पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अब समय के साथ ही खेती करने का तरीका और फसलों का तरीका बदल रहा है. यहां पर किसान अब परंपरागत फसलों से हटकर औषधीय पौधों जैसे तुलसी की खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा रहे है, साथ ही उद्यान विभाग भी इसके लिए अनुदान दे रहा है.
यहां पर गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान अब परंपरागत खेती से हटकर मुनाफा कमाने वाली खेती की तरफ तेजी से रूख करने लगे है. मुरादाबाद जनपद के एक दर्जन से ज्यादा गांव में किसान तुलसी के पौधे उगा रहे है जो भी किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा दे रहे है.
कई सालों से कर रहे हैं तुलसी की खेती (Cultivating tulsi for many years)
राज्य की सरकार भी किसानों को तुलसी के पौधों की खेती पर अनुदान मुहैया करवा रही है. जिसके चलते हर साल किसान ज्यादा संख्या में तुलसी उगाने का कार्य कर रहे है. तुलसी के साथ अन्य औषधीय गुणों वाले पौधे भी किसानों के खेतों का हिस्सा बनता जा रहे है.
यहां पर मुरादाबाद जनपद खानपुर गांव के रहने वाले किसान राजपाल यादव पिछले दो साल से अपने खेतों में तुलसी की फसल उगा रहे है. नवंबर के महीने की शुरूआत में ही तुलसी के पौधे से बीज और तेल निकालकर मंडी में बेच दिया जाता है. यहां पर सैकड़ों किसानों की तुलसी की फसल से अपनी तकदीर बदल रहे है. हर साल फसल का रकबा बढ़ रहा है.
बढ़ रही है औषधीय पौधों की मांग (Increasing demand for medicinal plants)
औषधीय गुणों वाली यह फसल जहां पर किसानों की तेजी से किसानों की आमदनी को बढ़ा रही है, वही घरों में भी तुलसी की मांग बनी रहती है, एक हेक्टेयर में महज छह से सात हजार रूपये की लागत से तुलसी उगाई जा सकती है जो अन्य फसलों से कहीं ज्यादा सस्ती है.
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भविष्य में औषधीय खेतों की बढ़ती जरूरत भी किसान महसूस कर रहे है और साथ ही खुद को भविष्य को तैयार रहने के लिए खुद को बदल रहे है.