Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! अब किसानों और पशुपालकों को डेयरी बिजनेस पर मिलेगा 35% अनुदान, जानें पूरी डिटेल Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 25 September, 2020 1:23 PM IST
भिंडी की फसल में कीट और रोग का प्रकोप

इस समय भिंडी की फसल में कीट और रोग का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में किसानों को सही समय पर उचित प्रबंधन कर फसल का बचाव कर लेना चाहिए, ताकि फसल को कीट और रोग से ज्यादा नुकसान न हो. कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि भिंडी की फसल को पीत शिरा, चूर्णिल आसिता रोग और प्ररोह व फल छेदक कीट ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए किसानों को समय रहते इनकी रोकथाम कर लेना चाहिए.

पीत शिरा रोग (Yellow vein disease)

यह भिंडी की फसल में नुकसान पहुंचाने वाला प्रमुख रोग है. इस रोग के प्रकोप से पत्तियों की शिराएं पीली पड़ने लगती हैं. इसके बाद पूरी पत्तियां और फल भी पीले रंग पड़ जाते हैं. इससे पौधे का विकास रुक जाता है. इसकी रोकथाम के लिए ऑक्सी मिथाइल डेमेटान 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़क देना चाहिए. इससे रोग का फैलाव कम होता है.

चूर्णिल आसिता रोग (Powdery mildew)

इस रोग में पुरानी निचली पत्तियों पर सफेद चूर्ण के साथ हल्के पीले धब्बे पड़ जाते हैं.

इससे फसल की पैदावार 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है. इसकी रोकथाम के लिए घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 2 से 3 बार 12 से 15 दिनों के अंतराल पर छिड़कना चाहिए.

ये ख़बर भी पढ़े: ऐसें करें भिंडी की खेती, होगा बंपर मुनाफा

प्ररोह व फल छेदक कीट (Shoot and Fruit Borer)

भिंडी में लगने वाले यह कीट इल्ली कोमल तने में छेद कर देता है, जिससे तना सूख जाता है. इसके प्रकोप से फल लगने से पहले ही फूल गिर जाते हैं. जब फसल में फल लगते हैं, तो इल्ली छेदकर उनको खाती है. इससे फल मुड़ जाते हैं और खाने योग्य नहीं रहते हैं. 

इसकी रोकथाम के लिए कीट प्रभावित फलों और तने को काटकर नष्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा क्विनॉलफास 25 ई.सी. 1.5 मिली लीटर या इंडोसल्फान 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर से कीट प्रकोप की मात्रा के अनुसार 2 से 3 बार छिड़क देना चाहिए. इस तरह फल प्ररोह छेदक कीटों का प्रभावी नियंत्रण पा सकते हैं.

English Summary: Major diseases and pests in lady finger crop
Published on: 25 September 2020, 01:27 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now