प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए फसलों की 35 किस्म सौगात में दी हैं. इसमें कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू में विकसित गेहूं की मालवीय 838 किस्म भी शमिल है.
गेहूं की इस किस्म को भी पीएम मोदी ने 28 सितंबर को समर्पित कर दिया है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसमें 50 पीपीएम (पाट्र्स प्रति मिलियन) जिंक, 40 से 45 पीपीएम आयरन और 11 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है.
गेहूं की मालवीय 838 किस्म से मिलेगी ज्यादा उपज
इस किस्म से कम पानी में भी प्रति हेक्टेयर उत्पादन सामान्य गेहूं से ज्यादा ही मिलेगा. साल 2014 में विकसित इस किस्म पर करीब 4 साल तक भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान-करनाल में अध्ययन हुआ. इसके साथ ही वाराणसी, रांची, लुधियाना, हिसार, समस्तीपुर, अयोध्या, कानपुर, मेरठ, नई दिल्ली, जबलपुर, करनाल, इंदौर, मोहन नगर, कुंच बिहार, जोरहट समेत 50 कृषि विश्वविद्यालयों, केंद्रों पर उपज का परीक्षण चला.
बांग्लादेश में गेंहू की बीमारी ब्लास्ट को भी रोकने में कारगर
मालवीय 838 को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि बांग्लादेश में गेहूं का उत्पादान ब्लास्ट रोगी की वजह से काफी कम हो गया है. यह भारत का पड़ोसी देश है, इसलिए इस रोग के आने की बहुत आशंका है, क्योंकि यह रोग हवा द्वारा फैलता है.
ऐसे में गेहूं की मालवीय 838 किस्म काफी उपयोगी है, क्योंकि इस ब्लास्ट रोग का कोई प्रभाव नहीं होता है. यह किस्म पूर्ण रूप से रोग प्रतिरोधी है. बता दें कि इस किस्म तो बांग्लादेश से सटे भारत के राज्यों में उगाया जाए, तो हम इस रोग को भारत में आने से रोक सकते हैं.
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यह गेंहू शरीर में जिंक की पूर्ति कर सकता है. बता दें कि शरीर में जिंक से ही करीब 200 पोषक तत्व बनते हैं. यह मानसिक व शारीरिक विकास के लिए सहायक होता है. अगर शरीर में जिंक की कमी हो, तो बच्चों में डायरिया व हैजा आदि की समस्या बढ़ सकती है. ऐसे में हार्वेस्ट प्लस (ज्यादा काटें) योजना के तहत इस किस्म पर साल 2014 में काम शुरू किया गया था.
बताया जा रहा है कि इस किस्म में 45 से 50 पीपीएम तक जिंक की मात्रा है, जबकि सामान्य गेहूं में 25 से 30 पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) व आयरन की मात्रा 30-35 पीपीएम होती है.
जानकारी के लिए बता दें कि इस किस्म के परीक्षण के दौरान करीब 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज अर्जित की गई है. देश के विभिन्न संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय गेहूं एवं मक्का अनुसंधान संस्थान (मैक्सिको) के सहयोग से जिंक युक्त किस्म का प्रशिक्षण किया गया है.