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Updated on: 23 January, 2023 4:18 PM IST
रजनीगंधा की खेती

भारत में कृषि में अब नई क्रांति देखने को मिल रही है. किसान पारंपरिक खेती से हटकर नई-नई फसलों की खेती कर रहे हैं औषधीय पौधों की खेती भी ज्यादा की जा रही है. ऐसे में आपको औषधीय पौधे की जानकारी दे रहे हैं. रजनीगंधा एक सदाबहार जड़ी-बूटी वाला पौधा है. इसमें फूल की डंठल 75 से 100 सेंटी मीटर लंबी होती हैजिसमें सफेद रंग के फूल आते हैं. रजनीगंधा के फूलों का इस्तेमाल गुलदस्ता बनाने में होता है. ऐसे में इसकी खेती आपको अच्छा मुनाफा दे सकती है. शहरी बाजारों में इसकी मांग काफी रहती है यहीं कारण है कि किसान रजनीगंधा की खेती कर आज के समय में अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं. देश के लगभग सभी राज्यों के किसान रजनीगंधा की खेती करते हैं. हालांकि इसकी खेती में कुछ विशेष ध्यान भी रखना पड़ता है ताकि गुणवत्तापूर्ण पैदावार मिल सके. आइये जानते हैं उन्नत खेती का तरीका

जलवायु और भूमि

रजनीगंधा एक शीतोष्ण जलवायु का पौधा हैलेकिन पूरे साल मध्यम जलवायु में उगाया जाता है. भारत में समशीतोष्ण जलवायु में गर्म और आर्द्र जगहों पर अच्छी पैदावार होती है. 20 से 35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान रजनीगंधा के विकास और वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है. हल्की धूप युक्त खुली जगहों में इसे अच्छी तरह से उगाया जा सकता है. छायादार स्थान इसके लिए उपयुक्त नहीं होता है. वैसे तो रजनीगंधा की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती हैलेकिन यह बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी में अच्छा उगता है.

खेत की तैयारी

रजनीगंधा फूल की खेती करने के लिए सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी को समतल बनाएंउसके बाद खेत में अच्छे से जुताई करें. हर जुताई के बाद पाटा जरूर लगाएं. ताकि खेत की मिट्टी अच्छे से भुरभुरी बन जाएं. अंतिम जुताई करते वक्त खेत में उचित मात्रा में कम्पोस्ट खाद मिलाएं. उसके बाद खेत में क्यारी बनाएं. बात देंरजनीगंधा फूल एक कंद वाली फसल है. इस फूल के अच्छे विकास के लिए जरूरी है कि खेत सही ढंग से तैयार हो.

कंद (कलम) की रोपाई

रजनीगंधा के पौधे कलम (कंद) से लगाए जाते हैं. कंद की रोपाई के लिए मार्च-अप्रैल का महीना उपयुक्त होता है. इसकी रोपाई के लिए 30 से 60 ग्राम और सेंटीमीटर व्यास वाले कंद का चुनाव करना चाहिए. कंदों पर ब्लाइट्रॉस दवा का प्रयोग करके रोपाई करनी चाहिए. ध्यान रहे कि सिंगल किस्म के कंदों को लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी और साथ ही लाइन से लाइन की दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर पर लगाएं. डबल किस्म के कंदों को लगभग 20 सेंटीमीटर की दूरी और सेंटीमीटर की गहराई पर लगाएं.

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सिंचाई

रजनीगंधा कन्द की रोपाई के समय पर्याप्त नमी होना जरूरी है जब कंद के अंखुए निकलने लगे तब सिंचाई से बचाना चाहिए. गर्मी के मौसम में फसल में 5-7 दिन और सर्दी के मौसम में 10-12 दिन के अंतर पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए. इसके बाद भी मौसम की दशाफसल की वृद्धि अवस्था और भूमि के प्रकार को ध्यान में रखकर सिंचाई व्यवस्था का निर्धारण करना चाहिए.

English Summary: Make good money from the cultivation of Rajnigandha, the flower is sold at a high rate in the market
Published on: 23 January 2023, 04:26 PM IST

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