भारत में कई तरह के तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें सरसों के तेल भी शामिल है. सरसों के तेल का उपयोग सब्जी, अचार, खाने के अन्य व्यंजन बनाने में काम में होता है. सर्दी के मौसम में सरसों का तेल लगाने से शरीर मुलायम व चुस्त बना रहता है, साथ ही तथा त्वचा के लिए भी सरसों का तेल बहुत अच्छा माना जाता है. सरसों का तेल पशुओं को खिलाने व उनके शरीर पर लगाने के काम भी आता है.
मगर सरसों की फसल में बुवाई से कटाई तक विभिन्न प्रकार के कीटों का भी आक्रमण होता है. अगर इनका सही समय पर प्रबंधन ना किया जाए, तो किसानों की फसल पूरी तरह चौपट हो जाती है. इस कारण किसानों को अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाता है. ऐसे में आज हम सरसों की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट की जानकारी देने वाले हैं -
सरसों में पेंटेड बग कीट का प्रकोप
यह कीट सरसों की फसल में सबसे पहले आता है. सरसों के उगते ही इस कीट का आक्रामण हो जाता है. यह कीट पौधों का रस चुसकर नुकसान पहुंचाता है. यह त्रिकोण आकार का काला-भूरा कीट होता है, जिसके शरीर पर सफेद भूरे चिन्ह होते हैं.
सरसों में पेंटेड बग कीट का प्रबंधन
सिंचाई करते समय क्रूड ऑयल इमल्सन का प्रयोग करें. प्रकोप दिखाई देते ही 4 मि.ली. नीम का तेल एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, इसमें 5 ग्राम कर्बोरिल धूल का भुरकाव 15 से 20 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करे. यह प्रकोप कम नहीं तो मेलाथियान 50 ई.सी. दवा को 1.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
सरसों में आरा मक्खी कीट का प्रकोप
यह कीट जब 25 से 30 दिन का हो जाता है, तब फसल को नुकसान पहुंचाता है. यह छोटे पौधों के तने और पत्तियों को काटती है, जिससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है. इस कीट की केवल लट्टे ही सुबह व शाम के समय नुकसान करती है. इसकी मक्खी नारंगी पीले व लट्ट स्लेटी हरे रंग की होती है जिसका सिर काले रंग का होता है.
सरसों में आरा मक्खी कीट का प्रबंधन
लट्टों को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए. नत्रजन का प्रयोग संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए. लार्वा परजीवी एम्फाक्रोडम पोफलेंस का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रकोप को रोकने के लिए मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चुर्ण 20 से 25 किलो हेक्टेयर के हिसाब से भुरकाव करें. मेलाथियान 50 ई.सी दवा को 1.0 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
सरसों में मोयला कीट का प्रकोप
इस कीट का प्रकोप फसल में फूल आने या उसके बाद शुरु होता है तथा दिसंबर-जनवरी में संख्या बढ़ जाती है. इसकी मादा सीधे निम्फ पैदा करती है. अधिक नमी व बदल युक्त मौसम इस कीट का प्रकोप बढ़ाने में सहायक होते हैं.
यह कीट पौधे के विभिन्न भाग जैसे पत्ती, शाखा, फूल, फली आदि का रस चुसकर नुकसान करता है. यह कीट हरे, काले व पीले रंग का होता है तथा इसके निम्फ व व्यस्क दोनों ही रस चुसकर पौधे क नुकसान पहंचाते हैं.
सरसों में मोयला कीट का प्रबंधन
आर्थिक स्थिति का ध्यान रखें. नत्रजन का अधिक प्रयोग न करें. ग्रसित प्ररोहों को तोड़कर नष्ट कर दें. 4 से 5 प्रति बीघा के हिसाब से पीले रंग के चिपचिपे ट्रेप्स का प्रयोग करें.
लेडीबर्ड बीटल व क्राइसोपरला कार्निया का संरक्षण करें तथा 50000-100000 अंडे या सूंडी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़कें. नीम के 5 प्रतिशत अर्क या 1.25 लीटर नीम का तेल 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. डाइमेथीएट 30 ई.सी. मेटाकसस्टोक्स 25 ई.सी. का 1 से 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.