चना दलहनी फसलों में से एक महत्वपूर्ण फसल है. इसका उपयोग दाल, बेसन, मिठाई आदि में किया जाता है. वहीं, भारत में चने की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महारष्ट्र आदि राज्यों में की जाती है
चने में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, लोहा और विटामिन हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.
आज हम अपने इस लेख में आपको चने की उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे आपको अच्छा मुनाफा भी मिलेगा एवं फसल की उपज भी अच्छी होगी. चना दो प्रकार के होते हैं, जिनमें छोटे चने और काबुली चने आते हैं. आइये जानते हैं चने की उन्नत किस्मों के बारे में-
चने की खेती के लिए जरुरी बातें (Important Things For Gram Cultivation)
चने की खेती के लिए 24 – 30 डिग्री का तापमान उचित माना जाता है. वहीं, बात करें मिटटी की तो चने की खेती के लिए दोमट मिटटी अच्छी मानी जाती है. जिसमें मिटटी का पी एच मान 6.5 से 7 के बीच होना चाहिए. चने की खेती का सही समय अक्टूबर से नवम्बर के बीच का होता है.
चने की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Hickpeas)
सी 235 (C 235)
चने की यह किस्म 140 से 160 दिन में पककर तैयार होती है. चने इस किस्म के दाने मध्यम आकार के होते हैं. चने की इस किस्म से 12 से 20 क्विटल प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है. चने की इस किस्म में एस्कोकाइटा झुलसा रोग का प्रकोप होने की संभावना नहीं होती है.
आर एस जी 44 (RS G 44)
चने की यह किस्म 145 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. चने की इस किस्म से 20 से 25 क्विटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है.
एच 208 (H208)
चने की यह किस्म 130 से 150 दिन में पककर तैयार होती है. चने इस किस्म के दाने माध्यम आकार के होते हैं. चने की इस किस्म से 16 से 20 क्विटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है.
आर एस जी 888 (RS G 888)
चने की इस किस्म 141 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 20 से 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है.
जी एन जी 146 (G N G 146)
चने के इस किस्म के पौधे मध्यम ऊँचाई के होते हैं. इस किस्म में गुलाबी रंग के फूल निकलते हैं. चने की यह किस्म 145 से 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है. चने इस किस्म से 24 से 26 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है.
जी एन जी 663 (G N G 663)
चने की यह किस्म 145 से 150 दिनों में पककर तैयार होती है. इस किस्म से 20 से 24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार होती है. चने की इस किस्म के दाने भूरे गुलाबी रंग के होते हैं एवं इस किस्म के फुल बैंगनी गुलाबी रंग के होते हैं.
गणगौर (Gangaur)
चने की इस किस्म के पौधे मध्यम उचाई वाले होते हैं. चने की यह किस्म 151 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म के दाने हलके पीले रंग के होते हैं.
ऐसे ही किस्मों से जुडी जानकरियां जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.