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Updated on: 22 July, 2020 4:38 PM IST

खरीफ सीजन में कई किसान अपने खेतों में सोयाबीन की खेती करते हैं. अगर इसकी खेती में उन्नत किस्मों का चुनाव न किया जाए, तो इसका सीधा असर फसल की पैदवार पर पड़ता है. ऐसे में किसानों को अपने क्षेत्र की अनुकूलता के हिसाब से ही किस्मों का चुनाव करना चाहिए, ताकि फसल की पैदावार पर अनुकूल प्रभाव पड़े. आज हम इस लेख में क्षेत्र के अनुसार सोयाबीन की उन्नत किस्मों की जानकारी देने वाले हैं, इसलिए इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ते रहें, ताकि आप सोयाबीन की उन्नत खेती कर सकें.
स्थानीय क्षेत्र के अनुसार उन्नत किस्मों का चुनाव

  • उत्तरी पहाड़ी जैसे हिमालय और उत्तराखंड में शिलाजीत, पूसा- 16, वी एल सोया- 2, हरा सोया, पालम सोया, पंजाब- 1, पी एस- 1092, पी एस- 1347, वी एल एस- 59 और वी एल एस 63 आदि किस्म उपयुक्त रहती हैं.

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  • उत्तर मैदानी क्षेत्र जैसे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में पूसा- 16, पी एस- 564, एस एल- 295, एस एल- 525, पंजाब- 1, पी एस- 1024, पी एस- 1042, डी एस- 9712, पी एस- 1024, डी एस- 9814 और पी एस- 1241 आदि की बुवाई करनी चाहिए.

  • मध्य भारत जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र में जे एस- 95-60, जे एस- 335, एन आर सी- 7, एन आर सी- 37, जे एस- 80-21 और समृद्धि आदि किस्मों की बुवाई करें.

  • दक्षिणी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडु और आंध प्रदेश में एम ए सी एस- 24, पूजा, पी एस- 1029, के एच एस बी- 2, एल एस बी- 1, प्रतिकार, प्रसाद और फूले कल्याणी आदि क़िस्मों की बुवाई कर सकते हैं.

  • उत्तर पूर्वी क्षेत्र यानी बंगाल, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, असम और मेघालय में बिरसा सोयाबीन- 1, इंदिरा सोया- 9, प्रताप सोया- 9 और एम ए यू एस- 71 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.

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English Summary: Knowledge of advanced varieties of soybeans by region
Published on: 22 July 2020, 04:50 PM IST

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