो गया है। यहां पंजाब और बिहार से आए व्यापारी सतविंद्र और राजकुमार का कहना है कि देश में दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ सहित तमाम बड़े महानगरों में आइसबर्ग की काफी डिमांड है। पीजा, बर्गर सहित अन्य चाइनीज डिश और सलाद में इस्तेमाल किया जाता है।
किसानों का रूझान बढ़ा
जलवायु के अनुसार इसका बाजार रहता है। शंशा के किसान दिनेश का कहना है कि आलू, मटर की खेती के लिहाज से वह आइसबर्ग की खेती करके बढ़िया आय को कमा रहे है। जिला कृषि अधिकारी हेम राज वर्मा ने बताया कि लाहौल स्फीति घाटी में इस साल करीब 70 हेक्टेयर में आइसबर्ग का उत्पादन हो रहा है। घाटी के किसानों का रूझान अब सब्जी उत्पादन की ओर भी बढ़ने लगा है।