आलू भारत की सबसे महत्वफपूर्ण फसल है. देश के लगभग सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. मगर इसकी खेती में उन्नत या संकर किस्म का सही चुनाव करना एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि इस पर फसल की पूरी उपज निर्भर करती है. अगर किसानों को आलू की खेती से अधिकतम उपज चाहिए, तो इसके लिए उपयुक्त भूमि, पोषक प्रबंधन, पौध संरक्षण और अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए. आइए आपको आलू की उन्नत किस्मों की विशेषताएं और पैदावार की जानाकरी देते हैं.
आलू की उन्नत किस्में (Improved varieties of potatoes)
अगेती किस्में- कुफरी अलंकार, कुफरी पुखराज, कुफऱी चंदरमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी जवाहर आदि. ये किस्में 80 से 100 दिन में पक जाती हैं.
मध्यम समय वाली किस्में- कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी सतलुज, कुफरी सदाबहार आदि. इन किस्मों के पकने की अवधि 90 से 110 दिन की होती है.
देर से पकने वाली किस्में- कुफरी सिंधुरी कुफरी फ़्राईसोना और कुफरी बादशाह, जो 110 से 120 दिन में पक जाती हैं.
संकर किस्में- जे एफ- 5106, कुफरी जवाहर (जे एच- 222), 4486- ई, कुफरी सतुलज और कुफरी अशोक (पी जे- 376) आदि है
विदेशी किस्में- आलू की कुछ विदेशी किस्में ऐसी होती हैं, जो भारतीय परिस्थितियों के प्रति अनुकूल होती हैं या फिर उन्हें अनुकूल बनाया जाता है. इसमें अपटूडेट, क्रेग्स डिफाइन्स और प्रेसिडेंट आदि शामिल हैं.
आलू की उन्नत और संकर किस्में और पैदावार (Improved and hybrid varieties and yields of potato)
संकर किस्में (Hybrid varieties)
1) ई- 4486
आलू की इस किस्म के कंद मध्यम आकार वाले और सफ़ेद रंग के होते है. इन्हें तैयार होने में 135 दिन का समय लगता है. इस किस्म को हरियाणा, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात समेत मध्य प्रदेश में उगाया जाता है.
जे एफ- 5106- इस किस्म के कंद लम्बे, सफ़ेद और आकर्षित होते हैं. यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में उगाई जाती है.
2) कुफरी अशोक (पी जे- 376)
आलू की यह एक अगेती किस्म है, जिसके पौधे मध्यम उंचाई वाले 60 से 80 सेंटीमीटर होते है. इसके कंद सफ़ेद रंग के होते है. यह किस्म सम्पूर्ण सिन्धु गंगा क्षेत्र के लिए उपयुक्त मानी जाती है. यह 75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे 230 से 280 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है.
आलू की उन्नत किस्में (Improved varieties of potatoes)
1) कुफरी चंद्रमुखी
यह एक अगेती किस्म है, जो कि 80 से 90 दिन में पक जाती है. इसके कंद बड़े अंडाकार, सफ़ेद छिलके और उथले आंखों वाले होते हैं. यह किस्म मैदानी क्षेत्रों में लगभग 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार दे सकती है.
2) ई- 3792 (कुफरी बहार)
यह किस्म 100 से 135 दिन में तैयार हो जाती है. इसके कंद बड़े अंडाकार और सफ़ेद छिलके वाले होते हैं.
3) कुफरी लालिमा
यह शीघ्र पकने वाली किस्म है, जो जो 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है. इसके कंदों का आकार गोल, आंखे गहरी और छिलका गुलाबी रंग का होता है.