प्याज एक ऐसी सब्जी है जो हर एक घर की रसोई में उपलब्ध रहती है और इसके बिना कई चीजों में स्वाद भी नहीं आता है. भारत में प्याज की खेती वैसे तो कई राज्यों में की जाती है लेकिन महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जो प्याज की खेती के लिए जाना जाता है. यहां साल में दो बार प्याज की खेती की जाती है- एक नवम्बर में और दूसरी मई के महीने के क़रीब होती है. यही नहीं भारत से प्याज का निर्यात नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश इत्यादि जैसे कई देशों में किया जाता है.
प्याज की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी:
प्याज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
रबी सीजन में प्याज की रोपाई करने के लिए 15 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान होना चाहिए. इसके अलवा इसके लिए 650 से 750 एमएम की बारिश की जरुरत होती है. कटाई करने के वक्त 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के ऊपर का तापमान होना चाहिए.
प्याज की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती कई अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जाती है जैसे –रेतीली दोमट, चिकनी, गार और भूरी मिट्टी. प्याज की खेती में ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में जल निकासी की अच्छी सुविधा होनी चाहिए. मिट्टी के पीएच लेवल की बात की जाए तो 6 से 7 के बीज होना चाहिए.
प्याज की प्रसिध्द किस्में और पैदावार
PRO 6: प्याज की यह किस्म सामान्य कद, गहरे लाल रंग और गोल गांठ वाली होती है. 120 दिन के भीतर यह तैयार हो जाती है. इसकी औसतन पैदावार प्रति एकड़ 175 क्विंटल के आसपास होती है और इन सब चीजों के अलावा इसकी भंडारण क्षमता भी ज्यादा होती है.
पंजाब नरोया: यह किस्म भी सामान्य कद, गहरे लाल रंग और गोल गांठ वाली होती है, लेकिन यह 145 दिन में तैयार होती है. इसकी औसतन पैदावार प्रति एकड़ 150 क्विंटल के आसपास होती है. यह जामुनी धब्बों वाले रोग रोधक भी होती है.
भीमा सुपर: छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम में उगाने के लिए इस लाल प्याज किस्म की पहचान की गयी है. इसे खरीफ में पछेती फसल के रूप में भी उगा सकते हैं. यह खरीफ में 20-22 टन/है. और पछेती खरीफ में 40-45 टन तक उपज देती है. खरीफ में 100 से 105दिन और पछेती खरीफ में 110 से 120 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है.
भीमा श्वेता: सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित है, लेकिन अब इसे खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में उगाने के लिए भी अनुमोदित किया गया है. यह 110-120 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है. 3 माह तक इसका भंडारण कर सकते हैं. खरीफ में इसकी औसत उपज 18-20 टन है और रबी में 26-30 टन इसकी पैदावार होती है.
जमीन तैयार करने की विधि
प्याज की खेती करने से पहले जमीन तैयार करने के लिए सबसे पहले तीन से चार बार जुताई करें और मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए रुड़ी खाद डालें. इसके बाद खेत को छोटे-छोटे प्लॉट में बांट दें.
रोपाई की पूरी प्रक्रिया
बुवाई का समय-प्याज की रोपाई से पहले उसकी पौध तैयार करनी होती है जिसके लिए सबसे उचित समय मध्य- अक्टूबर से मध्य-नवबंर होता है. इसके बाद रोपाई करने का समय मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है.
पौधों के बीच की दूरी- प्याज की रोपाई करते समय इस चीज का ध्यान रखें कि पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 15 सैं.मी. और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 7.5 सैं.मी. होना चाहिए. इसके अलावा बीज बोने के लिए 1 से 2 सैं.मी. की गहराई में बोएं.
बीज की मात्रा और उपचार
बीज की मात्रा- एक एकड़ खेत में प्याज लगाने के लिए 4 से 5 किलो बीजों की जरुरत होती है.
बीज का उपचार- पौध तैयार करने के लिए पहले बीजों का उपचार करना जरुरी होता है. उखेड़ा रोग और कांव-गियारी रोग से बचाव करने के लिए थीरम 2 ग्राम+बेनोमाइल 50 डब्लयू पी 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर एक किलो बीजों का उपचार करें.
खाद की मात्रा
एक एकड़ खेत में प्याज लगाने के लिए रोपाई से 10 दिन पहले 20 टन रूड़ी खाद और 40 किलो यूरिया, फासफोरस 20 किलो, पोटाश 20 किलो की मात्रा रखें. इसमें से रुड़ी खाद, पोटाश, फासफोरस की पूरी मात्रा डालें और यूरिया की आधी मात्रा डालें.
खरपतवार नियंत्रण
शुरुआत में पौधों की ग्रोथ धीरे-धीरे होती है. इसलिए इस समय गुड़ाई ना करके रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए. गुड़ाई को अगर देखा जाए तो रोपाई के एक महीने बाद और दूसरी गुड़ाई पहली गुड़ाई से एक महीने बाद करना चाहिए.
सिंचाई करने मात्रा
सिंचाई मिट्टी, किस्म और जलवायु के आधार पर की जाती है. पहली सिंचाई रोपाई के बाद करनी चाहिए लेकिन वह हल्की सिंचाई होनी चाहिए ताकि पौधों की जड़ों पर कोई असर ना हो और इसके अलावा जरुरत के अनुसार 10 से 15 दिनों के फसाले के बाद सिंचाई करें.
प्याज निकालने का सही समय
प्याज निकालने का सही समय तब होता है जब पौधे में बिल्कुल नमी खत्म हो जाती है और उसकी गांठ लगभग अपने आप ऊपर आने लगती है. हालांकि प्याज बाजार की मांग के अनुसार कच्ची अवस्था में भी निकाल लिया जाता है.