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Updated on: 23 October, 2023 12:47 PM IST
Major diseases affecting the roots of crops (Photo source: Google)

फसलों में जड़ों का सड़ना एक ऐसी बीमारी का लक्षण है जो एक पौधे से कई पौधों में फ़ैल जाती है. यह बीमारी फसलों की मिट्टी में ज्यादा पानी होने की वजह से होती है. फसलों में ज्यादा पानी की मिट्टी के होने की वजह से उनके द्वारा अवशोषित की जाने वाली ऑक्सीजन में अवरोध उत्पन्न होता है. जिसके प्रभाव से पूरा पौधा खराब होने लगता है.

इसके ख़राब होने के लक्षण भी अन्य रोगों के भांति ही होते हैं, जैसे खराब विकास, पत्तियों का मुरझाना, पत्तियों का जल्दी गिरना, शाखा का मरना और पौधे को पूरी तरह नष्ट कर देना. आज हम आपको इस रोग के कारण, लक्षण और उसके प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे-

जड़ सड़न के कारण

जड़ सड़न के दो कारण हैं, लेकिन मुख्य कारण खराब जल निकासी या अधिक पानी वाली मिट्टी है. ये गीली स्थितियां जड़ों को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन को अवशोषित करने से रोकती हैं. जैसे-जैसे ऑक्सीजन की कमी वाली जड़ें मरती हैं और सड़ती हैं, उनकी सड़ांध स्वस्थ जड़ों तक फैल जाती हैं, भले ही गीली स्थितियों से वह जड़ें पूरी तरह से स्वास्थ हों.

ये कवक करते हैं जड़ों को ख़राब

कमजोर जड़ें मिट्टी में कवक के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जो जड़ के सड़ने का एक अन्य कारण भी है. ये कवक मिट्टी में पहले से ही निष्क्रिय अवस्था में पड़े रहते हैं; जब मिट्टी जलमग्न हो जाती है, तो यह जीवित हो जाते हैं और जड़ों को खराब करना शुरू कर देते हैं, अब वे जड़ें सड़ कर नष्ट होना शुरू हो जाती हैं. कवक की कुछ किस्में जो जड़ों को खराब करती हैं उनमें प्रमुख पाइथियम, फाइटोफ्थोरा, राइजोक्टोनिया और फ्यूसेरियम हैं. इसके अलावा एक और खतरनाक कवक आर्मिलारिया है, जिसे शूस्ट्रिंग रूट के रूप में भी जाना जाता है, जो दृढ़ लकड़ी और शंकुधारी पेड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है.

लक्षण एवं निदान

जड़ के सड़ने के कई लक्षण किसी कीट के संक्रमण के लक्षण दर्शाते हैं, जिससे इसका उचित निदान करना अधिक कठिन हो जाता है. जड़ सड़न के लक्षणों को जमीन के ऊपर पहचानना स्पष्ट रूप से आसान होता है. इसके प्रमुख लक्षण निम्न हैं-

  • बिना किसी स्पष्ट कारण के धीरे-धीरे या वृद्धि में गिरावट.
  • रुका हुआ या ख़राब विकास.
  • छोटे, पीले पत्ते.
  • मुरझाई हुई, पीली या भूरी पत्तियां
  • शाखा का मरना.
  • छत्र का पतला होना.

रोकथाम एवं नियंत्रण

  • रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में ही पौधे लगाएं
  • अधिक पानी देने से बचें
  • पानी को पेड़ के तनों पर जमा होने के प्रबंध करें
  • मध्यम रूप से प्रभावित पौधों की संक्रमित जड़ों को काटकर अन्य पौधों को बचाया जा सकता है.
  • जिन भी उपकरणों के साथ आप काम करते हैं उन्हें दोबारा उपयोग करने से पहले साफ़ करने के बाद ही प्रयोग करें.
  • ज्यादा संक्रमित पेड़ को हटा देना चाहिए. 

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इसके बचाव के लिए प्रयोग किए जाने वाले क्लोरोपिक्रिन या मिथाइल ब्रोमाइड जैसे रसायन बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं करेंगे लेकिन संक्रमण के स्तर को कम कर सकते हैं. इन फ्यूमिगेंट्स को संक्रमित पेड़ों के आधार में और उसके आसपास या पेड़ों को हटाने के बाद छोड़े गए छिद्रों में लगाया जाता है.

English Summary: major diseases affecting the roots of crops and the fungus causing that disease its management
Published on: 23 October 2023, 12:53 PM IST

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