Good Production From Moong Cultivation: मूंग की खेती भारत में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मूंग की खेती किसान कम लागत और कम कमय में खरीफ, रबी और जायद तीनों सीजन में कर सकते हैं. मूंग एक शक्ति-वर्द्धक दाल फसल है, जिसमें प्रोटीन और पोषक तत्व की काफी अच्छी मात्रा पाई जाती है. आपको बता दें, मूंग दाल में लगभग 25% तक प्रोटीन, 60% कार्बोहाइड्रेट, 13% फैट (वसा) और काफी अच्छी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। मूंग को बुखार और कब्ज जैसी समस्या के लिए भी काफी लाभकारी माना जाता है. वैसे तो मूंग की खेती मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में की जाती है, लेकिन मुख्य रूप से मूंग को राजस्थान में बोया जाता हैं.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें मूंग की फसल से कैसे कर सकते हैं अधिक कमाई?
मूंग के लिए ऐसे करें खेत तैयार
यदि किसान खरीफ सीजन में मूंग की फसल को लगाने का प्लान बना रहे हैं, तो उन्हें खेतों में 2 से 3 बार वर्षा पड़ने के बाद गहरी जुताई का काम कर लेना चाहिए. ऐसा करने से मिट्टी में छिपे कीड़े बहार आ जाते हैं और खरपतवार नष्ट हो जाती है. इसके अलावा, गहरी जुताई करने से मूंग फसल की उत्पादकता भी बढ़ती है और अच्छी व स्वस्थ फसल प्राप्त करने में मदद मिलती है. किसानों को खेत में गहरी जुताई करने के बाद पाटा चलाकर उसे समतल कर लेना चाहिए. इसके बाद आपको खेत में जरुरी पोषक तत्व और गोबर की खाद मिला लेंनी चाहिए, जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है.
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अच्छे बीजों का चयन
बता दें, जून के आखिरी सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक किसानों को मूंग की बुवाई करनी चाहिए. फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीजों का चुनाव करना चाहिए, जिससे फसल में कीड़े और बीमारियां लगने की संभावनाएं कम से कम रहें.
ऐसे करें बुवाई
आपको अपने खेत में मूंग की बुवाई करने से पहले बीजों का बीजशोधन जरूर कर लेना चाहिए. ऐसा करने से स्वस्थ और रोगमुक्त फसल प्राप्त करने में मदद मिलती है. आपको अपने खेतों में मूंग के बीजों की बुवाई कतार में करनी चाहिए, जिससे निराई और गुड़ाई करने में आपके लिए आसानी रहे और खरपतवार को समय से निकाला जा सकें.
सिंचाई की व्यवस्था
हालांकि मूंग की फसल के लिये ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. 2 से 3 बारिशों में ही फसल को अच्छी नमी मिल जाती है. लेकिन फिर भी फलियां बनते समय खेतों में हल्की सिंचाई लगा देनी चहिये. शाम के समय हल्की सिंचाई लगाने से मिट्टी को नमी मिल जाती. ध्यान रखें कि फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई का काम बंद कर दें.
निराई-गुड़ाई का काम
मूंग की फसल में कीट और रोग लगने की संभावना हमेशा बनी रहती है, इसलिए आपको खेतों में समय-समय पर निराई-गुड़ाई का काम करते रहना चाहिए. आपको अपने खेत में उगी खरपतवार को उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिए और फसल को रोगमुक्त रखने के लिए रोगों की भी फसल की निगरानी करनी चाहिए.
कब करें कटाई और गहाई
खरीफ सीजन की मूंग फसल कम समय में पकने वाली फसलों में से एक है. इस फसल को पककर तैयार होने में लगभग 65 से 70 दिनों का समय लगता है। यदि जून-जुलाई में मूंग की बुवाई की जाए, तो सिंतबर-अक्टूबर के बीच इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है. जब मूंग की फसल में आने वाली फलियों का रंग हरे से भूरे रंग का होने लगें, तो आपको कटाई-गहाई का काम समय रहते कर लेना चाहिए.