Lump Cabbage Cultivation: जब कभी गोभी की बात आती है, तो सभी के मन में फूल गोभी और पत्त्ता गोभी इन 2 वैरायटियों का ध्यान रहता है. लेकिन इसकी एक वैरायटी गांठ गोभी भी है, जो पत्ता और फूल गोभी के मुकाबले आकार में छोटी होती है और इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं. गांठ गोभी को भारत में कई नामों से पहचाना जाता है, जैसे- कैबेज टरनिप, नोल खोल, गंध गोभी और कोहल रबी कहा जाता है. यह एक शरदकालीन सब्जी है, इसकी खेती कश्मीर, महाराष्ट्र, बंगाल, आसाम, उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब में की जाती है.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, गांठ गोभी की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें...
उपयुक्त जलवायु
गांठ गोभी की खेती के लिए ठंडा और आर्द्रा मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी अगेती किस्मों में बोल्टिंग की समस्या शीतोष्ण क्षेत्र में देखने को मिलती है, जबकि उप कटिबंधीय क्षेत्रों में ये समस्या इतनी नहीं होती. गांठ गोभी की खेती के लिए 24 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. साथ ही, मासिक औसत तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस अच्छा रहता है.
उपयुक्त मिट्टी
गांठ गोभी की खेती कई तरह की मिट्टी में की जाती है, लेकिन इसके लिए सबसे उपयुक्त उच्चित जल निकास वाली भारी दोमट मिट्टी मानी जाती है. मिट्टी का 6.5 से 7.0 पी.एच मान भी इसकी खेती के लिए अच्छा रहता है. गांठ गोभी के खेत की तैयारी भी फूल गोभी के खेत की तरह की जाती है.
उन्नत किस्में
गांठ गोभी की दुनियाभर में कई उन्नत किस्मों मौजूद है, देश में अधिकतर किस्मों का आयत विदेशों से किया जाता है. भारत में इसकी किंग ऑफ नार्थ, लार्ज ग्रीन,व्हाइट वियेना और परपल वियना प्रमुख किस्में मानी जाती है.
खाद एवं उर्वरक
गांठ गोभी की फसल में उर्वरकों का इस्तेमाल किसानों को मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए. इसकी फसल से बेहतरीन पैदावार प्राप्त करने के लिए 20 से 25 टन गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 100 से 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए. अंतिम जुताई के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए.
बुवाई का समय
गांठ गोभी की बुवाई मैदानी क्षेत्रों में अगस्त से अक्टूबर महीने में करनी सबसे अच्छी मानी जाती है. वहीं मध्य क्षेत्रों में जुलाई से लेकर अक्टूबर माह तक इसकी बुवाई की जाती है. इसके अलावा, ऊंचे क्षेत्रों में गांठ गोभी की बुवाई मार्च से जुलाई तक की जाती है.
सिंचाई प्रबंधन
गांठ गोभी की फसल को उपयुक्त सिंचाई की आवश्यकता होती है, इसकी फसल की सिंचाई 10 से 15 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए. इसकी फसल में गांठों के बनते समय सिंचाई के अंतराल में बदलाव भी हो सकता है, जिससे सही समय पर सिंचाई न करने से गोभी में कठोरपन आने लगता है. इसके अलावा, तेज वृद्धि की वजह से भी गांठे फटने का डर किसानों के बीच रहता है.
240 क्विंटल तक उपज
गांठ गोभी की उपज कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे- भूमि की उर्वराशक्ति, जलवायु, किस्में और फसल की देखरेख. वहीं अगर बात करें पिछली किस्मों से अगेती किस्मों की तो इसकी अपेक्षा उपज काफी बढ़ी है. एक हेक्टेयक खेत में खेती करने पर किसान गांठ गोभी की फसल से लगभग 200 से 240 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.